रंग अशोक में बघेली लोक नाटक ‘छाहुर’ का हुआ मंचन

सीधी।संस्कृति मंत्रालय भारत सरकार के सहयोग से ज़िले के वरिष्ठ रंगकर्मी स्व. अशोक तिवारी को समर्पित चार दिवसीय राष्ट्रीय नाट्य समारोह का “रंग अशोक” आयोजन रंगदूत द्वारा किया जा रहा है। इस चार दिवसीय आयोजन में 20 नबम्बर की रात को सघन ,भोपाल की प्रस्तुति छाहुर नाटक का मंचन हुआ । जिसका निर्देशन आनंद मिश्रा ने किया है । छाहुर मध्य प्रदेश के बघेलखण्ड का प्रचलित लोकनाट्य है। जो दीपावली से गोपाष्टमी के मध्य खेला जाता है। यह मूल रूप से गायिकी अन्दाज़ में किया जाता है। इस नाटक की शुरुआत शारदामाता के अनुष्ठान से होती है।
छाहुर का जन्म होता है और वो बड़ा होता है एक साल राज्य में अकाल पड़ता है और राजा कर वसूल करने के लिए अपने गन्नी से कहता है। मंन्त्री सिपाही से मुनादी करवाता है कि सब लोग समय पर कर दे लेकिन छाहुर इसका विरोध करता है तो राजा उसको दण्ड देता है और उसकी सब गाय भैंस हकवा लेता है। इससे उसका परिवार परेशान हो जाता है। छाहुर अपनी गाय भैसों को वापस लाने के लिए भेष बदलकर राजा के यहा जाता है वहीं पर छाहुर को राजा की बेटी बबुली मिलती है और ओ छाहर को काम पर रखवा लेती है। काम करते- करते दोनों के बीच प्रेम हो जाता है बबुली छाहुर के साथ भागने के लिये कहती है लेकिन छाहुर मना कर देता है और बबुली से वादा करता है कि वो उसको ब्याह कर ले जायेगा । छाहुर समय देख कर अपनी गाय भैंस लेकर चला जाता है।
इस नाटक में मुख्य रूप से,विशाल आचार्य, अधिराज सिंह, शिवेन्द्र सिंह,नितिन,मोनिका विश्वकर्मा,भूमिका ठाकुर,यश बलोदिया,मनु कुमार,साक्षी शुक्ला,अभय पाण्डेय, प्रभाकर द्विवेदी,आमिर रज्जाक,मुकेश गौर,हेमराज तिवारी, मनीष राधेश्याम, प्रफुल्ल तिवारी, शैलेन्द्र रघुवंशी, मनु,आनन्दी मिश्रा, श्रेया, जयाश, हर्षल, ऋषि आदि ने प्रभावी अभिनय किया।दर्शकों ने नाटक की भूरि भूरि प्रशंसा की, रंगदूत को दर्शकों का अपार स्नेह मिलता रहा है,और लगभग 60 से अधिक दर्शकों ने टिकट लेकर नाटक देखा । अंत मे समाजसेवी डॉ अनूप मिश्रा ने आनंद मिश्रा को स्मृति चिन्ह और गुलदस्ता भेंट किया । संस्था के प्रमुख प्रसन्न ने बताया की अभी यह आयोजन 22 नबम्बर तक है जिसका समय शाम 6:30 बजे है। टिकट 50 रुपये रखा गया है। प्रसन्न ने सभी दर्शकों से अपील की आप सभी इस कार्यक्रम का हिस्सा बने,और नाटक देखने जरूर पधारें।