अदाणी फाउंडेशन की पहल: सिलाई-कढ़ाई के हुनर से महिलाएं बन रहीं हैं आत्मनिर्भर

वैढ़न,सिंगरौली। सरई तहसील अन्तर्गत झलरी, बजौड़ी, डोंगरी, अमरईखोह, बेलवार और धिरौली गांवों में जरूरतमंद महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में सक्षम योजना के तहत अदाणी फाउंडेशन की तरफ से विशेष पहल की गयी है। स्थानीय ग्रामीण महिलाओं को हुनरमंद बनाने और रोजगार के अवसर पैदा करने के उद्देश्य से झलरी और धिरौली गांव में नि:शुल्क सिलाई प्रशिक्षण केंद्र की स्थापना की गई है। इन प्रशिक्षण केंद्रों में हर बैच के लिए 20 स्थानीय महिलाओं और किशोरियों का चयन किया जाता है जिन्हें तीन महीने का नि:शुल्क सिलाई प्रशिक्षण दिया जाता है। लाभार्थियों के प्रशिक्षण के लिए हर केंद्र पर 20 आधुनिक सिलाई मशीन की व्यवस्था की गयी है। तीन महीने के सफल प्रशिक्षण के उपरांत सभी उम्मीदवारों को शुक्रवार को राष्ट्रीय कौशल विकास निगम (नेशनल स्किल डेवलपमेंट कॉर्पोरेशन) के तरफ से सर्टिफिकेट प्रदान किया गया।
सिलाई की बारीकियां सिखाने के लिए झलरी गांव की रहनेवाली श्रीमती अंगिरा प्रजापति और बासी बेरदहा गांव की हीरामती सिंह की पहचान कर उन्हें ट्रेनर के तौर पर विकसित किया गया जो अब तक 40 अभ्यर्थियों को सफलतापूर्वक प्रशिक्षित कर चुकी हैं। फिलहाल दोनों अलग-अलग प्रशिक्षण केंद्रों पर दूसरी बैच की 40 स्थानीय महिलाऐं प्रशिक्षण ले रही हैं। तीन महीने के प्रशिक्षण के दौरान लाभार्थियों को सलवार, प्लाजो, पेटीकोट, समीज, कुर्ती, पैंट, मैक्सी, लहंगा, कुर्ता, पायजामा और शर्ट तैयार करने के लिए विशेष तौर पर प्रशिक्षित किया जाता है। सफलतापूर्वक प्रशिक्षण प्राप्त उम्मीदवारों को राष्ट्रीय कौशल विकास निगम (नेशनल स्किल डेवलपमेंट कॉर्पोरेशन) के तरफ से सर्टिफिकेट प्रदान की जाती है। गौरतलब है कि प्रशिक्षण के बदौलत सक्षम बनी महिलाओं को रोजगार मिल सकेगा और वह अपने परिवार की आर्थिक उन्नति का आधार बन सकेंगी।
नि:शुल्क सिलाई प्रशिक्षण केंद्र खुलने से ग्रामीणों में काफी खुशी है और वो मानते हैं कि प्रशिक्षण प्राप्त महिलाओं और किशोरियों को किसी सिलाई उद्योग में नौकरी मिल सकती है या फिर खुद के सिलाई मशीन से पारिवारिक आय को बढ़ा सकती हैं और अपना भविष्य बेहतर कर सकती हैं। प्रथम बैच में प्रशिक्षित करिश्मा सोनी कहती हैं, अदाणी फाउंडेशन द्वारा संचालित नि:शुल्क सिलाई प्रशिक्षण केंद्र के बदौलत हीं आज वह अपने परिवार में आर्थिक सहायता कर पाती हैं। अदाणी फाउंडेशन के मुताबिक जब तक प्रशिक्षण प्राप्त महिलाओं की प्रतिदिन की आमदनी सुनिश्चित नहीं होती तब तक किसी भी रोजगार प्रशिक्षण को सफल नहीं माना जायेगा और इसके लिए उनके द्वारा तैयार उत्पादों की उचित मूल्य पर बिक्री के लिए मार्केटिंग के संबंध में भी बताया जा रहा है।