आईटीसी मिशन सुनहरा कल के माध्यम से किसानों ने मशरूम उत्पादन के लाभ को जाना

वैढ़न,सिंगरौली। आईटीसी मिशन सुनहरा कल एवं सहयोगी संस्था सीपा द्वारा ग्राम परसदेही मशरूम उत्पादन प्रशिक्षण का आयोजन किया गया जिसमें ग्राम के 32 किसानों ने मशरूम उत्पादन का प्रायोगिक प्रशिक्षण प्राप्त किया। प्रशिक्षक श्री विकास भनारे ने मशरूम का परिचय वैज्ञानिक नाम अन्य नाम मध्य प्रदेश की जलवायु हेतु उपयुक्त प्रजाति मशरूम उत्पादन में लगने वाली आवश्यक सामग्रियां कच्ची सामग्री आ एवं उत्पादन विधि में चर्चा करते हुए सर्वप्रथम किसानों के माध्यम से गेहूं का भूसे का उपचार किया गया, उपचार के उपरांत भूसे से अतिरिक्त जल को अलग कर कर मशरूम की बिजाई (स्पांनिंग) कराई गई इस के के दौरान किसानों ने मशरूम के बैग तैयार किए एवं एक मशरूम हाउस में व्यवस्थित ढंग से रखा गया जिससे आगामी दिनों में उसका अवलोकन एवं उत्पादन प्राप्त किया जा सके। श्री विकास भनारे द्वारा यह भी बताया गया कि मशरूम की खेती हमारे लिए अब आवश्यक क्यों होती जा रही है जिससे किसान अपनी आय को दोगुना कर सके एवं अपनी आर्थिक परिस्थिति एवं स्वास्थ्य को अच्छा बना सके इस विषय पर विस्तृत चर्चा की गई। फसल प्रबंधन पर चर्चा आईटीसी मिशन सुनहरा कल के विलेज रिसोर्स पर्सन श्री लल्लू प्रसाद साह एवं रामावतार शाह द्वारा किसानों को धान की फसल में एवं मक्के की फसल में कीट एवं रोग व्याधि आदि से बचाओ के उपाय से किसानों को अवगत कराया गया।
ब्रूसिलोलिस बीमारी की रोकथाम पर चर्चा आईटीसी मिशन सुनहरा कल के कृषि विशेषज्ञ श्री मनीष कुमार मौर्य द्वारा पशुओं में जीवाणु जनित बीमारी ब्रूसेलोसिस चौकी मादा पशुओं में गर्भावस्था के अंतिम चरण में गर्भपात एवं बांझपन हिट में देरी आदि के परिणाम स्वरुप दुग्ध उत्पादन में कमी रोग की विस्तृत जानकारी किसानों को प्रदान किए गए जिसके नियंत्रण हेतु पशुपालन एवं डेयरी विभाग द्वारा वर्तमान समय में मादा को भी सुनती पशुओं को 4 से 6 महीने की उम्र में एक बार टीकाकरण करके इस रोग से पूरे जीवन काल के लिए नियंत्रण किया जा सकता है इस हेतु किसानों को प्रेरित किया गया।
कार्यक्रम में किसानों के साथ कॉलेज आफ एग्रीकल्चर रीवा के रावे स्टूडेंट जो कि कृषि विज्ञान केंद्र सिंगरौली के निर्देशन में कार्य कर रहे हैं उपस्थित रहे।