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दक्षिण दिशा में भूलकर भी न करें यह काम, होता है आर्थिक नुकसान

वर्तमान समय वास्तु शास्त्र का है। आज जमीन से जुड़ा हर काम वास्तु के अनुसार किया जाता है। भवन निर्माण से लेकर घर की आन्तरिक साज-सज्जा तक के लिए वास्तु का सहारा लिया जाता है। कहा जाता है कि यदि आपने अपने घर के सामान को वास्तु के हिसाब से नहीं रखा तो आपको आर्थिक नुकसान होने के साथ-साथ आपके घर में कलेश होगा। विशेष तौर पर यह स्थिति घर की दक्षिण दिशा को लेकर होती है। वास्तु शास्त्रियों का घर की दक्षिण दिशा को लेकर क्या कहना है डालते हैं एक नजर उस पर—

पूर्व या उत्तर पूर्व में होना चाहिए प्रवेश द्वार
आपके घर का प्रवेश द्वार हमेशा उत्तर पूर्व या पूर्व दिशा में होना चाहिए। इसे दक्षिण पूर्व में रखना आखिरी चीज है जो आप चाहते हैं। लेकिन अगर आपके पास ऐसा है तो प्रवेश द्वार पर तीन वास्तु पिरामिड बनाने से अशुभ प्रभाव कम होता है। आपके घर का गलत चेहरा आपके परिवार के सदस्यों के दुर्भाग्य और अस्वस्थता का एक प्रमुख कारण है। अपने घर के मुख्य द्वार पर ऊँ, त्रिशूल और स्वास्तिक को एक साथ मिलाकर लगाएं। यह त्रिमूर्ति कुछ हद तक बुरी ऊर्जा को आपके घर में प्रवेश करने से रोकेगी।

मृत पूर्वजों की दिशा मानी जाती है
घर और परिवार में सुख शांति और आध्यात्मिक वातावरण रहे इसके लिए हर घर में एक पूजा घर बनाया जाता है। वास्तु शास्त्रियों का कहना है कि घर का पूजा घर भूलकर भी कभी दक्षिण दिशा में नहीं बनाया जाना चाहिए, क्योंकि यह दिशा मृत पूर्वजों की दिशा होती है। घर का मंदिर दक्षिण दिशा में होने से आर्थिक स्थिति खराब रहती है।

पितरों का होता है अपमान
जिस तरह से हर घर में एक पूजा घर होता है उसी तरह से हर घर में एक कमरा ऐसा होता है जहाँ हम वस्तुओं का संग्रह करते हैं, जिसे हम स्टोर रूम कहते हैं। वास्तु शास्त्रियों का कहना है कि घर के दक्षिण दिशा में कभी भी स्टोर रूम नहीं होना चाहिए। इस दिशा में स्टोर रूम होने से पितरों का अपमान होता है, जिससे घर का वातावरण हमेशा तनाव व कलेश भरा रहता है। घर का हर सदस्य परेशानियों से घिरा नजर आता है।

बैडरूम
बैडरूम घर का सबसे महत्त्वपूर्ण भाग होता है। वास्तुशास्त्र के अनुसार घर का मुख्य बैडरूम हमेशा उत्तर या पूर्व दिशा की ओर होना चाहिए। दक्षिण दिशा में घर का बैडरूम होने से नींद में व्यवधान होता है, जिसके चलते व्यक्ति की नींद पूरी नहीं हो पाती है और व्यक्ति बीमारियों का शिकार होता है। इसके अतिरिक्त यह पितृ दोष का कारण भी बन सकता है।

शू रैक
वास्तुशास्त्रियों के अनुसार घर की दक्षिण दिशा में जूते-चप्पल नहीं रखने चाहिए। इस दिशा में जूते-चप्पल रखने से जीवन में परेशानियों का सामना करना पड़ता है और घर के विनाश का कारण बनती हैं। जूते-चप्पलों के लिए हमेशा एक शू रैक बनवा कर उत्तर दिशा की ओर रखनी चाहिए।

सम्भव हो तो रसोई घर को पूर्व दिशा में बनाए
घर की दक्षिण दिशा में किचन या गैस स्टोव या चूल्हा नहीं होना चाहिए। इस दिशा में किचन होने से जीवन में परेशानियाँ आती हैं। विशेष रूप से घर के सदस्यों को स्वास्थ्य समस्याओं से दो-चार होना पड़ता है। वास्तुशास्त्रियों का कहना है कि इस दिशा में किचन होने से जिन्दगी भर हमें इस परेशानी से गुजरना पड़ता है।

बाथरूम
दिशाओं के जानकारों के अनुसार दक्षिण दिशा में अग्नि तत्व होता है। इसी के चलते घर के बाथरूम को कभी भी दक्षिण दिशा में नहीं बनवाना चाहिए। बाथरूम में पानी बहता है जो कि अग्नि तत्व को समाप्त करता है, इससे घर का विनाश होता है। वास्तु पिरामिड आपकी वास्तु संबंधी समस्याओं को हल करने के लिए एक बहुत ही उपयोगी वस्तु है। यदि आपका बाथरूम आपके घर के दक्षिण-पूर्वी कोने पर है, तो यह आपके धन को खत्म कर देगा और सफलता को आपके जीवन में आने से रोक देगा। आपके बाथरूम में एक वास्तु पिरामिड आपके घर में ऊर्जा को संतुलित करने के लिए बहुत मददगार होगा।

वाशिंग मशीन इत्यादि
घर की दक्षिण दिशा को कभी भी कपड़े धोने का स्थान नहीं बनाना चाहिए। दक्षिण दिशा में वाशिंग मशीन, किसी भी प्रकार का मशीनरी सामान नहीं रखना चाहिए। दक्षिण दिशा में मशीनरी रखने से घर की सकारात्मक ऊर्जा का विनाश होता है और नकारात्मक ऊर्जा का वर्चस्व होने लगता है।

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