हमारी जमीनें वापस दो, हमे मुआवजा नहीं चहिए: विस्थापित संघ
भारतीय विस्थापित संघ के बैनर तले एक दिवसीय धरना प्रदर्शन संपन्न, सिंगरौली विधायक समेत कई प्रबुद्ध लोग धरना प्रदर्शन में हुये शामिल

वैढ़न,सिंगरौली। मेढ़ौली के जद्दूडांड़ गांव में दुद्धिचुआ एवं जयंत परियोजना के उत्पादन का काम ठप्प करके आंदोलनरत विस्थापितों ने एक स्वर में कहा कि उन्हें मुआवजा नहीं चाहिए, उन्हें विस्थापन स्वीकार नहीं है उन्हें उनकी जमीन वापस चाहिए। उनका आरोप था कि प्रबंधन विस्थापन एवं पुनर्वास में मूलनिवासियों के साथ अन्याय कर रहा है। विस्थापितों ने कहा कि बहुत अन्याय सह लिये अब अन्याय बर्दाश्त नहीं किया जायेगा।
एनसीएल की जयंत परियोजना के खदान विस्तार में किये गये भूमि अधिग्रहण में बांटे गये मुआवजे में विषंंगतियों को लेकर विस्थापितों ने भारतीय विस्थापित संघ के बैनर तले जद्दुडाड़ में एक दिवसीय धरना प्रदर्शन किया। विस्थापितों के समर्थन में सिंगरौली विधायक रामलल्लू वैश्य, भाजपा जिला मंत्री आलोक यादव, मंडल अध्यक्ष भूपेंद्र गर्ग, व्यापार मंडल से ललित श्रीवास्तव समेत कई प्रबुद्ध लोग भी इस आंदोलन में शामिल हुए। परिसंपत्तियों के बयाज, तीसरी बार जमीन लेने पर नौकरी ना देना, विस्थापितों को कम वर्क फिट की जमीन मुहैया कराने आदि तमाम मुद्दों को लेकर विस्थापितों ने प्रदर्शन किया। प्रदर्शन में एसडीओपी राजीव पाठक एवं मोरवा निरीक्षक यू पी सिंह के मार्गदर्शन में उपनिरीक्षक शीतला यादव एवं विनय शुक्ला के साथ भारी पुलिस बल तैनात रही।
इससे पूर्व भारतीय विस्थापित संघ ने १५ जनवरी २३ को महाप्रबंधक एनसीएल जयंत/दुद्धिचुआ क्षेत्र को ज्ञापन सौंपा था जिसमें कहा गया था कि एनसीएल द्वारा मेढ़ौली, पंजरेह, चटका एवं मुहेर की भूमियों का अधिग्रहण किया जा रहा है किन्तु प्रतिकर का भुगतान भू अर्जन अधिनियम २०१३ के माध्यम से किया जा रहा है, जिसमें भूमि के प्रतिकर के साथ १२ प्रतिशत एडिसनल मार्केट वैल्यू के रूप में दिया जा रहा है परन्तु अन्य परिसम्पत्तियों जैसे मकान, पेड़ बोरबेल, कुआ आदि के प्रतिकर पर १२ प्रतिशत एडिशनल मार्केट वैल्यू नहीं दिया जा रहा है। साथ ही कहा गया कि एनसीएल द्वारा मेढ़ौली, मुहेर, पंजरेह, चटका की भूमियों का अधिग्रहण अंश-अंश भाग में कई बार किया जा रहा है जबकि लाभ देने के समय नौकरी या प्लाट एक या दो बार ही दिया जा रहा है। इसी तरह एनसीएल के द्वारा पैकेज डील के अंतर्गत दी जाने वाली नौकरी में काफी विशंगतियां हैं। एनसीएल की विस्थापन नीतियों के विरोध में ज्ञापन देकर महाप्रबंधक एनसीएल जयंत/दुद्धीचुआ से भारतीय विस्थापित संघ ने ३१ जनवरी तक निराकरण करने की गुजारिश की थी परन्तु उक्त समस्याओं का निराकरण न होने पर तय कार्यक्रम के अनुसार विस्थापितों ने एक दिवसीय धरना प्रदर्शन किया।
वार्ता के दौरान प्रबंधन ने कई मुद्दों पर नब्बे दिन का समय मांगा। प्रबंधन ने कहा कि तीन महीने के अंदर बात करके हल निकाले जाने की कोशिश की जायेगी।’
सहमति नहीं बनीं, कोर्ट में जायेगा मामला: विधायक
सिंगरौली। दुद्धीचुआ, जयंत के भ्ूामि अधिग्रहण में बहुत सी विषंगतियां हैं। इसीलिए आज आन्दोलन किया गया। सिंगरौली विधायक ने कहा कि सन २००० में दुद्धिचुआ परियोजना से विस्थापन हुआ उन्हें उजाड़ दिया गया। लेकिन उसमें बहुतों को आजतक प्लाट नहीं मिला। उनका पुनर्वास सुनियोजित ढंग से नहीं किया गया। विधायक ने खसरा क्रमांक ४०५ का जिक्र किया। बताया कि उसमें ३२ आदमी है जिसका निराकरण आज तक नहीं किया गया। २२ साल के बाद आज मुआवजे का निर्धारण हो रहा है। यह पुराने रेट से नहीं चलेगा। सन २००० तक सामान्य एवं पिछड़ा वर्ग को पचास डिसमिल पर नौकरी मिलती थी। अनुसूचित जाति एंव जनजातियों को दो डिसमिल पर नौकरी दी जाती थी। आज मापदण्ड बदला है तो पुराने मापदण्ड आज भी क्यों लागू हो रहे हैं। विधायक ने कहा कि कई बिन्दुओं पर सहमति बनी और समय दिया गया लेकिन कुछ मुद्दों पर सहमति नहीं बनी इसलिए उन मुद्दों को लेकर कोर्ट जाना पड़ेगा।