अब तो बन्द करो! दम घुटने लगा है

आर.के.श्रीवास्तव
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काल चिन्तन,सिंगरौली। श्रृींगी ऋषि की सिंगरौली अब रहने के काबिल नहीं रही। अब तो बन्द करो। दम घुटने लगा है। सिंगरौली की जनता के मुख से अनायास यह शब्द सुने जा रहे हैं। सिंगरौली की सड़कें आवासीय परिसर, जंगल, मंदिर, मस्जिद, गुरूद्वारे हर जगह की हवा दम घोटू हो गयी है। लोग सिंगरौली जिले में ब्याप्त वायु प्रदूषण से उकता गये हैं। लेकिन शासन प्रशासन एवं प्रबंधन के कानों पर जूं तक नहीं रेंग रही है। शासन को टैक्स चाहिए। प्रशासन को सुविधाएं तथा प्रबंधन को रिकार्ड उत्पादन। कोल मंत्रालय की तरफ से कोल इंडिया पर टारगेट बढ़ाने का दबाव बनाया जा रहा है। ज्यों-ज्यों टारगेट बढ़ रहा है। एनसीएल अपना रफ्तार तेज कर रहा है और कोयले का जितनी रफ्तार से उत्पादन हो रहा है उसके चार गुने अनुपात में जिले की हवा प्रदूषित हो रही है। यहां के बुद्धिजीवी अब प्रदूषण के खिलाफ आन्दोलन करके आर-पार की लड़ाई लड़ने के मूड में आ गया है।
कलेक्टर सिंगरौली ने गत दिनों औद्योगिक प्रबंधन के साथ एक बैठक की और कहा कि स्वच्छ एवं प्रदूषणमुक्त सिंगरौली बनाने के लिए औद्योगिक प्रबंधन जरूरी कार्यवाही करें। कलेक्टर ने कहा कि हम सब को मिलकर सिंगरौली जिले को स्वच्छ एवं प्रदूषण मुक्त बनाने के लिए कार्य करना होगा। बैठक में केन्द्रीय रिजनल अधिकारी श्री पी.जगन भी बैठक में उपस्थित थे। उन्होने माना कि रिजरवायर, नदी, नाले, जंगल तथा अन्य प्राकृतिक स्थलों पर जल एवं वायु प्रदूषण तेजी से हावी हो चुका है। यहां रोकथाम की निहायत जरूरत है। उन्होने कहा कि उनके द्वारा क्षेत्र का भ्रमण किया गया जिसमें वायु एवं जल प्रदूषण के रोकथाम के लिए शीघ्र कार्य करने की आवश्यकता है। उन्होने बताया कि एमपी एवं यूपी में कार्यरत कंम्पनियो का प्रदूषित जल बलिया नाला सहित रिहन्द बाध एवं अन्य नदी नालो का जल प्रभावित हो रहा है। इसके रोकथाम के लिए संबंधित कम्पनियो को ठोस कदम उठाना आवश्यक है। साथ ही रेलवे साईडिंगो में काफी एयरडस्ट उड़ने की वजह से प्रभाव पड़ रहा है। अपने चिर परिचित अंदाज में बैठक में मौजूद एनसीएल प्रबंधन ने अमलोरी, जयंत, दुद्धिचुआ परियेाजनाओं से बहने वाले औद्योगिक कचरे को बंद करने के प्रयासों की चर्चा की। ऐसी बैठकें दसकों से हो रही हैं लेकिन प्रदूषण सुरसा की तरह निरंतर मुंह बाये जा रहा है।
प्रदूषण पर लगाम कसने वाली संस्था सिंगरौली पहुंचते ही निष्कृत हो जाती है। उदाहरण के तोर पर एनजीटी ने निर्देश दिया था कि सड़क मार्ग से कोयले का परिवहन बंद किया जाये लेकिन एनजीटी अपने ही आदेशों का पालन कराने में आज तक सफल नहीं हो सकी। प्रदूषण के फैलने के कारणों में कोयले का सड़क परिवहन मुख्य कारण है। इस बात को कोल इंडिया के चेयरमैंन भी स्वीकार कर चुके हैं। एनसीएल प्रबंधन पानी के छिड़काव की औपचारिकता करके अपने कर्तव्यों से मुक्त हो जाता है। इस बात का सबूत बलिया नाला की डस्ट है, जो उसमें कई फीट तक जमा है। इसी रास्ते से कोयला तथा विषाक्त केमिकल रिहंद के पानी को समर्पित किये जाते हैं और जल का एक मात्र बड़ा श्रोत कोयला तथा धूल के जमाव से अपनी छमताएं खो रहा है एवं जल का जानलेवा प्रदूषण हो रहा है जो आने वाले दिनों में चिंता का वायस बनेगा।
अपने बिजली उत्पादन से देश की राजधानी को रोशन करने वाली सिंगरौली में प्रदूषण किस खतरनाक स्तर तक पहुंच गया है वह एक रिपोर्ट से और स्पष्ट होता है। सेंट्रल पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड ने हाल ही में देश के सबसे प्रदूषित शहरों में सिंगरौली का भी नाम जोड़ा है। उक्त लिस्ट के अनुसार बिहार का मोतिहारी, बिहार का पुर्णिया, बेतिया, सिवान, अररिया, कटिहार, सहरसा, समस्तीपुर, दरभंगा, बक्सर, हिरास, फतेहाबाद, दिल्ली तथा सिंगरौली का नाम अंकित है।
सिंगरौली का औसत वायु गुणवत्ता सूचकांक खतरे की घंटी बजा रहा है। सिंगरौली जिले में निवास करने वाले हर परिवार के घर में हार्ट तथा फेफड़े का एक एक्यूट पेशेंट पाया जा रहा है। पैदा होने वाले बच्चे यह बीमारी लेकर ही पैदा हो रहे हंै। वायु में जो पार्टिकल्स उड़ रहे हैं उनका आकार इतना माइन्यूट हो चुका है कि वे हार्ट की आर्टिलरी में भी प्रवेश कर जा रहे हैं। दमा, खांसी, अस्थमा, ब्लाकेज, डायबिटिज जैसी बीमारियां सिंगरौली में आम हो चुकी हैं।