मध्य प्रदेश

सिंगरौली जिले में भयावह रूप लेता जा रहा है पर्यावरण प्रदूषण

सीएम शिवराज ने भी माना सिंगरौली मध्य प्रदेश का सबसे प्रदूषित शहर

 

वैढ़न,सिगरौली। गोवर्धन पूजा के अवसर पर मप्र के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की उपस्थिति में कुशाभाऊ ठाकरे सभागार, भोपाल में पर्यावरण संरक्षण एवं प्राकृतिक खेती विषय पर एक कार्यक्रम का आयोजन किया गया। आयोजित कार्यक्रम का जिला सिंगरौली के कलेक्ट्रेट सभागार में लाइव प्रसारण देखा गया। कार्यक्रम के दौरान सीएम शिवराज सिंह चौहान ने सिंगरौली जिले के बढ़ते प्रदूषण पर चिंता जाहिर किया। सीएम शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि मध्य प्रदेश के सबसे ज्यादा प्रदूषित शहरों में सिंगरौली कटनी एवं ग्वालियर शामिल हंै। प्रदूषित शहरों में शुमार होने के बावजूद भी सिंगरौली जिले में अब तकजिम्मेदारों के द्वारा अब तक कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया है विगत दिनों हिंदुओं का पवित्र त्यौहार दीपावली के अवसर पर भारत देश के सर्वोच्च न्यायालय के द्वारा पर्यावरणीय विसंगतियों को लेकर पटाखों पर प्रतिबंध के संबंध में दिशा निर्देश जारी हुए थे सिंगरौली सहित कटनी और ग्वालियर में पटाखों पर प्रतिबंध लगाया गया। आपको बताते चलें कि असंतुलित पर्यावरण को लेकर एवं बढ़ते प्रदूषण के कारण अब लोगों को भी इससे अच्छी खासी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। गौरतलब हो कि सिंगरौली जिले में दर्जनों औद्योगिक इकाइयां स्थापित है इनमें से अधिकतर ऊर्जा उत्पादन के लिए जानी जाती हैं तो दूसरे कोयला उत्पादन के लिए। जिस तरह से सिंगरौली जिले में प्रदूषण का ग्राफ बढ़ा है वह अब चिंताजनक स्थिति में तब्दील होता जा रहा है। जिले के विभिन्न क्षेत्रों में प्रदूषण का कहर स्पष्ट तौर पर दिखाई पड़ता है। जिला मुख्यालय सहित आसपास के क्षेत्रों में आमतौर पर वृक्षों की पत्तियां हरी दिखाई पड़ती है परंतु संबंधित क्षेत्रों में अब वृक्षों की पत्तियां भी काली पड़ने लगी है। इतना ही नहीं जिले के रहवासियों को भी इसका खामियाजा भुगतना पड़ रहा है आमतौर पर घरों पर सुबह कोयले की काली परत दिखाई पड़ती है। क्षेत्र में तेजी से प्रदूषण फैलाने में सड़क मार्ग से हो रहे कोयला परिवहन को भी कम नहीं आंका जा सकता है। लगभग प्रतिदिन सैकड़ों की तादाद में ट्रकों के माध्यम से कोयला परिवहन किया जा रहा है। निर्धारित मानकों का पालन ना होने से जिन रास्तों से होकर यह कोयला लोड ट्रक गुजरते हैं वहां आसपास की क्षेत्रों में सड़कों सहित कोयले का अंबार नजर आने लगा है। कई इलाके तो ऐसे भी हैं जहां लोगों की थालियों में परोसे जाने वाला चावल भी कोल डस्ट के कारण काला पड़ जाता है और यह सब नजारा आमतौर पर मोरवा गोरबी कसर गोंदवाली बरगवां जैसे क्षेत्रों में देखने को मिल रहा है।

सिंगरौली का डीएमएफ फंड भी हुआ प्रदेश सरकार के अधीन

एक तरफ प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने भी माना कि सिंगरौली जिले में प्रदूषण की स्थिति बेहद चिंताजनक हो चुकी है तो वहीं दूसरी तरफ जिले से प्राप्त होने वाले रेवेन्यू एवं उस रेवेन्यू से प्राप्त हुए डीएमएफ की राशि जिले को विकसित एवं क्षेत्र विकास के लिए काफी महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाले इस राशि पर नजर लगने के बाद से अब डी एम एस की राशि को भी जिले के हाथ से छीन लिया गया। आपको बताते चलें कि लगभग कई सौ करोड़ रुपए जिले को विकसित करने के लिए डीएमएस की राशि प्राप्त होती थी।  परंतु जिले के सर्वांगीण विकास को लेकर अब इस राशि को तय करने का अधिकार स्वयं मुख्यमंत्री ने अपने हाथों में ले लिया है। इससे जिले की जरूरतों को पूरा करने में बेहद असर पड़ता भी दिखाई पड़ रहा है। सिंगरौली जिले में अभी भी कई मूलभूत सुविधाओं का अभाव देखा जा रहा है प्रदेश के 16 नगर निगम में से एक नगर निगम सिंगरौली जिले में भी है नगर निगम क्षेत्र में ही अब तक शहर के विकास में अपना महत्वपूर्ण योगदान निभाने वाली नालियों की भी दरकार है अब तक इस राशि से जहां सड़कों में नालियों एवं सड़कों का जाल बिछाया जा सकता था अब उसके लिए भी जिला मुख्यमंत्री की ओर टकटकी लगाकर देखने को मजबूर हो गया है। सिंगरौली जिले में सड़क बिजली पानी जैसी मूलभूत चीजों पर अभी भी काम होना बाकी है।

