मध्य प्रदेश

नवजीवन वासियों ने कायम किया एक आदर्श सामुदायिकता की मिसाल

वैढ़न,सिंगरौली। एक शिक्षित-साक्षर व्यक्ति के ऊपर समाज की कुछ जवाबदेहियां होती हैं। यदि वह इसको स्वीकार करे तो अपने निजी जीवन से समय निकालकर समाज को जरूर देगा। यह एक शिक्षित और साक्षर व्यक्ति की पहचान कही जा सकती है। समाज में एक तबका हमेशा से इस जिम्मेदारी को निभाता रहा है जिससे समाज में समरसता, विकास तथा उत्कर्ष की गतिविधियां होती रहें और यदि जिस समाज में इस विचारधारा को मूर्तरूप नहीं मिलता वह समाज अवनति की ओर अग्रसर होकर खत्म हो जाता है।

उक्त भूमिका के परिपेक्ष्य में हम नवजीवन बिहार स्थित नवजीवन रहवासी कल्याण समिति के लोगों की बात कर रहे हैं। एनटीपीसी के सहयोग से यहां पर एक सामुदायिक भवन का निर्माण वर्षों पहले करवाया गया था। सामुदायिक भवन बनने से पहले इस जमीन पर जंगल और झाड़ियों का बसेरा था। नवजीवन बिहार के लोगों ने अपने जीवन के अमूल्य समय को दिया जिससे जंगल और झाड़ियां खत्म होकर एक हरे भरे बाग का निर्माण हुआ। इसके बाद नवजीवन रहवासियों ने साड़ा तथा बाद में नगर निगम से प्रयास किया कि यहां पर एक आदर्श सामुदायिक भवन बनें। लेकिन जब अनुमानित राशि निकाली गयी तो वह करोड़ से ऊपर आयी। नगर निगम के तत्कालीन महापौर तथा परिषद ने नवजीवन बिहार में सामुदायिक भवन बनवाने से इनकार कर दिया। इसके बाद एनटीपीसी विन्ध्याचल इकाई के सौजन्य से आदर्श सामुदायिक भवन का निर्माण करवाया गया। इस प्रक्रिया में नवजीवन रहवासियों ने नि:स्वार्थ भावना से अथक योगदान दिया। सामुदायिक भवन बनने के बाद एक आदर्श और उन्नत समाज के निमित्त कार्यक्रम चलाया जा रहा है। एक बच्चे के व्यक्तित्व का चतुर्मुखी विकास करने के लिए भरसक प्रयत्न किया जा रहा है जो की सराहनीय है।

समिति के अध्यक्ष श्याम सुन्दर अग्रवाल, कोषाध्यक्ष सत्यनारायण बंशल एवं सचिव शशिधर गर्ग द्वारा समिति के सभी सदस्यों तथा जिला प्रशासन से सकारात्मक साहचर्य बनाकर सराहनीय कार्य किया जा रहा है। यूं तो जिले में बहुत से सामुदायिक भवन बने हैं जो या तो जर्जर अवस्था में हैं या उसमें ताला पड़ा हुआ रहता है। ग्रामीण अंचलों में कई जगह दरवाजे और खिड़कियां गायब हैं लेकिन नवजीवन बिहार स्थित सामुदायिक भवन का स्वरूप एक आदर्श स्वरूप कहा जा सकता है। समिति के पदाधिकारियों ने काल चिन्तन को बताया कि सामुदायिक भवन में बच्चों के लिए कई कार्यक्रम चलाये जा रहे हैं। जिसमें तीरंदाजी का प्रशिक्षण, स्केटिंग का प्रशिक्षण, वर्डमिंटन एवं टेबल टेनिक का प्रशिक्षण तथा सामान्य व्यायाम का प्रशिक्षण भी नियमित रूप से करवाया जा रहा है। इसके अतिरिक्त गीत, संगीत की भी व्यवस्था है। समिति के द्वारा सामुदायिक भवन में एक स्वस्थ्य व्यक्ति बनाने की प्रक्रिया को अंजाम दिया जा रहा है। समिति जिला प्रशासन तथा नगर निगम से सामंजस्य बनाकर नवजीवन बिहार की सड़कों, गलियों, पार्कों आदि की सुरक्षा तथा विकास करने का सतत प्रयत्न करती रहती है। जिले में  एक मात्र सामुदायिक भवन है जिसमें लाईब्रेरी की भी व्यवस्था है। सामुदायिक भवन को हरियाली से इस तरह संवारा गया है कि एक बार जाने के बाद वापस आने का मन ही नहीं करता। सामुदायिक भवन के छत पर बड़े गमलों में आम, अमरूद, नींबू, अनार, चीकू जैसे फलदार पौधों सहित अन्य शोदार पौधे भी लगायेे गये हैं। श्री बंशल ने बताया की सिर्फ छत पर लगाये गये पौधरोपण का प्रतिमाह का खर्च लगभग पचास हजार रूपये है। पुनर्चक्रण के महत्व को समझते हुये समिति के लोग खराब हो चुके सामानों का भी अच्छा प्रयोग करते हैं। खराब हुये टायरों से गमले बनाया जाना, पाईप को गमले में तब्दील करना तथा अन्य खराब सामानों का उपयोग करके समाज को प्रदूषण से तो बचाया ही जाता है। उनके पुर्नउपयोग से आर्थिक क्षति से भी बचा जाता है। नित नये प्रयोग पर विचार करना तथा उसको भरसक अंजाम देना समिति की दिनचर्या में शामिल है। जबकि समिति के सदस्य तकरीबन व्यवसायी हैं फिर भी सृजनात्मक प्रक्रिया के लिए समय निकाल ही लेते हैं। प्रशासन को चाहिए की शहर के अन्य स्थानों पर भी इस तरह की पहल हो जिससे बच्चों का चतुर्मुखी विकास हो। साथ-साथ नयी पीढ़ी में स्वस्थ्य मानसिकता का विकास हो।

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