पुरानी परंपरा अनुसार मनाया गया कजलियां का त्यौहार,गले मिलकर एक दूसरे के गिले शिकवे हुए दूर

भुईमाड़। सीधी जिला वैसे तो मध्य प्रदेश से अन्य जिलों से पिछड़ा है लेकिन यहां की पुरानी परंपरा आज भी जीवित है, जिले के आदिवासी विकास खंड कुशमी के भुईमाड़ क्षेत्र में गुरुवार को कजलियां का त्यौहार पुरानी परंपरा अनुसार व बडे धूमधाम से मनाया गया, जहाँ बैंड बाजा के साथ नाचते गाते देवरी बांध पहुंचे जहाँ उन्होंने जई धोकर एक दूसरे से देकर गले मिलते हुए दिखाई दिये,रक्षाबंधन के दूसरे दिन मनाए जाने वाले पर्व को कजलियां कहते है। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार इस दिन गले मिलकर एक दूसरे के गिले शिकवे दूर होते है। बड़े-बुजूर्ग छोटों को आशीर्वाद देते है। वहीं अपने से बराबरी के लोगों को बधाइयां दी जाती है। ग्रामीण क्षेत्रों में इस पर्व को एक विशेष महत्व है, बताया गया कि कजलियों को लेकर महिलाओं और बच्चों में खासा उत्साह देखने को मिलता है। बच्चों को कजलियां देने के बाद शगुन के रूप में बड़े उन्हें रुपए-पैसे दे कर खुशी जाहिर करते हैं। मान्यता है कि गेहूं, जौ और बांस के बर्तनों में खेत की मिट्टी डालकर कजलियों का बीच नागपंचमी के दूसरे दिन ज्यादातर घरों में वोया जाता है। जबकि घर की कन्याएं व महिलाएं रक्षाबंधन तक जल देते हुए कजलियों का पौधा तैयार करती है,जिसे गांव में जई बोलते हैं,
देवरी बांध के पास जुटे लोग, आपको बता दें कि पहले लोग गोपद तट पर जाया करते थे किंतु अब कई सालों से लोग देवरी बांध पर ही जुटते हैं, सभी ने इस दौरान एक दूसरे के कानों में कजलियां लगाकर सुख समृद्घि की कामना कर पुराने द्वेष व बैर को भूलने का संकल्प करते दिखे, मेल मिलाप के इस पर्व पर लोगों ने एक दूसरे को कजलियों का आदान प्रदान कर,जो बराबरी के थे वे गले लगे और जो बड़े थे वे छोटों को आशीर्वाद दिये। इस दौरान भुईमाड़ पुलिस की सुरक्षा व्यवस्था में मुस्तैद दिखाई दी।