मध्य प्रदेश

रेत उत्खनन पर प्रतिबंध के बावजूद धड़ल्ले से अवैध रेत उत्खनन जारी

रात भर दौड़ते हैं ट्रैक्टर, कोतवाली पुलिस पर सवालिया निशान

वैढ़न,सिंगरौली। कलेक्टर के आदेश से जिले में रेत उत्खनन का कार्य बंद कर दिया गया है। रेत उत्खनन के लिए जो ठेकेदार नियत है उसने अपना काम बंद कर दिया है लेकिन कोतवाली क्षेत्र में रेत का अवैध उत्खनन धड़ल्ले से किया जा रहा है। रात भर लगभग दो दर्जन ट्रैक्टर स्थानीय नालों, नदियों से रेत का उत्खनन करते हैं और रात भर परिवहन किया जा रहा है। बताते हैं कि रात में हो रहे इस गोरखधंधे को पुलिस का संरक्षण प्राप्त है।

क्षेत्र में ब्याप्त चर्चाओं को यदि सही मान लिया जाये तो कृषि कार्य के लिए खरीदे गये ट्रैक्टर पूर्णरूप से रेत के जरायम धंधे में लगा दिये गये हैं। कभी इनकी संख्या बढ़ भी जाती है, कभी घट जाती है। रात भर रेत का उवैध उत्खनन करने की एवज में कोतवाली पुलिस को प्रति ट्रैक्टर प्रतिमाह चालिस से पचास हजार रूपया अदा करना होता है। जो ट्रैक्टर मालिक इस रकम को समय से अदा नहीं करता है उस ट्रैक्टर को पकड़कर उसका चालान कर दिया जाता है। रात भर चलने वाले रेत के इस गोरखधंधे को कोतवाली की गश्ती पुलिस रात भर मार्ग निर्देशन करती रहती है।

रेत के इस अवैध धंधे का नेटवर्क बहुत सशक्त बताया जाता है। जानकार बताते हंै कि जब रात्रि 8 बजे के बाद रेत का उत्खनन तथा ट्रैक्टरों से परिवहन प्रारंभ होता है तो संबंधित धंधे से जुड़े लोगों का नेटवर्क चालू हो जाता है। जानकार बताते हैं कि रेत उत्खनन स्थल से परिवहन के अन्त तक हर एक किलोमीटर पर रेतमाफिया का एक आदमी मोबाइल लिये बैठा रहता है। यदि खनिज विभाग की कोई गाड़ी या मीडिया का कोई वाहन दिखायी देता है तो तुरंत धंधे के सूत्रधार को मोबाइल से खबर कर दी जाती है जिससे वे सावधान हो जाते हैं। बकायदा पीसी मशीन लगाकर रेत का उत्खनन करने की खबर है।

हैरत की बात यह है कि अवैध रेत के कारोबार से जुड़े लोग इतने आक्रामक होते हैं कि उनके रास्ते में कोई भी आ जाये ट्रैक्टर की स्पीड कम नहीं करते। चंद महीनों पहले खनिज विभाग के लोग बलियरी के इलाके में इन ट्रैक्टरों को पकड़ने के लिए तैनात किये गये। विपरीत दिशा से रेत भरकर ट्रैक्टर आता देखकर जब माइनिंग इंस्पेक्टर ने उसे हाथ दिया तो वह रूकने के बजाय और तेज हो गया। उसने खनिज विभाग की कार को ही ठोकर मार दी। अच्छा यह हुआ कि कार में विभाग का कोई आदमी बैठा नहीं था, नहीं तो बड़ी घटना घट सकती थी।  बताते हैं कि इस खबर को दबाने के लिए अज्ञात लोगों का बहुत बड़ा दबाव माइनिंग विभाग पर डाला गया। लिहाजा मीडिया के लोगों को कोई खास घटना न होने की जानकारी दी गयी।

जिला मुख्यालय वैढ़न से चन्द किलोमीटर दूर के रेडियस में प्रशासनिक अमलों की नाक के नीचे ये कौन लोग हैं जिन्हें किसी का खौफ नहीं है। पुलिस विभाग का निहित स्वार्थ तो स्पष्ट है। प्रशासनिक इच्छाशक्ति को क्या हो गया है? खनिज विभाग के सूत्र कहते हैं कि जिस धंधे को पुलिस महकमें का संरक्षण प्राप्त हो वहां अपनी जान गंवाने कौन जायेगा? चन्द महीनों पहले खनिज विभाग के एक निरीक्षक के ऊपर जानलेवा हमला हुआ था। रेत माफियाओं द्वारा उनको इतना मारा गया था कि उन्हें मरा जानकर छोड़ दिया गया था। उस मामले में भी पुलिस विभाग की लीपापोती जगजाहिर है।

यह समाचार पढिए

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button
Live TV