राम और चंद्र की सीधी टक्कर, रेनू हाशिए पर

काल चिन्तन कार्यालय
वैढ़न,सिंगरौली। विधानसभा का चुनाव प्रचार गहराता जा रहा है। एकदूसरे को पटखनी देने के लिए हाड़तोड़ मेहनत की जा रही है। मैदान में भरतीय जनता पार्टी, कांग्रेस पार्टी, बहुजन समाज पार्टी तथा आम आदमी पार्टी डटे हुये हैं। शिवराज सिंह चौहान के दौरे के बाद परिस्थितियों के परिवर्तन दिखायी देने लगा है। भितरघात से टूटी भाजपा में नवजीवन परिलक्षित होने लगा है। अब भाजपा अपने कैडर वोटों के साथ मैदान में है।
भारतीय जनता पार्टी के बागी कार्यकर्ता एवं पूर्व नगर निगम अध्यक्ष श्री चन्द्र प्रताप विश्वकर्मा बहुजन समाज पार्टी के टिकट पर उम्मीदवार हैं। मैदान में जमकर डटे हुये हैं। चन्द्र प्रताप जीते चाहे हारें वह सीधा भाजपा का नुकसान कर रहे हैं। नगर निगम के महापौर पद के चुनाव में भाजपा उम्मीदवार के रूप में हारे चंद्र प्रताप विश्वकर्मा का आरोप था कि उन्हें अपनों ने ही हराया है। इस खुंदस में वे पहले निर्दल चुनाव लड़ने के मूड में थे बाद में बसपा का टिकट मिल जाने के कारण अब बसपा उम्मीदवार के रूप में मैदान में हैं। मेयर का चुनाव हारने के बाद चंन्द्र प्रताप विधानसभा चुनाव की तैयारी में लग गये थे। जनता से सीधा संपर्क तथा गरीबों एवं मजलूमों, बेरोजगारों की हर संभव मदद करते हुये उन्होने गांव के एरिया में अपनी पहचान बनायी। अब बसपा का टिकट मिल जाने के बाद बहुजन समाज पार्टी का कैडर वोट भी उनके साथ है। बताते हैं कि कांग्रेस के मुस्लिमों के मतों मे भी उन्होने सेंधमारी की है। इस प्रकार देखा जाये तो चंन्द्र प्रताप विश्वकर्मा भारतीय जनता पार्टी के रामनिवास शाह से सीधे टक्कर में हैं।
औद्योगिक क्षेत्र में पार्टी के कैडर वोट उनको मिलेंगे। अब कुछ निर्णायक जातियों के मत हंै जिनका रूख अभी भी स्पष्ट नहीं हो रहा है। जिससे जीत हार का अंदाजा अभी लागाना बेमानी होगी। जहां तक प्रदेश में दूसरी पार्टी के रूप में स्थापित कांगे्रस पार्टी का सवाल है उसने लगातार श्रीमती रेनू शाह को अपना विधानसभा प्रत्याशी बनाया है। इस बार भी रेनू शाह मैदान में हैं। मजे की बात यह है कि कांग्रेस पार्टी के प्रदेशस्तर के ओहदेदारों ने विधानसभा क्षेत्र सिंगरौली की समान्य सीट पर कुछ सवर्णों तथा कुछ ओबीसी के कांग्रेसी कार्यकर्ताओं को टिकट देने के लुभावने वादे किये थे जिन्होने तकरीबन छ: महीने पूर्व से पूरे ताम झाम के साथ कांग्रेस पार्टी तथा अपना प्रचार जारी रखा था लेकिन उम्मीदवारी तय हो जाने के बाद उन दावेदारों का सिंगरौली में कहीं पता नहीं चल रहा है। ‘गुजरे सभी बारी बारीÓ की तर्ज पर एक-एक करके तकरीबन सभी कार्यकर्ताओं ने अपना पल्ला झाड़ लिया। चुनाव प्रचार में अगर मौजूदगी किसी की देखी जा रही है तो शहर कांग्रेस अध्यक्ष अरविन्द सिंह चन्देल दिखायी दे रहे हैं। दबी जुबान में कांग्रेसी खेमे में सुनाई दे रहा है कि जब जब कांग्रेस आन्दोलन करती थी रेनू शाह का कहीं पता नहीं चलता था और जब उम्मीदवारी तय करने की बात आयी तो सीधा रेनू शाह को कांग्रेस के आलाकमान ने टिकट थमा दिया। वर्षों से कांग्रेस पार्टी का जमीनी स्तर पर काम करने वाले अनुभवी एवं वरिष्ठ कार्यकर्ताओं पर कांग्रेस पार्टी के आला कमान ने ध्यान न देते हुये एकतरफा निर्णय लिया। आज कांग्रेस पार्टी के चुनाव प्रचार में रेनू शाह के साथ भीड़ नहीं देखी जा रही है। कांग्रेस पार्टी के कुछ मतों पर आम आदमी पार्टी की तथा बसपा उम्मीदवार की सेंधमारी कांग्रेस को और कमजोर बनाने का काम कर रही है।
इफ्तदाये इश्क में होता है क्या? आगे आगे देखिये होता है क्या? किसी शायर की तर्ज पर सिंगरौली का चुनाव भी अभी मुखर नहीं हुआ है। झंडा डंडा, माइक चोंगा तो सभी चिल्ला रहे हैं। डोर टू डोर की पहुंच ही अच्छा परिणाम दिला सकती है।