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तुर्की-सीरिया में भूकंप से 15 हजार मौतें, 2015 के बाद सबसे बड़ी तबाही, कई देशों ने भेजी राहत सामग्री

 

नई दिल्ली। तुर्की-सीरिया में आए सोमवार को तीव्र गति के भूकंप के चलते 15 हजार से अधिक लोगों की जानें चली गईं. 50 हजार से अधिक लोग घायल हो गए. मलबे के नीचे फंसी जिंदगियां अभी भी मदद की बाट खोज रही हैं. रिपोर्ट केतुर्की भूकम्प मुताबिक करीब 1 लाख लोग रेस्क्यू ऑपरेशन में जुटे हुए हैं, जिसमें अलग-अलग देशों की टीमें भी हैं. अधिकांश तौर पर सीरिया में मलबे के नीचे फंसे हुए लोगों तक मदद नहीं पहुंच पा रही है. भारत, चीन और अमेरिका सहित कई देश तुर्की-सीरिया की मदद करने में जुटे हुए हैं.

इस बीच, तुर्किये के अलग-अलग शहरों में बार-बार भूकंप के झटके भी महसूस किए जा रहे हैं। यूनाइटेड स्टेट जियोलॉजिकल सर्विसेज की रिपोर्ट के अनुसार, रात में 12 बजे के बाद से सुबह सात बजकर 14 मिनट के बीच पांच बार अलग-अलग समय पर भूकंप के झटके आए। इनकी तीव्रता 4.4 से 4.5 के बीच रही। उधर, भारत ने तुर्किये में भूकंप प्रभावित लोगों की मदद के लिए ‘ऑपरेशन दोस्त’ चलाया है। इसके जरिए भारत ने तुर्किये के लोगों की मदद तेज कर दी है। सेना, एयरफोर्स के जवान, एनडीआरएफ ऑर डॉक्टर्स की टीम तुर्किये भेजी गई है। बड़े पैमाने पर राहत सामग्री भी भेजी गई है।

तुर्किये सरकार की ओर से जारी आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार, अब तक यहां 12 हजार 391 लोगों की मौत हो चुकी है, जबकि 62 हजार 914 लोग घायल बताए जा रहे हैं। इनमें बड़ी संख्या में ऐसे भी हैं, जिनकी हालत काफी गंभीर है। वहीं, सीरियाई सरकार के अनुसार, देश में अब तक 2,992 लोगों की मौत हो चुकी है। इनमें 1730 लोगों की मौत नॉर्थ वेस्ट के अलागवादी क्षेत्रों में हुई है, जबकि 1262 मौतें सरकार के कब्जे वाले इलाके में। 10 हजार से ज्यादा लोग घायल बताए जा रहे हैं।

तुर्की भूकम्प1

तुर्की के राष्ट्रपति रेसेप तईप एर्दोगन ने बुधवार को राहत-बचाव के काम में सरकार की कमियों को स्वीकार किया। कहा कि राहत-बचाव कार्य में तेजी लाने के लिए हर प्रयास किए जा रहे हैं। दुनिया के अन्य देशों से मदद भी मिल रही है। सबके प्रयास से देश को इस संकट से उबारेंगे। तुर्किये सरकार के अनुसार, बारिश और ठंड के मौसम के चलते राहत कार्य प्रभावित हुए हैं, लेकिन फिर भी कोशिशों में तेजी लाई गई है।

तुर्किये और सीरिया में हालात बेहद खराब हो चुके हैं। हजारों की संख्या में लोगों के घर जमींदोज हो गए। लोग बेघर हो गए। बड़ी संख्या में लोगों की जान चली गई और कई ऐसे हैं जो अभी भी जिंदगी और मौत से जंग लड़ रहे हैं। इस बीच, जो जिंदा बच गए उनकी हालत भी काफी दयनीय हो गई है। रिपोर्ट के अनुसार, बेघर हो चुके लोगों को कड़कती ठंड में सड़कों पर रात गुजारना पड़ रहा है। सरकार की तरफ से कोई मदद नहीं दी जा रही है। न खाने को है और न ठंड से बचने का कोई उपाय। लोग भूखे-प्यासे दिनरात अपनों की तलाश में जुटे हैं। गजियानटेप में इस समय मौसम -5 डिग्री सेल्सियस तक गिर गया है।
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