
काल चिंतन कार्यालय
वैैढ़न,सिंगरौली। सोन नदी से बालू की तस्करी झमाझम चालू है। चितरंगी में सोन नदी के उस पार बालू के जितने घाट हैं सबसे बेरोकटोक जेसीबी लगाकर हाईवा एवं ट्रैक्टर भरे जा रहे हैं। चोरी के बालू को घोरावल उत्तर प्रदेश ले जाकर बेचा जा रहा है। उक्त अवैध प्रक्रिया में स्थनीय पुलिस की भूमिका महत्वपूर्ण बतायी जा रही है। संदेह के कटघरे में खड़ी पुलिस सबकुछ देखते हुये भी आंखे बंद किये हुये है।
थाना गढ़वा क्षेत्र के अंतर्गत नौडिहवा एवं बगदरा चौकी क्षेत्र को लेकर ठठरा, पिपरहट, देउरा, बड़गड़, नौगई, पनवार, शिवपुरवा, खटाई, नौडिहवा, क्योंटली घाटों से रात भर रेत की तस्करी हो रही है। तकरीबन सौ वाहन संलिप्त होने के समाचार प्राप्त हुये हैं। बताते हैं कि रेत के तस्कर पहले रेत खनन करके डंप करते हैं फिर डंप से कुछ वाहन बिना टीपी के तथा कुछ वाहन लीज वाली फर्जी टीपी लेकर रेत का परिवहन कर रहे हैं। सारा खेल स्थानीय पुलिस के संरक्षण में चल रहा है यह कहना अतिशयोक्ति नहीं होगी।
सूत्रों से मिली जानकारी को मानें तो सोन नदी पर बालू लोडिंग के जितने घाट हैं वहां कथित तस्कर सक्रिय रहते हैं। वे बालू का उत्खनन करके डंप बनाये रहते हैं। वाहन चालक वाहन लेकर जाता है बालू की एवज में वह उन्हें कथित रूप से साढ़े सात हजार रूपये देता है। पंद्रह सौ रूपया लोडिंग का लगता है। इसके अतिरिक्त अन्य विभागीय खर्चों में पच्चीस सौ से तीन हजार रूपया खर्च आता है। नौ से दस हजार रूपये में एक ट्रिपर बालू तैयार होता है जो कि उत्तर प्रदेश के मार्केट में पच्चीस हजार रूपये में बिकता है। एक ट्रिपर तकरीबन तीन से चार चक्कर लगा लेता है। स्क्वायर फिट के हिसाब से खर्चों का यही रेशियो ट्रैक्टर चालकों के ऊपर भी लागू होता है। रेत के खेल में तस्कर तो मालामाल हो ही रहे हैं। साथ-साथ पूरे क्षेत्र में अपराध नियंत्रण की जिम्मेदारी जिन विभागों को दी गयी है वे भी बहती सोन में अपना हाथ अच्छे से धो रहे हंै। चौकाने वाली बात यह है कि रेत का जो गोरखधंधा चितरंगी में सोन के पार चलाया जा रहा है उसकी जानकारी पुलिस विभाग के उच्च अधिकारियों को भी बखूबी है लेकिन कोई ठोस कार्यवाही अभी तक देखी नहीं गयी है। खनिज विभाग के एक जिम्मेदार सूत्र की मानें तो यदि पुलिस चाहे तो एक छटांक बालू सोन नदी से नहीं उठ सकता। होता यह है कि अपना लाव लस्कर तैयार करके खनिज विभाग के ओहदेदार जब चितरंगी कूच करते हैं तो आधा रास्ता पहुंचते-पहुंचते ही तस्करों तक सूचना पहुंच जाती है। ले देकर खनिज विभाग को एक दो वाहन तस्करी करते प्राप्त होते हैं। खनिज विभाग उनपर कार्यवाही करके ठण्डी हो जाती है। गत दिनों चितरंगी क्षेत्र से दो ट्रिपर एक टै्रक्टर खनिज विभाग के हत्थे चढ़ पाया।
सोन नदी के रेत को सोना बनाने के पीछे तस्करों का नेटवर्क इतना तगड़ा है कि खनिज विभाग के ओहदेदारों के आवासों के बाहर भी इनकी निगरानी करने के लिए आदमी तैनात किये गये हैं। चितरंगी में करोड़ो का रेत का गोरखधंधा अबाध गति से जारी है और जिला प्रशासन इसपर लगाम कसने के लिए अब तक नाकाफी साबित हुआ है।