मध्य प्रदेश

एनएच 39 का निर्माण शुरू कराने व मोरवा को प्रदूषण से बचाने के लिए 20 से अनिश्चिकालीन धरने पर बैठेंगे व्यापारी

 

वैढ़न,सिंगरौली। विगत एक दशक से एनएच 39 के सिंगरौली सीधी का खण्ड भाग का निर्माण कार्य अधर में लटका है। जिस कारण यहां के लोगों को खासी परेशानियां झेलनी पड़ रही है। इधर एनसीएल प्रबंधन बिना पुनर्वास नीति के मोरवा विस्थापन में लगा है। ऐसे में तीनों तरफ से बढ़ती खदानें और खस्ताहाल एनएच मार्ग के कारण यहां के लोग भारी प्रदूषण के साथ मानसिक तौर पर भी प्रताड़ित रहे हैं। बीते समय में भी आए दिन यहां के प्रबुद्ध जनों एवं व्यापारी वर्ग द्वारा ज्ञापन एवं प्रदर्शन कर अपना विरोध दर्ज कराया है, परंतु स्थिति जस की तस रही है। यही कारण है कि एक बार फिर वृहद स्तर पर आंदोलन की रणनीति तैयार की गई है। बताते चलें कि बीते 30 अगस्त को सिंगरौली के प्रबुद्ध जनों ने बैठक कर चक्का जाम एवं अनिश्चितकालीन धरने का आह्वान किया था। ऊर्जांचल व्यापार संघ के बैनर तले हुए इस बैठक में आगामी 20 सितंबर सुबह से कांटा मोड पर धरने की रूपरेखा तैयार करने के बाद इसका ज्ञापन जिला कलेक्टर को भी सौंप दिया गया है। इस धरना प्रदर्शन और चक्का जाम में मोरवा के प्रत्येक नागरिकों से पहुंचने की अपील की जा रही है।आगामी 20 सितंबर से होने वाले धरना प्रदर्शन एवं चक्का जाम में एनएच मुख्य मार्ग को प्रभावित न कर एनसीएल के कोल डिस्पैच को रोकने की रणनीति बनाई गई है। ऐसा इसलिए किया जा रहा है ताकि कोयले की आपूर्ति बाधित कर केंद्र सरकार तक अपनी बात रखी जाए। गौरतलब है कि सिंगरौली सीधी सांसद एवं स्थानीय विधायक द्वारा पूर्व में भी कई बार एनएच मार्ग के निर्माण के लिए प्रयास किए गए परंतु कोई ठोस हल नहीं निकला। उल्टा निर्माणाधीन एजेंसी बदलने के बाद भी यह मार्ग भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ा। यही कारण है कि बरसात में सजहर के पास सड़क की दुर्दशा हो गई और जिला कलेक्टर को सिंगरौली सीधी मार्ग बंद कर वैकल्पिक व्यवस्था करनी पड़ी।धरना प्रदर्शन एवं चक्का जाम को लेकर प्रबुद्ध जनों ने बताया कि जब तक खनहना बैरियर से गोरबी मार्ग का कार्य शुरू नहीं हो जाता तब तक उनका प्रदर्शन जारी रहेगा। इसके लिए धरना स्थल पर टेंट एवं भोजन की व्यवस्था बनाई जा रही है ताकि कई दिनों तक भी यह लड़ाई जारी रह सके।

ये है प्रमुख मांग
नेशनल हाईवे 39 के निर्माण कार्य शुरू कराने के अलावा क्षेत्रीय स्तर पर प्रदूषण को कम करने के लिए कारगर उपाय, कोल साइडिंग पर ऊँची दीवार खड़ी करने, कोयले लगे वाहनों को ढंग से त्रिपाल ढकने के साथ अधिग्रहित क्षेत्र के अलावा ब्लास्टिंग का स्तर शून्य करने की मांग प्रमुख है।

पूर्व में भी हुए कई आंदोलन पर स्थिति जस की तस

मोरवा के लोगों का यह इतिहास रहा है कि वह कई बार अपने अस्तित्व और अधिकारों की लड़ाई के लिए आगे रहे है। बीते समय पर नजर डालें तो सन 2015 में रेल रोको आंदोलन से लेकर एनसीएल की दमनकारी नीतियों और एन एच मार्ग के निर्माण कार्य के लिए भी कई आंदोलन और प्रदर्शन हुए पर यहां की भोली भाली जनता ने हमेशा प्रशासन की बात पर आकर आश्वासन मात्र से ही धरने को समाप्त कर दिया। यही कारण है कुछ लोग यह मानकर चल रहे हैं कि इस बार भी जिला प्रशासन की मान मनोबल के बाद आश्वासन पाकर जल्दी धरना समाप्त कर दिया जाएगा। परंतु प्रदर्शनकारी इस बार आर पार की लड़ाई के मूड में दिख रहे हैं। उनका मानना है कि जब तक प्रदूषण को लेकर कारगर उपाय के साथ एनएच मार्ग के निर्माण कार्य के लिए मशीनरी यहां नहीं आ जाती और जब तक निर्माण कार्य शुरू नहीं हो जाता तब तक धरना प्रदर्शन एवं चक्का जाम जारी रहेगा।

प्रदर्शन स्थल को लेकर लोगों में नहीं बन पा रही आम राय

करीब आधा सैकड़ा लोगों के साथ बीते 30 अगस्त को प्रदर्शन की रूपरेखा तैयार की गई थी। इन लोगों द्वारा ही कांटा मोड़ को प्रदर्शन स्थल के तौर पर सुनिश्चित किया गया था। इसे लेकर लोगों में मतभेद भी देखने को मिल रहा है। कुछ नेताओं और स्थानीय लोगों द्वारा कांटा मोड़ की जगह पर एनएच मार्ग को प्रभावित करने की सलाह दी जा रही है। वहीं कुछ एनसीएल मुख्यालय घेरने की बात कह रहे हैं। इनका मानना है कि मुख्य मार्ग प्रभावित करने पर प्रदर्शनकारियों के ऊपर मामला दर्ज होगा, इसी से बचने के लिए लोगों ने प्रदर्शन स्थल एनएच मुख्य मार्ग या एनसीएल मुख्यालय की जगह कांटा मोड़ किया है। वही ऊर्जांचल व्यापार संघ और इन से जुड़े लोग इस पूरे घटनाक्रम का दोषी प्रत्यक्ष एवं अप्रत्यक्ष रूप से एनसीएल प्रबंधन को मानते हैं। जिस कारण वह एनसीएल के डिस्पैच को रोकने की तैयारी में जुट गए हैं।

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