मध्य प्रदेश

मप्र में लंपी वायरस की चपेट में आने से 100 मवेशियों की मौत, आठ हजार हुये संक्रमित

सीएम शिवराज ने कहा-संकट में सरकार आपके साथ

भोपाल। पशुओं के लिए काल बनकर उभरे लंपी वायरस का प्रकोप मप्र में भी देखने को मिल रहा है। लंपी वायरस की चपेट में आने से प्रदेश के 100 से अधिक मवेशियों की मौत हो गयी है जबकि आठ हजार से ज्यादा इससे संक्रमित पाये गये हैं। प्रदेश के मुखिया शिवराज सिंह चौहान ने गुरूवार को एक संदेश जारी करते हुये कहा कि हमारे पशुधन पर लंपी वायरस की बीमारी के रूप में गंभीर संकट आया है। प्रदेश में लंपी वायरस तेजी से पैर पसार रहा है। हम अपने पशुओं को विशेषकर गौमाता को मां मानकर पूजा करते है। गौ माता या बाकी पशु हो हमारी अर्थव्यवस्था को भी मजबूत करने का काम करते है। आज जब वह संकट में है तो हमारा कर्तव्य है कि इस संकट से उन्हें निकालने के लिए भरपूर प्रयास करें। इस संकट में आप अकेले नहीं है। सरकार आपके साथ है। सरकार आपको पूरा सहयोग करेंगी। इस बीमारी का टीका भी हम फ्री में लगा रहे हैं।

सीएम ने कहा कि इस बीमारी से निपटने के लिए सरकार कोई कसर नहीं छोड़ेंगी। लेकिन सावधानी आपको भी रखी होगी। यदि आपने सावधानी नहीं रखी तो हमारा पशुधन गंभीर संकट में आएगा। हम वैसे भी जो चेतना मनुष्य में है, वही प्राणियों में देखते है। इस बीमारी को रोकने के लिए तत्काल इसके रोग के लक्षण पहचाने और इलाज शुरू करें। साथ ही संक्रमण फैलने से रोकने के लिए जरूरी कदम उठाए। सीएम ने कहा कि जिस प्रकार कोविड से इंसानों को बचाने के लिए हमने लड़ाई लड़ी थी। वैसे ही हमारे गौवंश को बचाने के लिए हमें लड़ाई लड़नी पड़ेगी।

रोग के प्रमुख लक्षण
संक्रमित पशु को हल्का बुखार होना।
मुंह से अत्यधिक लार तथा आंखों एवं नाक से पानी बहना।
लिंफ नोड्स तथा पैरों में सूजन एवं दुग्ध उत्पादन में गिरावट।
गर्भित पशुओं में गर्भपात एवं कभी-कभी पशु की मृत्यु होना।
पशु के शरीर पर त्वचा में बड़ी संख्या में 02 से 05 सेंटीमीटर आकार की गठानें बन जाना।

रोकथाम और बचाव के उपाय
संक्रमित पशु / पशुओं के झुण्ड को स्वस्थ पशुओं से पृथक रखना।
कीटनाशक और विषाणु नाशक से पशुओं के परजीवी कीट, किलनी, मक्खी, मच्छर आदि को नष्ट करना।
पशुओं के आवास- बाड़े की साफ सफाई रखना।
संक्रमित क्षेत्र से अन्य क्षेत्रों में पशुओं के आवागमन को रोका जाना
रोग के लक्षण दिखाई देने पर अविलंब पशु चिकित्सक से उपचार कराना।
क्षेत्र में बीमारी का प्रकोप थमने तक पशुओं के बाजार, मेले आयोजन तथा पशुओं के क्रय-विक्रय आदि को रोकना।

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