
काल चिंतन कार्यालय
वैढ़न,सिंगरौली। सिंगरौली जिले में परिवहन विभाग की गतिविधियां बेलगाम हो चुकी हैं। जिले में स्थापित नाकों पर खुली लूट की छूट स्पष्ट रूप से देखी जा सकती है। कहने के लिए परिवहन नाके सरकारी मिल्कियत हैं लेकिन यहां धड़ल्ले से प्राइवेट लोगों को तैनात करके वसूली का कार्यक्रम चलाया जा रहा है।
जयंत परियोजना स्थित परिवहन विभाग का नाका इन दिनों सुर्खियों में है। इस नाके पर तैनात सरकारी प्रभारी कभी भी नाके पर मौजूद नहीं रहते। पूछने पर वहां तैनात प्राइवेट लोगों द्वारा बताया जाता है कि साहब के जिम्मे जयंत, खनहना, मटवई तथा कटौली चार परिवहन नाके हैं। साहब चारों नाकों पर दौड़ते रहत हैं। जबकि सच्चाई यह है कि प्रभारी किसी भी नाके पर काम के घण्टों के भीतर कभी नजर नहीं आते हैं। नतीजा यह है कि बाहर से आने वाली गाड़ियोंं तथा स्थानीय कोयला की गाड़ियों से मनमाना अवैध वसूली की जा रही है। सूत्रों की मानें तो पता चला है कि जयंत नाके पर जो बाहर से भारी वाहन आते हैं। उनका पहले कागज मंगवाया जाता है। सारे कागज दुरूस्त होने के बावजूद एक टिकट चपकाया जाता है और उसकी कीमत पाँच सौ से लेकर एक हजार रूपये तक वसूल ली जाती है। जबकि यह टिकट प्राइवेट लोगों की साजिश है। इस टिकट की एवज में जो धन वसूला जाता है वह तैनात प्राईवेट लोगों के पाकेट में जाता है। इसी तरह अगर किसी वाहन का परमिट खत्म हो गया है तो दो हजार रूपये की रशीद बनाकर दे दी जाती है और दस हजार रूपये वसूल लिया जाता है। इन्श्योरेंस न होने पर भी मनमाने ढंग से बिना सरकारी रशीद दिये पैसा वसूल लिया जाता है। एनसीएल में कोयले के बहुत से कोयला वाहक वाहन चलते हैं इनको भी ओवरलोड के नाम पर रोककर धन लेने की प्रक्रिया जारी है।
जिस तरह परिवहन नाकों पर गुण्डागर्दी, मनमानी का माहौल है उसी प्रकार जिला परिवहन कार्यालय पर भी दलालों की बहुत बड़ी जमात तैनात है जो सिंगरौली के गरीब बेरोजगारों से पैसा वसूल कर उनका लाइसेंस बनाते हैं एवं गाड़ियों का फिटनेस देने में भी सरकारी फीस के अलावा अवैध वसूली किये जाने की खबर है।