मध्य प्रदेश

MP में अनोखी शादी: बछड़े-बछिया 36 गुण मिले, सात फेरे करवाए, यह है पूरा मामला

 

खरगोन. मध्य प्रदेश के खरगोन का प्रेमनगर गांव इन दिनों चर्चा में है. कारण यहां हुई एक अनोखी शादी. यहां गाय के बछड़े और बछिया ने सात फेरे लिए और दोनों एक-दूजे के हो गए. शादी में घराती-बराती समेत पूरा गांव शामिल हुआ. दूल्हा-दुल्हन के पंडित ने गुण मिलाए. साथ ही हल्दी, मेहंदी, संगीत से लेकर शादी की सभी रस्में निभाई गईं. गाजे-बाजे के साथ नारायण (बछड़ा) बारात लेकर लक्ष्मी (बछिया) के घर पहुंचा. यहां बारात का स्वागत सत्कार हुआ.

प्रेमनगर निवासी ज्योति लिमये ने बताया कि उन्हें शुरू से गो-सेवा में रुचि है. एक गाय पालने के लिए खरीदी, जिसका नाम रखा कंचन. कुछ दिनों बाद कंचन ने एक बछिया को जन्म दिया. नाम रखा मौनी. मौनी के जरिए परिवार में एक बछड़े का जन्म हुआ. यही है मेरा नारायण. लिमये ने बताया कि उनके पति प्रदीप लिमये एलआईसी में काम करते थे. ऐच्छिक सेवानिवृत्ति के बाद हम दोनों गो-सेवा करने लगे. 2021 में वे हमारे बीच नहीं रहे. मेरी एक बेटी है, जिसकी शादी हो गई. पति की मौत के बाद मौनी और नारायण ही मेरा सहारा थे.

बेटे की तरह शादी करने की मन में थी इच्छा

नारायण से ज्योति को इतना लगाव था कि उसे देखकर उन्हें ऐसा लगता कि वह मेरा बेटा है. बेटे की शादी का ख्याल मन में पलने लगा. वह उसकी शादी धूमधाम से करना चाहती थीं. हालांकि वे अपने मन की बात किसी से कह नहीं पा रही थी. शादी के लिए एक बछिया की जरूरत थी. उन्होंने चुपचाप इसकी तलाश भी शुरू कर दी.
करीब तीन महीने पहले प्रेमनगर निवासी मुकेश धनगर से उनका संपर्क हुआ. बात निकली तो पता चला उनके घर एक बछिया है, जिसका नाम लक्ष्मी है. उन्होंने लक्ष्मी को बहू बनाने का सपना देखना शुरू कर दिया. बातों-बातों में उन्होंने मुकेश से अपने नारायण के लिए लक्ष्मी का हाथ मांगा. उन्होंने कहा- वह अपनी लक्ष्मी को उन्हें बेच दें, जिससे नारायण का वह घर बसा सकें. मुकेश ने यह कहते हुए बछिया लक्ष्मी को बेचने से मना कर दिया कि उन्होंने उसे बेटी की तरह पाला है.

बेटी की तरह करेंगे घर से विदा

ज्योति की बात सुनकर मुकेश के मन में भी लक्ष्मी को बेटी की तरह विदा करने का ख्याल आने लगा. मुकेश ने ज्योति की कही बात अपनी पत्नी मधुबाई ने शेयर की. मुकेश और मधुबाई की कोई संतान नहीं है. उन्हें एक बेटा हुआ, लेकिन अस्पताल में ही उसकी मौत हो गई थी. उन्होंने संतान मोह से निकलकर पूरा समय गो-सेवा के कार्य में लगाना शुरू कर दिया था.
उनके घर काली नाम की एक गाय थी. काली ने एक बछिया को जन्म दिया. जिसका नाम हमने लक्ष्मी रखा. लक्ष्मी ने भी एक बछिया को जन्म दिया. हमने उसका नाम सिद्धि रखा. सिद्धि को भी हम प्यार से लक्ष्मी पुकारते थे. हमने लक्ष्मी को बेटी की तरह पाला है. जब ज्योति का लक्ष्मी के लिए रिश्ता आया तो हमने भी उसकी शादी धूमधाम से करने का सोना. उसे बेटी की तरह की तरह कन्यादान कर विदा करने का मन हुआ. शादी में कोई कमी नहीं रह जाए, इसका भी हमने पूरा ध्यान रखा.

किसी ने हंसी उड़ाई तो किसी ने तारीफ की

मुकेश ने बताया कि जब तीन महीने पहले नारायण और लक्ष्मी की शादी रचाने की बात पक्की हुई तो किसी ने हमारी हंसी उड़ाई तो किसी ने इसे गौ-सेवा का बेहतर उदाहरण बताया. बात पक्की होने के बाद शादी की तारीख निकाली गई. परिजनों और सगे संबंधियों को विवाह के आमंत्रण देने के लिए पत्रिकाएं छपवाई गईं. जब पत्रिकाएं लेकर रिश्तेदारों के घर गए तो थोड़ा संकोच जरूर हुआ. रिश्तेदारों के बीच हमारा फैसला चर्चा का विषय भी बना. यही प्रतिक्रिया ज्योति के परिचितों की भी थी. हालांकि हमने सबकी बातों को दरकिनार करते हुए इस अनोखी शादी को करने का फैसला किया. हमारी खुशी में रिश्तेदारों के साथ ही पूरा गांव शामिल हुआ.

लक्ष्मी के नारायण से मिले 36 गुण

शादी से पहले बकायदा दोनों परिवारों ने बछड़े नारायण और बछिया लक्ष्मी की पंडित से गुण मिलवाए. शादी की टीप लिखवाई गई. मंत्रोच्चार के साथ लग्न मंडप में फेरे हुए. ज्योति लिमये ने बताया कि लक्ष्मी के नारायण से 36 गुण मिले थे. मुकेश ने बताया कि इस शादी में ससुराल पक्ष की ओर से कुवारी भी दी गई. उनके ससुर दामाजी और सास सुकरी बाई ने बताया कि बेटी के घर कोई संतान नहीं होने पर उनकी इच्छा अनुसार उन्होंने लक्ष्मी की शादी में वो सभी रस्म अदा की जो उन्हें करनी थी.
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