क्षेत्रीय प्रदूषण नियंत्रण कार्यालय की कार्यशैली सवालों के घेरे में

एयर क्वालिटी इंडेक्स के लगातार हाई रहने के उपरांत भी जिले में स्थापित क्षेत्रीय प्रदूषण नियंत्रण कार्यालय के जिम्मेदार अधिकारियों की कार्यशैली पर सवालिया निशान खड़ा कर रहा है। एक तरफ जहां विभागीय अधिकारियों पर यह जिम्मेदारी थी कि जिले में होने वाले प्रदूषण को नियंत्रित किया जाए तो वहीं दूसरी तरफ यह देखने में आ रहा है कि भले ही जिले में क्षेत्रीय प्रदूषण नियंत्रण कार्यालय की स्थापना कई वर्षों पहले हो चुकी है परंतु इस कार्यालय के स्थापित होने के बावजूद भी जिले में प्रदूषण का ग्राफ तेजी से बढ़ता जा रहा है। स्थितियां अब गंभीर होती नजर आ रही हैं परंतु लगातार बढ़ते प्रदूषण पर लगाम कस पाना शायद क्षेत्रीय प्रदूषण नियंत्रण कार्यालय के अधिकारियों के बस की बात नहीं है।

फ्लाई एस का प्रबंधन करने में नाकाम साबित हो रहे हैं प्रशासन एवं कंपनियां

सिंगरौली जिले में स्थापित कई विद्युत संयंत्रों से निकलने वाले फ्लाई एस का ठोस प्रबंधन नहीं हो पा रहा है। आमतौर पर बांध बनाकर इस फ्लाई एस का निष्पादन कंपनी को एकमात्र विकल्प सूझता है। परन्तु अब तक जिले में हजारों टन फ्लाई एश इक_ी हो चुकी है एवं आम तौर पर तेज हवाओं के साथ यह जहरीली राख आसपास के क्षेत्रों में लोगों का जीना मुहाल कर रखा है।  जिस तादात में यह रात दिन राख निकल रही है उसका सही तरीके से प्रबंधन ना होने के कारण अब यह फ्लाईऐश जिले के लिए मुसीबत बन बैठा है। आमतौर पर जितने भी फ्लाई एस को डंप करने के लिए बड़े स्तर पर तालाब बनाए गए हैं वह सभी लबालब लगभग भर चुके हैं तो वहीं दूसरी तरफ कंपनियों के इन राख डैम के फूटने की भी घटनाएं निकल कर सामने आ चुकी है। जिससे जान माल का भी भारी नुकसान हुआ था। यदि ऐसा ही चलता रहा तो आने वाले दिनों में सिंगरौली जिला सिर्फ एक राख का ढेर ही नजर आएगा।

पर्यावरण संरक्षण मुक्तिधाम में पौधे लगाने तक ही है हो गया सीमित

पर्यावरण को संरक्षित करने की दिशा में जिला प्रशासन सहित समाजसेवियों के द्वारा पर्यावरण संरक्षण के नाम पर मात्र मुक्तिधाम पर ही पौधे लगाने का क्रम जारी है। हालांकि जिले में स्थापित दर्जनों औद्योगिक इकाइयों के द्वारा वृक्षारोपण के नाम पर कोरमपूर्ती तो की जा रही है परन्तु शायद कंपनियों एवं जिला प्रशासन को फ्लाई एस के संबंध में सिर्फ इतना ही ज्ञात हो पाया है कि यह पौधे राख के ढेर को खत्म कर सकते हैं जो कि वैज्ञानिक तथ्यों को भी दरकिनार कर रहा है। सिंगरौली जिले के पर्यावरण के प्रदूषण का मुख्य श्रोत है फ्लाई ऐश तथा कोल डस्ट जिसको खत्म करने के लिए अब तक जो भी प्रयास किये जा रहे हैं वह नाकाफी साबित हुये हैं।

यह समाचार पढिए

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button
Live TV