चुनाव की अधिसूचना जारी, दावेदारों में हलचल

काल चिंतन कार्यालय
वैढ़न,सिंगरौली। मप्र में विधानसभा चुनाव की अधिसूचना जारी हो गयी है। प्रदेश की प्रमुख पार्टियां कांग्रेस, एवं भारतीय जनता पार्टी अपने कार्यकर्ताओं की कमर कस रही हैं। प्रदेश के हर जिलों में विधानसभाओं के बूथस्तर तक कार्यकर्ताओं का जाल बिछाया जा रहा है। कहीं से कोई छेद न हो कि पार्टी उम्मीदवार को पराजय का मुंह देखना पड़ेे, इसका ध्यान रखा जा रहा है।
प्रदेश की ऊर्जाधानी के नाम से प्रसिद्ध सिंगरौली जिले में अभी तक उम्मीदवारों के नाम स्पष्ट नहीं हैं। पार्टी ने प्रदेशस्तर पर जो टिकट बांटे हैं उसमें तकरीबन सौ टिकट अभी बांकी हैं। इनमें सिंगरौली जिला भी शामिल है। यहां की चार विधानसभाओं में कौन-कौन प्रत्याशी होंगे अभी तक तय नहीं है। जबकि चारों विधानसभाओं से पिछली बार के चुनाव में भारतीय जनता पार्टी के उम्मीदवारों ने विजय दर्ज करवायी थी। सिंगरौली विधानसभा से श्री रामलल्लू वैश्य, देवसर विधानसभा से सुभाष रामचरित्र, चितरंगी विधानसभा क्षेत्र से अमर सिंह एवं धौहनी विधानसभा क्षेत्र से कुंवर सिंह टेकाम को विजयश्री मिली थी। चारो भाजपाई विधायक हैं। लेकिन इस बार चुनावी परिदृश्य बदला हुआ नजर आ रहा है। सत्ता के गलियारों से लेकर पार्टी कार्यालयों तक, पार्टी कार्यालयों से लेकर गांव के चौपालों तक चर्चाओं का बाजार गर्म है। चर्चाओं पर अमल किया जाये तो यह बात छनकर आ रही है कि सिंगरौली जिले में पार्टी को नये चेहरों की तलाश है। सिंगरौली के पड़ोसी जिले सीधी में भी बीजेपी ने विधानसभा चुनाव के लिए नये चेहरों को टिकट दिया है। सीधी सिंगरौली की सांसद श्रीमती रीती पाठक एवं पूर्व विधायक विश्वामित्र पाठक को विधानसभा सीधी एवं सिहावल का टिकट पार्टी ने दिया है।
सिंगरौली जिले में विधानसभा क्षेत्र सिंगरौली में श्री रामलल्लू वैश्य ने तीन बार विजय दर्ज करायी थी। २०२३ के चुनाव में विधानसभा क्षेत्र सिंगरौली से १३ नेताओं ने दावेदारी पेश की है। भाजपा इंतजार में है कि कांग्रेस उम्मीदवार स्पष्ट करे तो समीकरण बनाकर उम्मीदवार खड़ा किया जाये। क्षेत्रीय जनचर्चाओं एवं कयासों पर ध्यान दिया जाये तो लोगों का मानना है कि यदि कांग्रेस श्रीमती रेनू शाह को टिकट देती है तो विरोध में श्री रामलल्लू वैश्य ज्यादा उपयुक्त होंगे। यदि कांग्रेस पार्टी किसी नये चेहरे को टिकट देने का काम करती है या अरविन्द सिंह चन्देल को टिकट देती है तो भाजपा को चेहरा बदलने में उतना खतरा नहीं है। दावेदारों की लाईन में प्रमुख रूप से श्री राम निवास शाह, श्री शिवेन्द्र बहादुर सिंह, श्री रामसुमिरन गुप्ता, श्री विरेन्द्र गोयल, श्री संजीव अग्रवाल, श्री चन्द्र प्रताप विश्वकर्मा, श्री दिलीप शाह, श्री गिरीश द्विवेदी बताये जाते हैं।
विधानसभा क्षेत्र देवसर से सुभाष रामचरित्र एवं राजेन्द्र मेश्राम का नाम प्रमुख रूप से लिया जा सकता है। विधानसभा क्षेत्र चितरंगी में दावेदारों की स्थिति अभी बहुत स्पष्ट नहीं है लेकिन कार्यकर्ताओं का अंतर्विरोध विधायक के साथ बना हुआ है। चर्चा तो यह भी है कि सत्तारूढ़ पार्टी के कुछ दावेदार इस प्रतिक्षा में हैं कि टिकट स्पष्ट हो तो दलबदल किया जाये। दलबदल तो सिंगरौली जिले में कांग्रेस पार्टी के दावदारों में भी चर्चा का विषय बना हुआ है।
भारतीय जनता पार्टी ने अपने शासनकाल में सिंगरौली जिले का विकास तो किया है पहले की तस्वीर और आज का परिवेश विकास की कहानी कह रहा है लेकिन साथ साथ में बीजेपी शासनकाल में विभागीय भ्रष्टाचार में भी उसी अनुपात से इजाफा हुआ है जोकि चुनाव का मुद्दा बनेगा। सत्तारूढ़ पार्टी का सिंगरौली विधानसभा क्षेत्र में उम्मीदवार कोई हो उसे तीस प्रतिशत मलीन बस्तियों में रहने वाले मतदाताओं का आक्रोश झेलना पड़ेगा। २०२३ के विधानसभा चुनावों में भाजपा को फिर से सत्तारूढ़ होने के लिए काफी मेहनत करनी पड़ेगी। बहुत से मुद्दे ऐसे हैं जो उभरकर सामने आयेंगे और स्पीडब्रेकर बनेंगे।