क्राइम

बेटी के बर्थडे पर मौत की नींद सो गया परिवार

नीचे चलती रही पूजा, ऊपर कमरे में टूट रही थी मासूम की सांसें

 

मेरठ. टीपीनगर थाना क्षेत्र के शंभूनगर में फाइनेंस कंपनी के मालिक की कोठी में नौकर दंपत्ति की 4 वर्षीय बेटी समेत दम घुटने से मौत हो गई. कड़ाके की सर्दी से बचने के लिए दंपत्ति ने तीसरी मंजिल पर अपने कमरे में कोयला जला रखा था. रविवार की शाम 4 बजे तक जब कमरे से कोई बाहर नहीं आया तो कोठी के मालिक को शक हुआ. दरवाजा तोड़कर देखा गया तो दंपति बेड पर मृत अवस्था में मिले. बच्ची की सांस चलने की वजह से उसे केएमसी अस्पताल ले जाया गया, जहां इलाज के दौरान उसकी भी मौत हो गई.

जन्मदिन के चलते देर तक जागते रहे नौकर

एक ओर जहां पूरा साल नए साल के जश्न में डूबा हुआ था वह मेरठ की इस घटना के बाद आस-पास के लोग गम के माहौल में डूबे हुए हैं. दंपति अपने बच्चे के साथ ऐसा सोए की वह नए साल का सूरज तक न देख पाए. इन सब के बीच मासूम बच्ची 14 घंटे तक तड़पती रही. आपको बता दें कि शंभूनकर की कोठी नंबर 171 में ऑटोमोबाइल्स कंपनी के मालिक आलोक बंसल, उनकी पत्नी, मां, बेटी और बेटा रहता है. उसी घर में नेपाल के जिला कैलाली निवासी नौकर चंदर, पत्नी राधा और बेटी अंजलि के साथ रहते थे. चंदर खाना बनाने और पत्नी साफ-सफाई का काम करती थी. कोठी में तीसरी मंजिल पर उन्हें कमरा भी मिला हुआ था. आलोक बंसल के द्वारा मीडिया को बताया गया कि वह शनिवार को पौने नौ बजे पार्टी के लिए होटल चले गए थे. चंदर सारा काम खत्म कर उसी समय कमरे में सोने के लिए गया था. नए साल और बेटी के जन्मदिन के चलते वह लोग देर तक नहीं सोए. रात 2 बजे नीचे से कोयले का तसला लेने के लिए भी चंदर आया हुआ था. हालांकि इसके बाद कब यह सब हुआ इस बारे में कोई जानकारी नहीं है.

शाम 4 बजे तक किसी के न आने पर मालिक को हुआ शक

घटना के वक्त घर पर आलोक की मां और बेटी ही थी. बेटा दोस्तों के साथ बाहर था और आलोक और उनकी पत्नी होटल गए थे. अगली सुबह परिवार के लोग 11 बजे सोकर उठे और मंदिर में पूजा करने चले गए. कोठी में ही पूजा का आयोजन था और इसके लिए 12 बजे पंडित भी आए. परिवार के लोग पूजा में लगे रहे. इस बीच कई बार नौकरानी को फोन लगाया गया लेकिन कोई जवाब नहीं आया. फिलहाल इस घटना के बाद आशंका जताई जा रही है कि कमरा बंद होने के चलते ऑक्सीजन की कमी से तीनों की जान गई है. मामले को लेकर पुलिस को जानकारी दी गई और फॉरेंसिक टीम भी मौके पर पहुंची. आलोक बताते हैं कि उन्होंने पहले ही चंदर को कमरे में कोयला सुलगाने से मना किया था. हालांकि उन्हें नहीं पता था कि यही कोयला एक दिन तीन लोगों की मौत का कारण बन जाएगा.
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