मध्य प्रदेश

पुलिस वालों को सप्ताह में एक दिन का अवकाश दिया जाए

काम के घंटे निर्धारित करके वेतन बढायें,कानून व्यवस्था और जांच पड़ताल दो अलग अलग विंग बने,नई भर्ती भी हो

सिंगरौली।  पूर्व नेता प्रतिपक्ष अजय सिंह ने मध्यप्रदेश में पुलिस बलों को सप्ताह में एक दिन छुट्टी दिए जाने के कांग्रेस सरकार के फैसले को नकारने पर अफ़सोस जाहिर किया है। उन्होंने मुख्यमंत्री शिवराजसिंह से सवाल किया है कि आखिर भाजपा सरकार पुलिस महकमे के साथ भेदभाव करने पर क्यों तुली हुई है। उनके स्वास्थ्य और पारिवारिक जिम्मेदारियों का ध्यान न रखते हुए उनसे 18-18 घंटे काम लिया जा रहा है। पुलिस की मन: स्थिति के कारण जनता की सुरक्षा पर विपरीत प्रभाव पड़ रहा है। अपराधियों में डर खत्म हो गया है।

अजयसिंह ने कहा कि कांग्रेस की पूर्व कमलनाथ सरकार ने पुलिस वालों को सप्ताह में एक दिन का अवकाश देना शुरू किया था। इसे अब बंद कर दिया गया है। इन्हें त्यौहारों में भी छुट्टियाँ नहीं मिलती। पुलिस में स्टाफ की लगातार कमी होती जा रही है। भर्ती प्रक्रिया ठप्प पड़ी है। क्योंकि वह हर बार संदेह के घेरे में आ जाती है। लेकिन सरकार पुलिस से हर दम आज्ञाकारी, वफादार, सक्षम और कुशल होने की अपेक्षा करती है, जबकि वे भारी विपरीत परिस्थितियों में काम कर रहे हैं। अपराध नियंत्रण, कानून और जेल की व्यवस्था बनाये रखने का महत्वपूर्ण दायित्व उनके पास है। इसके अलावा ट्रेफिक, भीड़ नियंत्रण, आपदा या विशेष व्यक्तियों के आगमन के समय पुलिस से ही अपेक्षा की जाती है। इसके बावजूद पुलिस दिन रात हमारी सेवा में लगी रहती है। मानसिक दबाव के चलते उनसे अच्छे की उम्मीद कैसे की जा सकती है?

अजयसिंह ने कहा कि वर्तमान गृह मंत्री नरोत्तम मिश्रा ने विपक्ष में रहते हुए स्वयं विधानसभा में पुलिस को एक दिन की छुट्टी देने के सम्बन्ध में प्रश्न किया था। उन्होंने आवास भत्ता पांच हजार करने और अन्य भत्तों को तीन गुना करने के संबंध में भी प्रश्न पूछा था। लेकिन गृह मंत्री बनते ही उन्हें विस्मृति की शिकायत हो गई और वे सब कुछ भूल गये। पुलिस सुधार के लिए शिवराज सरकार ने कुछ नहीं किया। यही कारण है कि पुलिस हमारी उम्मीदों को पूरा नहीं कर पा रही है।
अजयसिंह ने कहा कि केरल के समान पुलिस के कार्य के घंटे निश्चित करते हुए उनका कार्यभार कम किया जाए।  वहां एक पुलिस कर्मी के लिए आठ घंटे अनिवार्य ड्यूटी का प्रावधान है। आपातकालीन स्थिति में ही उसे 12 घंटे ड्यूटी करनी पडती है। अब कानून व्यवस्था और जांच पड़ताल, दो अलग अलग विंग बनाने की जरूरत है। यह काम चेन्नई महानगर में बखूबी हो रहा है। सिंह ने कहा कि भारत में पुलिस का काम लगातार कठिन होता जा रहा है। हर साल पांच सौ से आठ सौ पुलिस कर्मियों की जानें जाती हैं। अंतर्राष्ट्रीय मानकों के अनुसार प्रति एक लाख जनसँख्या पर 222 पुलिस कर्मी होने चाहिए लेकिन भारत में 189 ही स्वीकृत हैं। ऊपर से इनमें भी 35 प्रतिशत की कमी है। मध्यप्रदेश में तो यह आंकड़ा और भी कम है। वहीं उनके लिए वाहनों की कमी और फोरेंसिक सपोर्ट नाममात्र का है। यहाँ धन का अभाव नहीं है, केवल इच्छा शक्ति का अभाव है।

उन्होंने शिवराजसिंह से कहा है कि यदि वे वाकई पुलिस सिस्टम को मजबूत करने के प्रति गंभीर हैं तो ऐसा माहौल बनाएं कि पुलिस दबाव मुक्त होकर काम कर सके। पुलिस बलों का वेतन बढ़ाया जाए। रिक्तियों को केन्द्रीय पुलिस बल के 45 वर्ष से ज्यादा उम्र वाले पुलिस कर्मियों से भरा जा सकता है। ड्यूटी के दौरान उन्हें अतिरिक्त ट्रेनिंग दी जाए। पुलिस सुधार अब समय की मांग है, तभी जनता का भरोसा पुलिस पर बढ़ेगा और अपराधियों में डर पैदा होगा।

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