मध्य प्रदेश

रात 11 बजे खुला छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट, ग्रामीणों की याचिका पर हुई सुनवाई, मिली राहत

बिलासपुर. आजादी के पहले से पीढ़ी-दर-पीढ़ी निवास कर रहे परिवार को बेदखली के लिए तहसीलदार ने नोटिस जारी कर दिया था. परेशान ग्रामीण गुरुवार की रात हाई कोर्ट पहुंचे. मामले की गंभीरता को देखते हुए छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस एके गोस्वामी ने कोर्ट में सुनवाई का निर्देश दिया. रात 11 बजे हाई कोर्ट खुला. जस्टिस पी सैम कोशी के सिंगल बेंच में सुनवाई प्रारंभ हुई. आधा घंटे बाद जस्टिश कोसी ने आधी रात 12 बजकर 10 मिनट पर आदेश जारी किया. याचिकाकर्ता ग्रामीणों को राहत देते हुए तहसीलदार द्वारा जारी बेदखली वारंट पर रोक लगा दी है. परेशान ग्रामीण रात में ही राहत की सांस लेते हुए अपने घरों की ओर लौट गए.

महासमुंद जिले के ग्राम लालपुर निवासी फूलदास कोसरिया व योगेश ने अपने वकील के माध्यम से हाई कोर्ट में याचिका दायर की. दायर याचिका में ग्रामीणों ने बताया कि जिस जमीन पर पीढ़ी दर पीढ़ी निवास कर रहे हैं उस जमीन की वर्ष 1982 से नियमानुसार टैक्स जमा कर रहे है. जिस जमीन का टैक्स पटा कर रह रहे हैं बेदखली के लिए तहसीलदार ने नोटिस जारी कर दिया. नोटिस की तामिली के लिए शाम साढ़े पांच बजे राजस्व विभाग की टीम पहुंची. राजस्व विभाग की टीम ने तहसीलदार के आदेश का हवाला देते हुए बेदखली की कार्रवाई प्रारंभ कर दी. घर के हिस्से को एक्सीवेटर के जरिए तोडऩा प्रारंभ कर दिया.

इसी बीच ग्रामीणों ने वकील से मोबाइल के जरिए बात की और वस्तुस्थिति की जानकारी दी. वकील के कहने पर ग्रामीण हाई कोर्ट के लिए लालपुर से शाम में ही रवाना हुए. रात साढ़े आठ बजे हाई कोर्ट पहुंचे व वकील के जरिए रजिस्ट्रार जनरल से संपर्क किया. रजिस्ट्रार जनरल ने हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस गोस्वामी से चर्चा की व प्रकरण के संबंध में जानकारी दी. चीफ जस्टिस के निर्देश पर रात 11 बजे हाई कोर्ट खुला. इस बीच प्रकरण की रजिस्ट्री में सूचीबद्ध किया गया. मामले की सुनवाई जस्टिस पी सैम कोशी के सिंगल बेंच में सुनवाई प्रारंभ की.

ग्रामीणों का पक्ष सुनने के बाद जस्टिस कोशी ने तहसीलदार के आदेश पर 10 अगस्त तक रोक लगाते हुए यथास्थिति बनाए रखने का निर्देश दिया है. याचिकाकर्ता ग्रामीणों ने बताया कि उनका परिवार आजादी के पहले से ही इसी जमीन पर निवासरत हैं और अपना जीविकोपार्जन चला रहे हैं. सरकारी जमीन पर निवास के लिए घर बना लिए हैं और बची जमीन पर खेती बाड़ी कर परिवार का गुजर बसर कर रहे हैं. यही एकमात्र जीविकोपार्जन का साधन है जिसे प्रशासन छीनने पर आमादा है.

अवकाश के दिनों में हो रही सुनवाई

छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट में अवकाश के दिनों में लगातार सुनवाई हो रही है. ग्रीष्मकालीन अवकाश के दिनों में दो मेडिकल छात्रों की अलग-अलग याचिकाओं पर अवकाश के दिनों में सुनवाई हुई थी. उस वक्त भी रात में हाई कोर्ट खुला था. प्रकरण की सुनवाई के बाद याचिकाकर्ता मेडिकल छात्रों को हाई कोर्ट ने राहत दी थी.
Source : palpalindia

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