महिला एवं बच्चों के विरूद्ध घटित अपराधों में अनुसंधान एवं कौशल उन्नयन हेतु एक दिवसीय प्रशिक्षण का हुआ आयोजन

वैढ़न,सिंगरौली। रविवार को प्रात: 10:00 बजे से शाम 06’00 बजे तक महिला एवं बच्चों के विरूद्ध घटित अपराधों में अनुसंधान एवं कौशल उन्नयन के संबंध में प्रशिक्षण कार्यक्रम पुलिस रूस्तम जी कॉन्फ्रेसिंग हाल में आयेाजित किया गया। प्रशिक्षण कार्यक्रम में उपस्थित श्री वारीन्द्र कुमार तिवारी, विशेष न्यायाधीश जिला सिंगरौली का श्री मो. यूसुफ कुरैशी, पुलिस अधीक्षक जिला सिंगरौली के द्वारा पुष्पगुच्छ देकर उनका स्वागत कर आभार व्यक्त किया गया।
प्रशिक्षण कार्यक्रम में श्री शिवकुमार वर्मा, अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक, जिला सिंगरौली, श्री महेन्द्र कुमार गौतम, जिला लोक अभियोजन अधिकारी, श्री आनंद कमलापुरी, ए.डी.पी.ओ., श्री नीरज शर्मा, महिला एवं बाल विकास अधिकारी, श्री आर.डी.पाण्डे, बाल कल्याण समिति, श्री राजाराम धाकड, उप पुलिस अधीक्षक महिला सुरक्षा शाखा/ अजाक, श्री देवेश पाठक, नगर पुलिस अधीक्षक, विन्ध्यनगर, श्री राजीव पाठक, एस.डी.ओ.पी. सिंगरौली, श्रीमती हिमाली पाठक, एस.डी.ओ.पी. चितरंगी, श्री वीरेन्द्र धार्वे, एस.डी.ओ.पी. देवसर एंव जिले के समस्त थाना/चौकी प्रभारी सहित, ऊर्जा महिला हेल्प डेस्क प्रभारी/ संचालक, जिले के बाल कल्याण पुलिस अधिकारीगण उपस्थित रहे।
उक्त प्रशिक्षण में पुलिस अधीक्षक मो. यूसुफ कुरैशी, के द्वारा सभी अधिकारियों को संबोधित करते हुये बताया गया कि महिला एवं बच्चो के विरूद्ध घटित अपराधो की कायमी, अनुसंधान एवं विवेचना की कार्यवाही की गंभीरता क्या होनी चाहिए एवं उसका प्रभावी पर्यवेक्षण राजपत्रित अधिकारी के द्वारा किस स्तर से किया जाना चाहिए के संबंध में बताया गया। साथ ही पॉक्सो एक्ट 2012 एवं संबंधित संशोधन धाराये एवं विवेचना संबंधी चुनौतियां एवं समाधान तथा विवेचना में होने वाली त्रुटियॉ जो दोषमुक्त का कारण बनते है के संबंध में आवश्यक जानकारी दी गई। साथ ही पुलिस अधीक्षक के द्वारा अधिकारियो को निर्देशित किया गया कि उक्त प्रशिक्षण के संबंध में माननीय न्यायाधीश महोदय एवं डी.पी.ओ. ए.डी.पी.ओ के द्वारा जो भी विवेचना के संबंध में परिलक्षित कमियों एवं त्रुटियो के संबंध में बताया जा रहा है उसे गंभीर से सुना जाकर सत् प्रतिशत पालन सुनिश्चित किया जाये।
द्वितीय अपर सत्र न्यायाधीश श्री वारीन्द्र कुमार तिवारी द्वारा अनुसंधान में होने वाली त्रुटियों पर प्रकाश डाला गया तथा यह बताया गया कि किस प्रकार बेहतर अनुसंधान किया जा सकता है। श्री तिवारी ने महिला संबंधी अपराधों में पीड़िता के कथन लेख करने , मेडिकल परीक्षण के संबंध में तथा साक्ष्य संकलन में विधिक प्रावधानों से पुलिस अधिकारियों को अवगत कराया। श्री महेन्द्र कुमार गौतम, जिला लोक अभियोजन अधिकारी सिंगरौली द्वारा अपने व्याख्यान में महिला संबंधी अपराधों की प्रथम सूचना रिपोर्ट लेखन एवं समुचित धाराओं का समावेश, अनुसंधान एवं पर्यवेक्षण के बारे में विस्तारपूर्वक बताया।श्री आनंद कमलापुरी, सहायक जिला लोक अभियोजन अधिकारी सिंगरौली द्वारा अपने व्याख्यान में पॉक्सो एक्ट 2012 एवं संबंधित संशोधन, प्रमुख प्रावधान, विवेचना के दौरान आने वाली चुनौतियों एवं समाधान के बारे में विस्तारपूर्वक बताया।श्री राजाराम धाकड़, उप पुलिस अधीक्षक महिला सुरक्षा शाखा/अजाक द्वारा उपस्थित समस्त थाना प्रभारी, समस्त ऊर्जा महिला हेल्प डेस्क संचालकों को महिला हेल्प डेस्क के कार्य, दायित्व एसओपी एवं अवधारणा के संबंध में विस्तारपूर्वक चर्चा कर बताया गया। साथ ही जारी किये जा रहे रेफरल फार्म, टेम्पलेट आदि से संबंधित कार्यवाही की जानकारी दी गई एवं बताया गया कि पुलिस मुख्यालय द्वारा जारी की गई एस.ओ.पी. का अक्षरश: पालन करने हेतु बताया गया।श्रीमती हिमाली पाठक, एसडीओपी देवसर द्वारा अपने व्याख्यान की शुरुआत गंभीर अपराधों की केस स्टडी से की गई। प्रशिक्षण में 03-04 प्रमुख प्रकरणों के संबंध में विस्तृत चर्चा की गई।श्री आर.डी.पाण्डेय सदस्य बाल कल्याण समिति द्वारा अपने व्याख्यान में महिला अपराधों की पीड़िता/साक्षी से अपराधों के अनुसंधान के दौरान किये जाने वाले व्यवहार/संवेदनशीलता विषय पर चर्चा की गई। पुलिस अधीक्षक के द्वारा उदबोधन में बताया गया कि केस स्टडी एक ऐसी तकनीक है जिसके माध्यम से किसी भी घटित घटना की परिस्थिति, कारक एवं प्रभावों का विस्तृत विश्लेषण एवं अध्ययन किया जा सकता है। इस तकनीक का प्रयोग वैश्विक जगत पर विभिन्न पहलुओं जैसे कि समस्या समाधान, प्रबंध क्षमता विकास, कौशल विकास तथा सैद्धांतिक ज्ञान के व्यवहारिक प्रयोग हेतु प्रभावी तरीकें से किया जा सकता है। केस स्टडी तकनीक का लक्ष्य सही समाधान की दिशा में प्रभावपूर्ण और तार्किक रूप से आगे बढ़ने हेतु मार्ग दर्शन का है। सभी अधिकारियेां को केश स्टडी में रूचि लेकर काम करने की आवश्यकता है।