मिलिए उस बलि के बकरे से, जिसका तेंदुएं भी नहीं कर सके शिकार, अब बनेगा चीतों का आहार!

भोपाल
कूनो नेशनल पार्क में नामीबिया से आठ चीते आ गए हैं। पांच मादा और तीन नर को लाया गया है। इनसे ही भारत में चीतों का कुनबा बढ़ाने की तैयारी है। जिस पार्क में इन चीतों को बसाया जा रहा है, वहां पहले छह तेंदुएं थे। इन चीतों को तेंदुओं से खतरा था और इस वजह से उन्हें वहां से निकालना जरूरी था। दिलचस्प बात यह है कि तेंदुओं को पकड़ने के लिए जिस बकरे को चारा बनाया गया था, वह आज भी जिंदा है। पर सारे तेंदुएं पकड़े जा चुके हैं और उन्हें बाहर निकाला जा चुका है। अब यह बकरा चीतों का शिकार बनेगा।
दरअसल, चीतों को 12 वर्ग किमी के बाड़े में रखा जाना है। इस बाड़े में तेंदुओं की मौजूदगी ने वन विभाग के अफसरों की चिंताओं को बढ़ा दिया था। दो महीने पहले तक तो ऐसा लग रहा था कि इन तेंदुओं की वजह से प्रोजेक्ट चीता खटाई में पड़ सकता है। 15 अगस्त को चीतों को आना था, लेकिन उनके आगमन को टाल दिया गया। इस दौरान तेंदुओं को पकड़ने का वक्त मिल गया। वन विभाग के अधिकारियों के मुताबिक कूनो पार्क में छह तेंदुएं थे। इन्हें एक-एक कर पकड़ा गया। अलग-अलग जगहों पर लगाए गए पिंजरों में चारे के तौर पर बकरा समेत अन्य जानवरों को बांधा गया। अगस्त तक तो तेंदुएं वन विभाग के अफसरों को छकाते रहे। खैर, उसके बाद कब्जे में आए और उन्हें दूसरे जंगलों में छोड़ा गया।
इस बीच, एक बकरा ऐसा भी है जिसे चारे के तौर पर एक बार नहीं बल्कि 20 बार बांधा गया। हर बार वह बच गया। छह में से एक भी तेंदुएं ने उसे अपना शिकार नहीं बनाया। आज भी इसे मजे से जंगल में घास चरते देखा जा रहा है। कूनो नेशनल पार्क के कर्मचारी इसे भाग्यशाली बकरा कह रहे हैं, जिसे बलि का बकरा बनाने के बाद भी वह हर बार बचता रहा। वन विभाग के कर्मचारियों के अनुसार यह 12 वर्ग किमी का क्षेत्र पूरी तरह से तेंदुआ मुक्त कर दिया गया है। इस वजह से यह बकरा अब चीतों का आहार बन सकता है।
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