मध्य प्रदेश

ब्रह्मकुमारी ईश्वरीय विश्वविद्यालय विन्ध्यनगर में मनायी गयी प्रजापिता ब्रह्मा बाबा की 54वीं पुण्यतिथि

मुख्य अतिथि के रूप में सिंगरौली महापौर श्रीमती रानी अग्रवाल व सिंगरौली एसपी बीरेन्द्र सिंह रहे मौजूद

सिंगरौली। ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्वविद्यालय विंध्यनगर सेवा केंद्र पर आज दिनांक 18 जनवरी को संस्था के साकार स्थापक पिताश्री प्रजापिता ब्रह्मा बाबा की 54 वी पुण्यतिथि पर योग भट्टी का आयोजन किया गया यह दिन विश्व शांति दिवस के रूप में मनाया जाता है ब्रह्माकुमारी संस्था के लिए यह एक विशेष एवं ऐतिहासिक दिवस है ब्रम्हाकुमारी के सभी राष्ट्रीय एवं अंतर्राष्ट्रीय सेवा केंद्रों पर स्मृति दिवस विश्व शांति दिवस के रूप मे मनाया जाता हैद्य सभी भाई-बहन आत्म चिंतन और मौन में रहकर अनुभवों से स्वयं को भरपूर करते हैं।  आज मुख्य अतिथि एसपी बीरेंद्र कुमार सिंह, और महापौर रानी अग्रवाल कार्यक्रम में उपस्थित रहे।  ब्रह्मा बाबा को श्रद्धांजलि अर्पित की और सभी अतिथियों ने और सभी भाई बहनों ने दीप प्रज्वलन किया साथ ही यह संकल्प किया कि हमारा जीवन भी श्रेष्ठ ऊंचाइयों को छुए और अपने अंदर की बुराइयों का संपूर्ण त्याग कर सकें द्य बीरेंद्र कुमार सिंह जी ने अपना अनुभव सुनाया कि ब्रह्माकुमारी संस्था की सेवाएं मानव जीवन को लाभ पहुंचाने के लिए है और सभी इसी तरह लाभ लेते रहे।  महापौर रानी अग्रवाल जी ने अपना अनुभव सभी के साथ साझा किया कि जब भी वो यहां आती हैं तो एक शांति का अनुभव करती है उनकी दिनचर्या भागदौड़ भरी है कुछ समय यहां बिताने से शांति और खुशी उन्हें महसूस होती है।

कार्यक्रम योग तपस्या के साथ आरंभ हुआ ज्ञान मुरली की क्लास मे सभी को परमात्मा महावाक्य सुनाएं गएद्य राजयोगिनी बीके शोभा बहन ने सभी को कमेंट्री के द्वारा राजयोग का अभ्यास कराया और राजयोग के अभ्यास के द्वारा समग्र विश्व में शांति का दान दिया दीदी ने आज विशेष ब्रह्मा बाबा की प्रेरणादायक जीवन कहानी सभी को सुनाईद्य ब्रह्माकुमारी विश्व विद्यालय के स्थापक दादा लेखराज जिन्होंने सन 1937 ब्रह्माकुमारी संस्था की नींव रखी जिसका मकसद सब मनुष्यों को एक ऐसे सूत्र में बांधना जिससे मानवता की डोर ऐसी मजबूत बने जहां शांति सद्भाव और आपसे प्यार हो ब्रह्मा बाबा का नाम दादा लेखराज है उनका जन्म 1876 मे हुआ थाद्य ब्रह्मा बाबा ने परमात्मा शिव के निर्देश अनुसार प्रत्येक कदम उठाए समाज उत्थान का कार्य महिलाओं के हाथ में सौंपा और उन्हें शक्ति स्वरूपा बना दियाद्य तन-मन-धन सब ट्रस्ट के हवाले कर ब्रह्मा बाबा सँस्था की सेवाओं को श्रेष्ठ स्थिति में रहकर करना सिखाया।

अध्यात्म के मार्ग पर लाखों मनुष्य के जीवन में महान बदलाव लाएं । आज भले ही मन को शांत बनाने के लिए मेडिटेशन और ध्यान का महत्व दुनिया समझ रही है परंतु बहुत समय पहले ही राजयोग सहज रीति से सभी को ब्रह्मा बाबा ने सिखाया और निपुण बनायाद्य देवी संस्कृति के प्रशासन के लिए यह राजयोग शिक्षा सभी मनुष्य आत्माओं को दी आज लाखों ब्रह्मा वत्स उनके पद चिन्हों पर चलकर शांतिदूत बन शांति की परिकल्पना को साकार कर रहे हैं इस ईश्वरीय मार्ग पर जीवन में कितने विघ्न आए पर ब्रह्मा बाबा सदा अटल रहे क्योंकि उन्हें इस बात का नशा था कि जिसका साथी स्वयं भगवान है उसका काम सदा सफल ही होगा ।  विश्व सेवक बन जनकल्याण करने वाले उस पिता ने अपने समान गुणवान बनाकर अनेकों का उद्धार कियाद्य ब्रह्मा बाबा ने 18 जनवरी 1969 में इस दुनिया को अलविदा कहा और अव्यक्त फरिश्ता रूप धारण कियाद्य आज के दिन को सभी ब्रह्मा वत्स मौन मे रहकर व्यतीत करते हैं ।  ब्रह्मा बाबा की पुण्यतिथि पर सभी ब्रह्मा वत्सो ने महान विभूति को तहे दिल से वंदन किया और श्रद्धांजलि अर्पित कीद्य कार्यक्रम के पश्चात सभी ब्रह्मा भोजन भी ग्रहण किया।

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