मध्य प्रदेश

स्वर्ग बना गए मामा जी स्वर्गवासी हम कहलाएंगे

सिंगरौली। मध्यप्रदेश विधानसभा चुनावी चकल्लस के बीच सोशल मीडिया में जम के वायरल हो रहा एक विडियो जिसमे विंध्य क्षेत्र के मशहूर लोकप्रिय गायक सुधीर पाण्डेय ने अपने गीत के माध्यम से सिंगरौली जिले की तमाम समस्याओं को उजागर किया साथ ही सांसद रीति पाठक व वर्तमान सरकार के कार्यशैली पर करारा व्यंग्य कसते हुए साझा किया है,जिस विडियो आम जनता द्वारा को सोशल मीडिया में जम के पोस्ट शेयर किया जा रहा है, तरह तरह से लोग अपनी प्रतिक्रियाएं दे रहें हैं।

बातचीत के दौरान सुधीर पाण्डेय ने बताया की मैं सिंगरौली की मिट्टी में मैं पला बढ़ा मेरी मातृभूमि है सिंगरौली और सिंगरौली वासियों के साथ अन्याय की सारी हदें पार कर दी गई हैं, ऊर्जाधानी होने के साथ सिंगरौली में इंडस्ट्रियल हब होने बावजूद यहां के पढ़े लिखे बेरोजगार युवा दर दर भटकने को मजबूर हैं, लगभग 70 – 75% स्थानीय युवाओं को नौकरी देने की बात मुख्यमंत्री के द्वारा कही गई थी जो सिर्फ घोषणाओं तक ही सीमित रही, धरातल में देखने को आज तक नहीं मिली आखिर क्यों, क्या है इसकी वजह।वहीं अगर कनेक्टिविटी की बात की जाए तो न ट्रेन की सुविधा और न ही फ्लाइट की, ये तो दूर की बात है कई वर्षों से बन रही सीधी सिंगरौली NH 39 सड़क आज तक नहीं बन पाई सिर्फ कागजों और फोटो में सिमट के रह गई।गलती से भी किसी को कोई गम्भीर बीमारी हो जाए तो उस मरीज को उचित इलाज तक मिलना संभव नहीं है जिले के ट्रामा सेंटर का हाल किसी से छुपा नहीं है, सीधा बनारस, दिल्ली, जबलपुर भोपाल जैसे अन्य बड़े शहरों में मरीज को ले कर जैसे तैसे आनन फानन में भागना पड़ता है क्योंकि ना यहां अच्छे हॉस्पिटल ना डॉक्टर ना सुविधाएं। सिंगरौली जिले की इन कंपनियों से मिलने वाला सी एस आर एवं डी एम एफ फंड बाहर के अन्य जिलों में ले जाया जा रहा है। आए दिन सड़क दुर्घटनाओं का शिकार सिंगरौली वासी हो रहे हैं, हर रोज किसी न किसी के घर का चिराग बुझ रहा है, खुलेआम नियमों की धज्जियां उड़ाई जा रही हैं, प्रदूषण की मार सिंगरौली के लोग इस कदर झेल रहे हैं की नाना प्रकार की बीमारियों से ग्रसित हो कर काल के गाल में समा रहे हैं,भ्रष्टाचार और घूसखोरी चरम सीमा पर है,क्या यही सिंगापुर है इसी दिन को देखने के लिए सिंगरौली वाले नेता चुनते हैं।

मैं यहां का कलाकार हूं, सिंगरौली महोत्सव मनाया जाता है और उस महोत्सव में करोड़ों रुपए फूंक दिए जाते हैं, बाहर के कलाकारों को कई लाखों में बुला कर मनोरंज किया जाता है, यहां के स्थानीय कलाकारों को कोई तबज्जो नहीं दिया जाता है, अगर किसी कलाकार को कार्यक्रम में बुलाया भी गया तो बेचारा पानी तक के लिए तरस जाता है सिर्फ एक प्रमाण पत्र ले कर वापस घर आता है,सिंगरौली महोत्सव में खर्च होने वाली राशि अगर यहां के विकास कार्यों में लगाई गई होती तो आज ये दुर्दशा नहीं होती, सिंगरौली के लोगों को रोजगार मिलता तो शासन प्रशासन को महोत्सव मनाने की जरूरत ही न पड़ती सिंगरौली के लोग स्वयं के खर्चे धूम धाम से जिले की वर्षगांठ मनाते,लेकिन यहां तो खाने तक को लाले पड़े हैं, सिंगरौली वासियों की हो रही दुर्दशा हमसे नहीं देखी जाती इसलिए आम जनता की आवाज़ को हमने बुलंद किया है और आगे भी करता रहूंगा। उन्‍होने कहा कि समस्त सिंगरौली वासियों से मेरी अपील है की आने वाली पीढ़ी आपको कोसने न पाए आप सब जागो अपने अधिकार मांगो,क्योंकि अभी नही तो कभी नहीं।

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