पुलिस की निष्कृयता रंग लायी ,चला बलुआ चली टंगारी

काल चिंतन कार्यालय
वैढ़न,सिंगरौली। थाना गढ़वा क्षेत्र के तहत संचालित पुलिस चौकी नौडिहवा के तमई नामक गांव में गत २४ अक्टूबर को दो पक्षों के बीच जमकर लाठी, डंडा, बलुआ तथा टंगारी चले जिसमें आधे दर्जन के करीब लोग गंभीर रूप से घायल हो गये। उक्त वारदात को पुलिस की निष्कृयता के चलते घटित होना कहा जा सकता है।
२४ अक्टूबर की सुबह छ: बजे सुरेश केवट पिता झब्बूलाल केवट अपने घर से बाहर जा रहा था कि उसे लल्लू केवट ने बलपूर्वक रोक दिया तथा उसके साथ अपशब्द बोलकर अभद्रता की। मना करने पर लल्लू केवट ने सुरेश को लाठियों से पीटा। बीच बचाव करने झब्बू लाल, भाई विशेश्वर, भाभी छम्मू देवी, माँ पंचवटी देवी आये। इन्हें आता देखकर अशर्फी केवट, बाले केवट, शंकर केवट ने उनके साथ भी बलुआ, टांगी एवं डंडे से मारपीट किया। शिवशंकर पाल, रामनारायण पाल के बीच बचाव से मारपीट बंद हुयी। उक्त मारपीट की तह में जाने पर जो बात सामने आती है उससे पुलिस की निष्कृयता स्पष्ट होती नजर आती है। बताते हंै कि तमई गांव की आराजी नंम्बर ८०३ पर बलपूर्वक कब्जा कर लेने के बाद आराजाी नंबर ८०३ के अंस रकवा ३गुणे १२ वर्गफीट पर भी अनावेदकों द्वारा पक्का मकान बनाने हेतु कब्जा किया जा रहा था। अनावेदकगण लल्लू केवट, बाले केवट, शंकर केवट द्वारा मकान बनाकर सरकारी जमीन पर कब्जा किया जा रहा था। जिसकी सूचना नौडिहवा पुलिस चौकी में बटेश्वर केवट ने जाकर दी। पुलिस का कहना है कि आरक्षक दिलीप तिवारी ने जाकर के निर्माण कार्य रोका। तिवारी के वापस आने पर मकान पूर्ववत बनने लगा। उसकी पुन: सूचना देने जब बटेश्वर केवट पुलिस चौकी गया तो बकौल बटेश्वर केवट दिलीप तिवारी ने उसे पटक-पटककर मारा और आठ बजे तक पुलिस चौकी में बैठाये रखा। आवेदक खुद पुलिसिया जुर्म का शिकार हुआ। उक्त घटना के ठीक दूसरे दिन मारपीट घटित हो गयी। जबकि उसकी पूर्व सूचना गढ़वा थाना को भी दी गयी थी।
बताते चलें कि तमई गांव का आराजी नंबर ८०३ जिसपर की प्रधानमंत्री आवास बन रहा था उसे ध्वस्त करने के लिए वृत्त कोरावल तहसील चितरंगी केनायब तहसीलदार ने २०/०७/२२ को आदेश जारी किया था। लेकिन राजस्व विभाग के ताकीद व निवेदन के बावजूद पुलिस विभाग ने अपना बल उक्त मकान को ध्वस्त करने के लिए नहीं दिया। पुलिस के निहित स्वार्थ के चलते अनावेदकगणों ने रकवा ८०३ के अंश भाग पर भी अतिक्रमण करने की हिमाकत की जिसकी शिकायत का नतीजा यह हुआ कि प्राणघातक हमले किये गये।
अनावेदकगणों ने तत्संबंधी सूचना पुलिस अधीक्षक कार्यालय में भी लिखित रूप से आवक जावक विभाग में दी। बताते हंै कि अभी भी आवेदकों के ऊपर जानलेवा खतरा मंडरा रहा है लेकिन पुलिस घटना की कार्यवाही में दोपक्षीय मुकदमा कायम करके अपने कर्तव्य से इतिश्री कर ली है।