
काल चिंतन कार्यालय
वैढ़न,सिंगरौली। एकीकृत महिला बाल विकास योजना के तहत बच्चों को पोषण आहार देने का जिला प्रशासन का प्रयास लगभग विफल होता नजर आ रहा है क्योंकि आंगनवाड़ी केन्द्रों में तैनात आंगनवाड़ी कार्यकर्ता एवं सहायिका केन्द्रों पर रहती नहीं हैं। जिले के नगर निगम क्षेत्रों में क्रियाशील आंगनवाड़ी केन्द्र लगभग बन्द रहते हैं। जिससे समूहों के तहत भोजन देने की व्यवस्था पूरी तौर पर धराशायी नजर आ रही है।
काल चिन्तन टीम द्वारा किये गये सामान्य सर्वेक्षण में पता चला कि पंजरेह वार्ड क्रमांक २ का केन्द्र बन्द मिला। यहां पर दशमतियां स्व-सहायता समूह को भोजन देने की जिम्मेदारी दी गयी है। इसी प्रकार मुड़वानी जयंत स्थित आंगनवाड़ी केन्द्र भी बन्द मिला। यहां पर पहाड़ी महिला स्व-सहायता समूह मुहेर को पोषण आहार (भोजन)पहुंचाने की जिम्मेदारी दी गयी है। इसी प्रकार कुम्हार बस्ती मेढ़ौली वार्ड क्रमांक दस का भी आंगनवाड़ी केन्द्र बन्द मिला। यहां पर सविता पटेल नामक आंगनवाड़ी कार्यकर्ता मौके पर मौजूद नहीं थी। यहां पर नारी शक्ति स्व-सहायता समूह द्वारा भोजन पहुंचाने की जिम्मेदारी दी गयी है। इन सारे केन्द्रों पर भोजन व नाश्ता नहीं पहुंच रहा है। इसी प्रकार पंजरेह बस्ती में स्थित आधा दर्जन आंगनवाड़ी केन्द्रों में भी ताला लटका मिला। यहां भी बुधवार के दिन स्व-सहायता समूहों द्वारा भोजन नहीं पहुंचाया गया। इसी प्रकार मनोकामना स्व-सहायता समूह, गायत्री स्व-सहायता समूह नवजीन बिहार द्वारा जिन-जिन केन्द्रों में भोजन व सुबह का नाश्ता पहुंचाने की जिम्मेदारी दी गयी है वहां भोजन एवं सुबह का नाश्ता नहीं पहुंच रहा है। इसी प्रकार सप्ताह में मंगलवार के दिन गर्भवती, धात्री महिलाओं एवं तीन से छ: साल तक के बच्चों को पूड़ी, खीर का भोजन पहुंचाये जाने का निर्देश है लेकिन स्व- सहायता समूहों द्वारा यह जिम्मेदारी न निभाकर सरकारी पैसे को अपनी तिजोरी में भरा जा रहा है।
एकीकृत महिला एवं बाल विकास योजना केन्द्र सरकार की योजना है। बजट भी केन्द्र सरकार देती है। लेकिन उसके क्रियान्वयन की जिम्मेदारी जिला प्रशासन एवं संबंधित विभाग की है। बताते हैं कि संंबंधित विभाग के जिम्मेदार लोगों तक स्व-सहायता समूहों द्वारा अच्छा खासा सुविधा शुल्क पहुंचा दिया जाता है जिससे बच्चों का नुकसान तो हो ही रहा है, योजना की ऐसी तैसी भी हो रही है।