बिजली की खपत बढ़ने के साथ बढ़ेगी कोयले की मांग, सिंगरौली का अहम योगदान
बढ़ती मांग को पूरा करने के लिए कोयला उत्पादन बढ़ाना होगा

सिंगरौली
करीब सबसे ज्यादा जनसख्या के साथ भारत विश्व में तीसरा सबसे बड़ा ऊर्जा खपत वाला देश है। देश में आर्थिक गतिविधियों में सुधार के चलते बढ़ी मांग से वित्त वर्ष 2022-23 में बिजली की खपत में 9.5 प्रतिशत की वृद्धि रही है। विश्लेषकों का मानना है कि 2023-24 में बिजली खपत में वृद्धि दो अंक यानी 10 प्रतिशत से अधिक रह सकती है। इस वर्ष अप्रैल के मध्य में ऊर्जा की सर्वाधिक मांग का आंकड़ा अपने उच्चतम स्तर को पार कर गया है। तेजी से बढ़ रहे तापमान के कारण ऊर्जा की मांग 200 गीगावाट के आंकड़े को लांघ चुकी है। 2040 तक अनुमानित बिजली उत्पादन लगभग 3000 बिलियन यूनिट होगा, भारत की ऊर्जा मांग दोगुनी हो जाएगी और इस मांग को पूरा करने के लिए थर्मल कोयले की मांग बढ़कर लगभग 1500 मिलियन टन हो जाएगी। इसे देखते हुए कोल इंडिया ने 2025-26 में 1 अरब टन उत्पादन का लक्ष्य हासिल करने की योजना बनाई है। (Source: Ministry of coal)
सरकार की आयातित कोयले पर निर्भरता कम करने की कोशिश:
नीति आयोग के एक ड्राफ्ट रिपोर्ट के मुताबिक 2030 तक कोयले की मांग लगभग 1300 मिलियन टन रहनेवाली है। ऊर्जा की मांग वर्ष 2018 के बाद से अब तक 100 फीसदी से ज्यादा बढ़ चुकी है। ऐसे में बिजली आपूर्ति का मुख्य दारोमदार कोयला पर आधारित ऊर्जा पर आ गया है। देश में आगामी समय में काला सोना यानि कोयले का उत्पादन और भी तेज हो जाएगा क्योंकि सरकार ने इसके लिए एक बेहतरीन कार्ययोजना तैयार कर ली है। इसी के साथ वित्त वर्ष 2022-23 में भारत ने कुल कोयला उत्पादन में ऊंची छलांग लगाते हुए करीब 22.6% वृद्धि हासिल कर ली है। दअरसल, केंद्र सरकार की प्राथमिकता है कि कोयले के आयात पर निर्भरता कम करने के साथ घरेलू कोयला उत्पादन को बढ़ाया जाए। इसी दिशा में सरकार तेजी से कार्य कर रही है। इससे विदेशी मुद्रा की भी काफी बचत होगी और देश का पैसा देश में ही रहेगा जिसे भारतीय अर्थव्यवस्था की तरक्की में काम में लाया जा सकता है। (source: pib.gov.in)
देश की ऊर्जा आत्मनिर्भरता में सिंगरौली का खास योगदान:
मध्यप्रदेश स्थित सिंगरौली का देश के विद्युत क्षेत्र और अर्थव्यवस्था में विशेष महत्व है। मध्यप्रदेश के विपुल खनिज भण्डार राज्य के औद्योगिक और आर्थिक विकास की प्रमुख कड़ी है। कोयले के उत्पादन में मध्यप्रदेश का देश में चौथा स्थान है जहां देश के 7.8% कोयला भंडार है और भारत के कुल कोयला उत्पादन का 13.6% पैदा करता है। हाल में ही राज्य सभा में कोयला मंत्रालय द्वारा दी गयी जानकारी के मुताबिक देश भर में सरकारी और निजी क्षेत्रों को मिलकर कुल 488 कोयला का खदान है जिसमें मध्यप्रदेश में स्थित कोयला खदानों की संख्या 79 है। मध्यप्रदेश में वर्ष 2022 के दौरान 137.953 मिलियन टन कोयले का उत्पादन हुआ जबकि वर्ष 2021 के दौरान 132.531 मिलियन टन कोयले का उत्पादन हुआ था जिससे प्रदेश को हजारों करोड़ का राजस्व मिला। इससे एक ओर जहां कोयला संकट के दौर में जरूरतें पूरी हुई है, वहीं दूसरी ओर 2700 करोड़ रुपए से अधिक का राजस्व प्राप्त हुआ है। (Source: Ministry of Coal)
मध्यप्रदेश के ऊर्जा जरुरतों को पूरा करने में सिंगरौली मददगार:
