करार के बावजूद रिलायंस सासन कोल माइंस से विस्थापित को नहीं मिली नौकरी व विस्थापन का लाभ
पाँच वर्षों से कार्यालयों का चक्कर लगा रहा ललन पनिका, दी आत्मदाह करने की चेतावनी

वैढ़न,सिंगरौली। सिंगरौली जिले में जिस तरह से औद्योगिक कंपनियों की स्थापना हुयी उसके साथ ही विस्थापन भी एक बड़ी समस्या बनकर उभरी है। विस्थापन की विषंगति यह है कि जो वास्तविक विस्थापित हैं उन्हें विस्थापन का लाभ नहीं मिल पा रहा है जबकि जो विस्थापित नहीं हैं उन्हें विस्थापन का लाभ दिया जा रहा है। रिलायंस कोल माइंस अमलेारी द्वारा ललन कुमार पनिका पिता स्व. हीरालाल पनिका की लगभग पांच एकड़ जमीन अधिग्रहित की गयी। विस्थापित को घर मकान का १ लाख ९५हजार तो मिला परन्तु न तो उसे जमीन का मुआवजा मिला और ना ही नौकरी। विस्थापित ललन पनिका ने बताया कि पांच एकड़ शासकीय जमीन पर उनका कब्जा था जिसका रिकार्ड भी उपलब्ध है। भू अधिग्रहण अधिनियम के अनुसार आदिवासी द्वारा किये गये सरकारी कब्जे की जमीन को पट्टा माना जायेगा तथा जमीन के मालिक के परिवार के पत्येक सदस्य को दो लाख पांच हजार रूपये दिया जायेगा साथ ही पुनर्वास का लाभ प्रदान किया जायेगा। परन्तु विस्थापित को पुनर्वास का कोई लाभ नहीं मिला।
थक हार कर विस्थापित द्वारा जब धरना प्रदर्शन किया गया तब समझौता हुआ और समझौते के आधार पर उपखण्ड अधिकारी सिंगरौली द्वारा सासन पावर लिमिटेड को २२/०७/२०१८ को आदेश जारी किया गया कि ललन पनिका को सासन पावर लिमि. में गार्ड की नौकरी अथवा १२५०० रूपये प्रति माह प्रदान किया जाये तथा पालन प्रतिवेदन उपखण्ड अधिकारी सिंगरौली कार्यालय में प्रस्तुत की जाये परन्तु आज पांच वर्ष बीत जाने के बावजूद विस्थापित को न तो नौकरी मिली और ना ही विस्थापन का लाभ मिल सका। पांच वर्षों से विस्थापित आफिसों के चक्कर लगा रहा है। कई बार कलेक्टर की जनसुनवाई में उसके द्वारा आवेदन दिया गया परन्तु उसकी कोई सुनवाई नहीं हुयी।
हारकर विस्थापित ललन पनिका ने कलेक्टर कार्यालय सिंगरौली में एक पत्र सौंपकर कहा है कि यदि उनकी समस्याओं को नहीं सुना गया तो वह कलेक्ट्रेट कार्यालय के सामने १३/०९/२३ को आत्मदाह करेगा। विस्थापित ललन पनिका ने यह भी कहा है कि यदि उसे पुलिस गिरफ्तार करती है तो वह पुलिस अधीक्षक कार्यालय के सामने आत्मदाह करने के लिए मजबूर होगा।