मध्य प्रदेश

मुहावरों से झलकती ममता: विंध्य की बेटी पुस्तक का हुआ विमोचन: कमलनाथ ने सुनाया पूर्व सीएम अर्जुन सिंह से जुड़े किस्से

पुस्तक विमोचन के मौके पर मौजूद रहे पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ, वीणा सिंह, फाउंडेशन से जुड़े सैम वर्मा

 

वैढ़न,सिंगरौली। पूर्व मुख्यमंत्री अर्जुन सिंह की धर्मपत्नी सरोज कुमारी ने विंध्य क्षेत्र के मुहावरों और कहावतों को समेटकर एक अनूठा और अनोखा मुहावरों एवं कहावतों का संग्रह तैयार किया था। कई साल तक उन्होंने बघेलखंड की संस्कृति और परंपरा का एक रुचिकर-लोक स्वीकृत दस्तावेज तैयार किया। इस दस्तावेज को अर्जुन सिंह सद्भावना फाउंडेशन ने एक पुस्तक के रूप में प्रस्तुत किया। इसी पुस्तक विंध्य की बेटी: मुहावरों से झलकती ममता का विमोचन पूर्व मुख्यमंत्री और प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष कमलनाथ ने शनिवार को रविंद्र भवन में हुए कार्यक्रम में किया।

शायद लोकसभा चुनाव मैं नहीं लड़ता: कमलनाथ
कमलनाथ ने कहा कि मैं शायद लोकसभा चुनाव कभी नहीं लड़ता, लेकिन एक दिन अर्जुन सिंह जी ने मुझे अपने घर बुलाया और कहा, मैंने ये तय किया है कि आप चुनाव लड़ेंगे। आपसे पूछने से पहले ही मैंने संजय गांधी जी और इंदिरा गांधी जी से बात कर ली है। कमलनाथ जी ने अपनी बात को आगे बढ़ाते हुए कहा कि इसके बाद मेरे पास कोई विकल्प नहीं था। 1981 के चुनाव प्रचार के दौरान देर से लौटने के बाद श्रीमती अर्जुन जी देर रात तक जागतीं थीं। कमलनाथ जी ने सोचा कि इतना तो एक बहन ही किसी के लिए कर सकती है। तब से मैंने उन्हें दिद्दा कहना शुरू कर दिया, तब से वो उनकी बहन बनी। विधानसभा के परिणाम के बाद अर्जुन सिंह जी ने मोर्चा संभाला। मेरे पास तब भोपाल में घर नहीं था, अर्जुन सिंह अपने यहां मुझे ठहराते थे। कमलनाथ ने अर्जुन सिंह और सरोज कुमारी से जुड़े अन्य कई किस्से सुनाए।

एक लंबे समय परिश्रम के बाद पुस्तक तैयार की: वीणा सिंह
लंबे परिश्रम के बाद पुस्तक तैयार की, पूर्व मुख्यमंत्री कु. अर्जुन सिंह की बेटी वीणा सिंह ने बताया कि उनकी माताजी सरोज कुमारी ने लंबे परिश्रम के बाद यह पुस्तक तैयार की। सबकी इच्छा थी कि माताजी के जीवन में ही यह पुस्तक प्रकाशित हो, लेकिन कुछ कारण से इसके प्रकाशन में समय लगा।कार्यक्रम में वीणा सिंह ने फाउंडेशन के बारे में विस्तार से बताते हुए उन्होंने कहा कि वर्ष 2011 में जब पिता का स्वर्गवास हुआ, उसके बाद माता को दु:ख से उभरने में 5 साल व्यतीत हो गए। इसी दौरान समाज सेवा करने का भी सुझाव आया। फिर मैंने अपनी माताजी के साथ कमलनाथ एवं दिग्विजय सिंह के सामने एक फाउंडेशन खोलने का प्रस्ताव रखा। आज यह फाउंडेशन समाज के अलग-अलग हिस्सों में लोगों की मदद कर रहा है। माता के देहांत के पश्चात चेयरमैन की जिम्मेदारी मेरे ऊपर आ गई। आज फाउंडेशन के सभी ट्रस्टी और सदस्य देश के निर्माण में भागीदार बन रहे हैं। आज फाउंडेशन महिला शक्ति को बढ़ावा, शिक्षा के क्षेत्र में पिछड़े लोगों को आगे ले जाने का प्रयास और आर्थिक रूप से लोगों को मजबूत करने में लगा हुआ है।
पुस्तक लिखने की शुरुआत और इससे जुड़े किस्से भी बताए
वीणा सिंह ने कहा कि मेरे सुझाव देने के बाद माताजी ने लिखना शुरू किया। माता जी अक्सर लिखते-लिखते इतनी भावुक हो जाया करतीं थीं कि उनके आंखों में आंसू आ जाया करते थे। उन्होंने कभी किसी के साथ बुरा नहीं किया, न ही किसी को दिया हुआ वचन कभी टला। वह बड़े सरल स्वभाव की नारी थीं। संस्कृति और परंपरा का बेहद ध्यान रखती थीं।राजनीति के उतार-चढ़ाव में वे पिता के सदैव साथ-साथ चलीं और पिता को हिम्मत देतीं रहीं। वो पिता की पूरक थीं। बेहद जिंदादिल और साहसी महिला थीं। लोगों को मानसिक तौर पर मजबूत बनाने मे बेहद बड़ी भूमिका निभाती थीं। कमलनाथ जी अक्सर मेरी माता जी को पिता की ढाल और तलवार दोनों मानते थे।

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