मध्य प्रदेश

जननायक को सिंगरौली ने किया नमन

कलेक्टर, कमिश्नर सहित जनप्रतिनिधियों ने भगवान विरसा मुण्डा के जन्मदिवस पर बिरसा मुण्डा चौपाटी जाकर दी श्रद्धांजलि

 

काल चिंतन कार्यालय
वैढ़न,सिंगरौली।  भगवान बिरसा मुंडा की जयंती हर साल 15 नवंबर को मनाई जाती है। इस अवसर पर प्रदेश स्तरीय जनजाति गौरव दिवस कार्यक्रम का आयोजन शहडोल में महामहिम राष्ट्रपति श्रीमती द्रोपदी मूर्मू के मुख्य अतिथि में आयोजित किया जा रहा है। वही सिंगरौली जिले में भगवान बिरसा मुण्डा के जयंती के अवसर पर कलेक्टर श्री अरूण कुमार परमार एवं आयुक्त नगर निगम श्री पवन कुमार सिंह के द्वारा चौपाटी पर स्थापित भगवान बिरसा मुण्डा के मूर्ति पर माल्यापर्ण कर उन्हे श्रद्धांजली दी गई। इस अवसर पर नगर निगम के कार्यपालन यंत्री व्हीपी उपाध्याय, सहित नगर निगम के अधिकारी कर्मचारी एवं सामाजसेवी उपस्थित रहे।
जन-नायक भगवान बिरसा मुंडा का जन्म 15 नवम्बर 1875 को झारखंड के उलीहातु गाँव में हुआ। वे अपने समाज की ब्रिटिश शासकों द्वारा की गई दशा को लेकर चिंतित रहते थे। अपने कार्यों से बिरसा मुंडा अपने क्षेत्र में धरती आबा यानी धरती पिता हो गए थे। राष्ट्रीय आंदोलन में अग्रणी भूमिका निभाकर देशभक्ति की अलख जगाने वाले धरती आबा बिरसा मुंडा को इस क्रम में भगवान माना जाने लगा। अक्टूबर 1894 को भगवान बिरसा मुंडा ने अंग्रेजों से लगान माफी के लिए आंदोलन किया। वर्ष 1897 से 1900 के बीच मुंडाओं और अंग्रेज सिपाहियों के मध्य युद्ध होते रहे और बिरसा मुंडा के नेतृत्व में मुंडाओं ने अंग्रेजों को नाको चने चबवा दिए। मार्च 1900 में चक्रधरपुर में बिरसा मुंडा एक जन-सभा को संबोधित कर रहे थे, तभी उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया। भगवान बिरसा मुंडा ने अपनी अंतिम साँस 9 जून 1900 को रांची कारागार में ली।

आम आदमी पार्टी ने मनाई भगवान बिरसा मुंडा जी की जयंती

काल चिंतन कार्यालय
वैढ़न,सिंगरौली। आम आदमी पार्टी जिला सिंगरौली के द्वारा महान जननायक क्रांति सूर्य भगवान बिरसा मुंडा जी की जयंती के अवसर पर उनकी प्रतिमा पर माल्यर्पण करके श्रद्धा सुमन अर्पित किये,इस दौरान आम आदमी पार्टी की प्रदेश उपाध्यक्ष एवं सिंगरौली महापौर श्रीमती रानी अग्रवाल जी ने कहा कि आज हम सब को भगवान बिरसा मुंडा जी के पदचिन्हों पर चलना है ताकि हमारी जल जंगल और जमीन बची रहें,जिस तरह से भगवान बिरसा मुंडा जी ने देश की आजादी के लिए अंग्रेजों से लड़े मैं उनको सत सत प्रणाम करती हूँ, जिलाध्यक्ष राजेश सोनी ने कहा कि भगवान बिरसा मुंडा जी से आज के युवाओं को प्रेरणा लेना चाहिए कि भगवान बिरसा मुंडा जी ने 20 वर्ष की उम्र में अपने युवा अवस्था मे अंग्रेजों के खिलाफ में उलगुलान का आगाज कर दिया था उसी तरह से आज हम सभी युवा भाईयों को अपने हक की लड़ाई लड़नी पड़ेगी,भगवान बिरसा मुंडा जी जयन्ती के अवसर पर सिंगरौली महापौर श्रीमती रानी अग्रवाल जी,जिलाध्यक्ष राजेश सोनी,संगठन मंत्री कुंभेश्वर जायसवाल,जिला सचिव दिलीप मिश्रा,महिला जिलाध्यक्ष अनिता वैश्य,कोषाध्यक्ष श्याम सुंदर विश्वकर्मा एवं अनेक पदाधिकारी कार्यकर्ता मौजूद रहे।

