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सड़क पर मां को कुचल गया कोई वाहन, बेबी गोल्डन लंगूर चीखते-रोते उसे उठाता रहा

 

धुबरी. पश्चिमी असम में दो महीने के गोल्डन लंगूर का एक दिल दहला देने वाला वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है, जिसमें वह अपनी मां को जगाने की कोशिश कर रहा है. उसकी मां को एक तेज रफ्तार व्हीकल ने कुचल दिया था. एनिमल लवर्स और संरक्षणवादी ऐसी घटनाओं को रोकने के लिए सख्त कदम उठाने की मांग कर रहे हैं.

पहले बता दें कि गोल्डन लंगूर एक लुप्तप्राय रहवासी है, जो केवल पश्चिमी असम के एक छोटे से क्षेत्र और पड़ोसी भूटान की तलहटी में पाया जाता है. अधिकारियों ने कहा कि शुक्रवार को बोंगाईगांव जिले के काकोइजाना इलाके में मां और बच्चा भोजन की तलाश में एक पेड़ से नीचे उतरे थे, जब मां को एक तेज रफ्तार वाहन ने टक्कर मार दी थी.

सोशल मीडिया पर वायरल एक वीडियो में बेबी लंगूर को चीखते-रोते हुए मरी पड़ी मां को जगाने की कोशिश करते देखा जा सकता है. करीब एक घंटे तक वो यह कोशिश करता रहा. बाद में स्थानीय लोगों ने जैसे-तैसे उसे अलग किया. पिछले तीन दिनों में क्षेत्र में एक तेज रफ्तार वाहन द्वारा गोल्डन लंगूर को कुचले जाने की यह दूसरी घटना थी. कोकराझार जिले के नयागांव इलाके में बुधवार को इसी तरह से एक मेल लंगूर को कुचल दिया गया था.

एक्सपर्ट ने बताया है कि क्षेत्र से गुजरने वाले नेशनल हाइवे को चार लेन का बनाने के लिए कई पेड़ों को काट दिया गया था, जिससे प्राकृतिक चंदवा पुलों (प्राकृतिक पत्थरों के पुल) की निरंतरता पर बुरा प्रभाव पड़ा और इस तरह भोजन की तलाश में प्राइमेट्स को सड़क पार करने के लिए मजबूर होना पड़ा. एक एनजीओ प्राइमेट रिसर्च सेंटर एनई ने प्रशासन से संवेदनशील क्षेत्रों में आर्टिफिसियल चंदवा पुलों का निर्माण करने का आग्रह किया है.

एनजीओ के संस्थापक जिहोसुओ बिस्वास ने कहा कि उन्हें कोकराझार के नयागांव इलाके में कुछ ऐसे कृत्रिम चंदवा पुल बनाने की अनुमति मिली है. इस घटना ने राज्य के कई एनिमल लवर्स के बीच एक भावुक गुस्सा पैदा कर दिया है. साथ ही उन्होंने लुप्तप्राय प्रजातियों की रक्षा के लिए सख्त कदम उठाने की मांग की है. एक एनिमल लवर ने कहा-बेबी गोल्डन लंगूर को अपनी मृत मां को जगाने की कोशिश करते देखना दिल दहला देने वाला था.

अधिकारियों ने कहा कि ऐसी घटनाओं को रोकने के लिए पर्याप्त उपाय करने चाहिए. वाइल्ड लाइफ फोटोग्राफर संजीब गोहेन बोरुआ ने कहा कि पेड़ों की लगातार कटाई ने जानवरों को भोजन की तलाश में अपने आवास से बाहर आने के लिए मजबूर कर दिया है.
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