बड़ी मात्रा में बिजली उत्पादन करने के बावजूद सिंगरौली के जिला मुख्यालय, शहरी व ग्रामीण क्षेत्र के लोगों को भीषण गर्मी में बिजली के लिए तरसना पड़ रहा है। किसी भी समय दिन में या रात को बिजली का गुल हो जाना सामान्य बात हो चली है। मई माह में मध्यप्रदेश में विद्युत की मांग 13 हजार 800 मेगावाट तक पहुँचने की संभावना है। बिजली कंपनी मांग को देखते हुए बिजली के पर्याप्त इंतजाम के लिए रणनीति बनाने में जुट गई है। मध्यप्रदेश पावर जनरेटिंग कंपनी के ताप विद्युत इकाईयों को इस दौरान भरपूर विद्युत उत्पादन का निर्देश दिया गया है साथ ही ताप विद्युत इकाईयों में कोयले की उपलब्धता को बरकरार रखने के लिए भी कहा गया है। राज्य के प्रमुख ऊर्जा सचिव ने इस संबंध में बिजली अधिकारियों को घरेलू उपभोक्ताओं को 24 घंटे और कृषि उपभोक्ताओं को 10 घंटे बिजली देना सुनिश्चित करने का निर्देश दिया है। वित्तीय वर्ष 2021-22 में सम्पूर्ण देश में कोयले की उपलब्धता में काफ़ी कमी महसूस की गई थी। मध्यप्रदेश पावर जनरेटिंग कंपनी ने अपने ताप विद्युत गृहों के लिए वित्तीय वर्ष 2022-23 में कोयले की सर्वाधिक मात्रा प्राप्त करने का रिकार्ड बनाया है। समुचित मात्रा में कोयला प्राप्त होने से कंपनी के ताप विद्युत गृहों से सर्वाधिक विद्युत उत्पादन किया जाना संभव हुआ। (Source: https://www.mpinfo.org/Home)
और अधिक कोयला संयंत्रों का निर्माण शुरू करने की योजना:
भारत के सबसे बड़े बिजली उत्पादक राज्य द्वारा संचालित एनटीपीसी ने इस साल और अधिक कोयला आधारित संयंत्रों का निर्माण शुरू करने की योजना बनाई है, क्योंकि देश अपनी बढ़ती ऊर्जा जरूरतों को पूरा करने के लिए ईंधन पर निर्भर है। देश में जिस रफ्तार से बिजली की मांग बढ़ी है उस रफ्तार से कोयला आधारित नए पावर प्लांट नहीं लगे हैं, साथ ही कई प्लांट पर काम कई साल की देरी से चल रहा है। विशेषज्ञों के मुताबिक इस रिकार्ड ने आने वाली गर्मी के लिए ऊर्जा व कोयले की खपत की दशा व दिशा तय कर दी है। हालांकि केंद्रीय ऊर्जा मंत्रालय का अनुमान है कि बिजली की मांग 230 गीगावाट के स्तर को छूएगी और कोयले की मांग 22 करोड़ टन से अधिक होगी। राज्य संचालित ऊर्जा इकाइयों के वरिष्ठ अधिकारियों के मुताबिक देश में कोयले का संतोषजनक भंडार है। (Source: The Economic Times)
ऊर्जा अर्थव्यवस्था के विकास के लिए महत्वपूर्ण:
भारत वर्तमान में 8.2 प्रतिशत की वृद्धि दर के साथ दुनिया की सबसे तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्थाओं में से एक है और देश का कोयला और खदान क्षेत्र वर्तमान आर्थिक विकास में महत्वपूर्ण योगदान दे रहा है। निवेश के निरंतर कार्यक्रम और आधुनिक प्रौद्योगिकी के उपयोग के बदौलत चालू वित्त वर्ष 2022-23 (फरवरी 2023 तक) में भारत का कोयला उत्पादन 785.24 मिलियन टन है, जो कि पिछले वर्ष की समान अवधि के दौरान लगभग 681.98 मिलियन टन की तुलना में लगभग 15.14% की वृद्धि हुई है। घरेलू स्तर पर कोयला उत्पादन में उल्लेखनीय सुधार हुआ है और आयात में काफी कमी आई है। घरेलू कोयला आधारित बिजली संयंत्रों द्वारा ब्लेंडिंग के लिए कोयला आयात में वित्त वर्ष 2021-22 के दौरान 8.11 मिलियन टन की कमी आई जो कि पिछले आठ वर्षों में सबसे कम कोयला आयात है। ऐसा केवल घरेलू स्रोतों से मजबूत कोयला आपूर्ति तथा बढ़े हुए घरेलू कोयला उत्पादन के कारण संभव हो पाया। (Source: Ministry of Coal)
देश के विकास में ईंधन की उपयोगिता सर्वाधिक होती है और जब बात बिजली उत्पादन से लेकर फैक्ट्रियों के संचालन की हो तो कोयले का महत्व अपने आप बढ़ जाता है। कोयला किसी भी विकासशील देश की विकास यात्रा में महत्वपूर्ण भूमिका अदा करता है। इसी के मद्देनजर अर्थव्यवस्था के विकास को रफ्तार देने के लिए केंद्र सरकार ने कोयला उत्पादन बढ़ाने का लक्ष्य तय किया है।
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