पौधों को नाइट्रोजन देने के लिए नैनो यूरिया बेहतर विकल्प, सामान्य से कम खाद से कम

वैढ़न,सिंगरौली। आज ग्राम खमरिया में आईटीसी मिशन सुनहरा कल और सीपा संस्था के द्वारा नैनो यूरिया पर प्रशिक्षण दिया गया । इस दौरान मौजूद किसानों को नैनो यूरिया व नैनो डीएपी के प्रयोग की सलाह दी गई।कार्यशाला को संबोधित करते हुए ग्रामीण कृषि विस्तार अधिकारी धुर्वे ने कहाकि परंपरागत तरीके से उर्वरकों का प्रयोग करने से मिट्टी की उर्वरा शक्ति घट रही है। लगातार खेती में अपनी लागत को बढ़ाना पड़ रहा है। अधिक मात्रा में उर्वरकों के उपयोग से पर्यावरण प्रदूषण व फसलों की गुणवत्ता घट रही है। उन्होंने किसानों को स्वदेशी नैनो तकनीक पर आधारित नैनो यूरिया व नैनो डीएपी का प्रयोग करने की सलाह दी।
नैनो यूरिया व डीएपी के महत्व व विभिन्न फसलों में प्रयोग की विधि के बारे में बताया गया। ग्रामीण कृषि विस्तार अधिकारी धुर्वे ने बताया कि नैनो यूरिया धान के फसलों में तीन मिली लीटर प्रति लीटर पानी में घोल बनाकर उपयोग किया जाता है, जबकि खाद्यान्न फसलों में चार मिली लीटर प्रति लीटर पानी में घोल बनाकर फसल की पत्तियों पर बुआई के 30 – 34 दिन बाद दस से पंद्रह दिन के अंतराल पर दो बार छिड़काव किया जाता है। इस प्रशिक्षण में एफएफएस गांव के किसान उपस्थित रहें सीपा संस्था से मनीष कुमार एवम किसान मित्र रामावतार शाह रहे।