अदाणी फाउंडेशन का पोषण वाटिका पर एक दिवसीय प्रशिक्षण, कुपोषण दूर करने पर जोर

वैढ़न,सिंगरौली। माडा तहसील अंतर्गत कर्सुआलाल गांव में पोषण संबंधी जागरूकता अभियान के तहत अदाणी फाउंडेशन द्वारा पोषण वाटिका एवं सब्जी उत्पादन पर एक दिवसीय मुफ्त प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित किया गया। महान इनर्जेन लिमिटेड के सहयोग से अदाणी फाउंडेशन द्वारा गुरुवार को आयोजित इस कार्यशाला में कुल 50 स्थानीय पुरुष एवं महिलाओं ने हिस्सा लिया जिन्हें प्रशिक्षण दिया गया कि कैसे वे अपने आसपास बचे हुए जमीन के छोटे-छोटे हिस्से में पोषण वाटिका बनाकर सालों भर अपने घरों के लिए जरूरत की सब्जियां उगा सकते हैं। अदाणी फाउंडेशन के तरफ से मनोज प्रभाकर ने लाभार्थी ग्रामीणों को बताया कि सब्जियों में मौजूद पोषक तत्वों के कारण इसका सेवन हमारे स्वास्थ्य के लिए बहुत लाभदायक है। उच्च गुणवत्ता की सब्जियां प्राप्त करने के लिए एवं पौधों के अच्छे विकास के लिए पोषक तत्व प्रयोग करना बहुत जरूरी है। साथ ही सब्जियों एवं फसलों में पोषक तत्व की मात्रा को सस्ते एवं सरल तरीके से बढ़ाया जा सकता है।
कई बार जानकारी के अभाव में किसान सब्जी वाली फसलों में सूक्ष्म पोषक तत्व की कमी को अनदेखा कर देते हैं। जिसका सीधा असर फसल की पैदावार एवं गुणवत्ता पर होता है। अदाणी फाउंडेशन द्वारा महान इनर्जेन लिमिटेड के सहयोग से आनेवाले कुछ दिनों में प्लांट प्रभावित गांवों नगवा, खैराही और बंधौरा में भी पोषण संबंधी जागरूकता के लिए कई प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित किया जायेगा। इस मुहिम से 100 से ज्यादा स्थानीय लोगों को जोड़ने का लक्ष्य है जो घर-घर जाकर सभी ग्रामीणों को प्राकृतिक खेती के लिए जैविक खाद बनाने का तरीका सिखाने के साथ सम्बन्धित दवा एवं कीटनाशक बनाने का भी प्रशिक्षण देगा और इसके लिए प्रोत्साहित करेगा। इस कार्यक्रम में मुख्य रूप से पंचायत सरपंच प्रतिनिधि अंजनी प्रजापति, उपसरपंच सोहनलाल, पंचायत सचिव राम मनोहर साकेत, आजीविका मिशन कार्यकर्ता श्यामदास, ग्रामीण स्वरोजगार प्रशिक्षण संस्थान सदस्य रामकरण, कमलेश कुमारी, सत्यकुमारी देवी, प्रोजेक्ट ऑफिसर ऋषभ पांडेय एवं गांव के कई गणमान्य लोगों की उपस्थिति ने कार्यक्रम को सफल बनाया।
प्रशिक्षण का उद्देश्य सीमित संसाधन में घरेलू स्तर पर सालों भर ताजी सब्जियों के उत्पादन को बढ़ावा देना, पोषण सम्बन्धी आवश्यकताओं को पूरा करना और बाजार से सब्जियों की खरीद पर होने वाले खर्च को कम करना है। प्रशिक्षण के दौरान जलवायु अनुकूल फसल प्रणाली द्वारा पोषण प्रबंधन के साथ-साथ यह भी बताया गया कि कैसे जैविक खेती अपनाकर और जीवाणु खाद का उपयोग पोषण वाटिका में करके पौष्टिक सब्जियां उगाया जा सकता है। इस प्रशिक्षण में यह भरोसा दिलाया गया कि आर्थिक रूप से कमजोर होने और सीमित संसाधन होने के बावजूद भी सभी लोग कुपोषण से प्रभावशाली तरीके से लड़ सकते हैं और यह पोषण वाटिका का निर्माण और मौसमी सब्जी के पौधों को लगा कर किया जा सकता है। खास बात यह है कि पोषण वाटिका के लिए जमीन के किसी बड़े हिस्से की जरूरत नहीं है और इसका निर्माण अपने घरों के आगे या पीछे के छोटे से हिस्से में भी किया जा सकता है। बागवानी के लिए वाटिका लगाने और सब्जी उगाने जैसे ट्रेनिंग का स्थानीय लोगों ने स्वागत किया है और उनका भी मानना है कि इस तरह से उगाई जाने वाली सब्जियां पूरी तरह से जैविक और स्वास्थ्यवर्धक होंगी जो उन्हें कई रोगों से निजात दिलायेंगी साथ ही ऐसे कार्क्रमों में आगे भी सहयोग देने की बात कही।