समूह लील रहे हैं बच्चें का नेवाला
जिम्मेदार पदाधिकारी भी हमसफर-हमनिवाला, मामला शहरी आंगनवाड़ी केन्द्रों का

काल चिंतन कार्यालय
वैढ़न,सिंगरौली। कुपोषित बच्चों तथा गर्भवती महिलाओं के पोषण के लिए केन्द्र सरकार द्वारा चलायी गयी योजना के तहत जिले में आंगनवाड़ी केन्द्रों में पोषक आहार पहुंचाने की प्रक्रिया चलायी जा रही है। सरकार ने इस निमित्त स्व सहायता समूहों को चिन्हित करके उन्हें काम दिया है। सरकार तथा प्रशासन का मानना है कि जो लोग स्थानीय स्तर पर समूह का संचालन कर रहे हैं उनके द्वारा पोषक आहार समुचित रूप से निर्धारित मापदण्डों के अनुसार बच्चो तथा गर्भवती महिलाओं तक पहुंचेगा लेकिन नतीजा इसके विपरीत देखा जा रहा है।
जिले में लगभग 140 आंगनवाड़ी केन्द्र हैं। इन केन्द्रों के आस-पास के इलाकों में जो कुपोषित बच्चे हंै जिनकी उम्र तीन से छ: वर्ष के लगभग है उन बच्चों को पोषक आहार पहुंचाने की बात सरकार की मंशा है। जिले में जितने आंगनवाड़ी केन्द्र हैं उनमें बच्चों की जो संख्या बतायी जा रही है उतने बच्चे आंगनवाड़ी केन्द्रों में आकर सरकार की मंशा के अनुसार पोषक आहार नहीं पा रहे हैं। संचालित स्व-सहायता समूहों द्वारा इन आंगनवाड़ी केन्द्रों को धंधा बनाया जा रहा है। पोषक आहार पहुंचाने की प्रक्रिया में जिस प्रकार की कोताही बरती जा रही है। उससे सरकार की मंशा धराशायी होती नजर आ रही है।
काल चिन्तन टीम ने शहरी इलाकों में संचालित आंगनवाड़ी केन्द्रों का औचक निरीक्षण् किया। पाया गया कि इन आंगनवाड़ी केन्द्रों में कहीं आंगनवाड़ी कार्यकर्ता नहीं हैं तो कहीं आंगनवाड़ी सहायिका नहीं हैं। जिसके कारण बच्चों का आवागमन संख्या के अनुसार नहीं हो रहा है। जहां चालिस बच्चों की संख्या बतायी जा रही है। वहां चार या पांच बच्चे पोषक आहार ग्रहण करने के लिए देखे गये। मजे की बात यह है कि सरकार की निर्देशिका में हफ्ते के अनुसार हर दिन का पोषण आहार की मीनू बनायी गयी है जैसे सोमवर को रोटी, सब्जी,दाल, मंगलवार को खीर, पूड़ी, आलू मटर, चने की सब्जी, बुधवार रोटी, सब्जी दाल, गुरूवार को वेज पुलाव, पकौड़े वाली कढ़ी, शुक्रवार को रोटी, सब्जी दाल, शनिवार को चावल और सांभर परोसने का निर्देश है। इन भोजनों में पंद्रह से बीस ग्राम प्रोटीन तथा पांच सौ कैलोरी देने का प्राविधान है। आंगनवाड़ी केन्द्रों में बलियरी, ढोंटी, शाहपुर, नवजीवन बिहार सेक्टर नंबर दो एवं सेक्टर नंबर चार, जमुआ का निरीक्षण करने पर पता चला कि मीनू के अनुसार भोजन नहीं परोसा जा रहा है और ना ही बच्चों की संख्या आंगनवड़ी केन्द्रों में दिख रही थी। जबकि पूरी संख्या के आधार पर समूहों द्वारा बिल बनाया जा रहा है।
आंगनवाड़ी केन्द्रों में सरकार द्वारा नियत किया गया है कि बच्चों को नाश्ते की भी व्यवस्था की जाये। रेडी टू ईट सुबह का नाश्ता रेसिपी के अनुसार सोमवार को मीठी लस्सी, मंगलवार को पोष्टिक खिचड़ी, बुधवार को मीठी लस्सी, गुरूवार को नमकीन दलिया, शुक्रवार को उपमा तथा शनिवार को मीठी लस्सी देने का सरकारी निर्देश है लेकिन किसी भी आंगनवाड़ी केन्द्र में नाश्ता नहीं परोसा जा रहा है। बच्चों को जो भोजन परोसा जा रहा है उसमें प्रतिदिन चावल दाल या चावल सब्जी या कढ़ी ही परोसा जा रहा है। जिससे सरकार द्वारा प्रदत्त गेंहूं तथा चावल भारी मात्रा में बच रहा है जिसका दुरूपयोग समूहों द्वारा निहित स्वार्थ सिद्धि में किया जा रहा है। सारा गेहूं और चावल मार्केट में बेंचा जा रहा है।
गौरतलब है कि हर आंगनवाड़ी केन्द्रों में सेक्टरवाइज सुपरवाइजर होता है। सर्वेक्षण के दौरान इनकी सर्वथा अनुपस्थिति पायी गयी। महिला बाल विकास विभाग के शहरी परियोजना अधिकारी द्वारा सारे क्रियाकलापों को जानते हुये भी अनदेखा किया जा रहा है। परियोजना अधिकारी पर कमीशनखोरी के भी आरोप लगाये जा रहे हंै तथा बताया जाता है कि वे कई वर्षों से एक ही स्थान पर पदस्थ हैं।