जननायक भगवान विरसा मुण्डा को कांग्रेस पार्टी पदाधिकारियों ने दी श्रद्धांजलि

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वैढ़न,सिंगरौली। जनजाति वर्ग के भगवान बिरसा मुंडा की जयंती पर कांग्रेस पार्टी के पदाधिकारियों ने भगवान विरसा मुंडा चौपाटी पर पहुंचकर उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित किया। पत्रकारों को संबोधित करते हुए भारत जोड़ो यात्रा के जिला समन्वयक परिवहन प्रकोष्ठ मध्य प्रदेश कांग्रेस पार्टी के प्रदेश उपाध्यक्ष ज्ञानेंद्र सिंह ज्ञानू ने कहा कि ,भगवान बिरसा मुंडा की आज 15 नवंबर को जयंती है। आज ही के दिन वर्तमान झारखंड के खूंटी जिले के उलिहातु गांव में 15 नवंबर 1875 को उनका जन्म हुआ था। अंग्रेजों के शोषण के खिलाफ आंदोलन करने वाले बिरसा मुंडा अपनी शहादत के बाद भगवान का दर्जा प्राप्त किए। आदिवासी समाज के लोग उन्हें भगवान की तरह पूजा करते हैं। उनका नारा था- रानी का राज खत्म करो, हमारा साम्राज्य स्थापित करो। वह मुंडा आदिवासी समाज से आते थे। झारखंड में उन्हें लोग धरती आबा के नाम से पुकारते हैं। झारखंड के अलावा बिहार, पश्चिम बंगाल, छत्तीसगढ़, मध्यप्रदेश आदि आदिवासी बहुल राज्यों में भगवान बिरसा मुंडा को लोग सबसे बड़े क्रांतिकारी के रूप में जानते हैं। अंग्रज शासक उनके नाम से थर्रा उठते थे। जब उनका जन्म हुआ तब उलिहातु गांव रांची, झारखंड का हिस्सा हुआ करता था। झारखंड अगल राज्य की स्थापना के बाद वह झारखंड के ब्रांड बन गए। हर जगह यहां बिरसा मुंडा के नाम पर धरोहर देख सकते हैं। उनकी कई यादों को झारखंड सरकार ने सहेज रखा है, जिसे देखने के लिए देश-विदेश से लोग आते हैं। ब्रिटिश शासन काल में अंग्रेज आदिवासियों पर जुल्म बरपाया करते थे। न सिर्फ उनकी संस्कृति को नष्ट कर रहे थे, बल्कि उनके साथ बुरा बर्ताव भी किया करते थे। आदिवासियों पर मालगुजारी को बोझ लाद दिया था। आदिवासी महाजनों के चंगुल में फंसते जा रहे थे। उनके खेत-खलिहान पर अंग्रेजों का कब्जा होता जा रहा था। बिरसा मुंडा को यह देखकर बुरा लगा। उन्होंने अंग्रेजों के खिलाफ आंदोलन का बिगुल फूंक दिया। हालांकि यह आंदोलन पहले ही शुरू हो गया था, बिरसा मुंडा ने इस आंदोलन को ऊंचाई प्रदान की।

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