ब्रह्मकुमारी ईश्वरी विश्वविद्यालय विन्ध्यनगर में उमंग व उत्साह के साथ मनाया गया गणेश चतुर्थी उत्सव

वैढ़न,सिंगरौली। ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्वविद्यालय विंध्यनगर सिंगरौली मे गणेश चतुर्थी पर्व के उपलक्ष्य में आजादी के अमृत महोत्सव से स्वर्णिम भारत की ओर श्रंखला के तहत कार्यक्रम आयोजित किया गया। कार्यक्रम में सभी भाई बहनों ने उमंग उत्साह के साथ उत्सव मनाया। कुमारी आकृति ने श्री गणेशाय नम: गीत पर नृत्य प्रस्तुत किया। पर्व की शुभकामनाएं देते हुए अपर्णा बहन ने कहा की गणेश जी की स्थापना का विशेष महत्व है कोई भी शुभ कर्म से पहले गणेश जी की स्थापना जरूर की जाती है। जिसका अर्थ है कि अपने जीवन में सुख एवं समृद्धि को लाना। गणेश जी के समान हम भी अपने जीवन को खुशनुमा बनाएं।
कार्यक्रम में राजयोगिनी बीके शोभा दीदी ने सभी भाई बहनों को गणेश चतुर्थी की हार्दिक बधाइयां दी। दीदी ने सभी को गणेश जी के अंगों एवं अलंकारों का आध्यात्मिक महत्व समझाया कि चौड़ा माथा अर्थात विशाल बुद्धि, छोटी आंखें अर्थात दूरा देशी नेतृत्व, छोटा मुख और बड़े कान अर्थात कम बोलो और ज्यादा सुनो और सुपा जैसे कान जैसे छलनी बुराइयों को छोड़ अच्छाई को धारण करने का महत्व दर्शाते हैं। गणपति जी को एकदंत इसलिए कहते हैं कि हमेशा एक मत हो रहना है द्वंद मैं नहीं रहना है। बड़ा पेट समाने की शक्ति को दर्शाता है। गणेश जी को 4 भुजाओं में 4 अलंकार दिए हैं उनका महत्व भी समझाया। पहला कुल्हाड़ी अर्थात जीवन में बुराइयों और विकारों को ज्ञान रूपी कुल्हाड़ी से काटना है। दूसरा रस्सी अर्थात स्वयं को मर्यादा की रस्सी में बांधकर अनुशासित करना है। तीसरा ब्लेसिंग देते हुए हाथ अर्थात सभी को सिर्फ देना है। चौथा मोदक अर्थात निरंतर ध्यान देने का प्रतीक है। सबसे मुख्य गणेश जी को विघ्न विनाशक भी कहा जाता है। अत: सभी को गणेश जी की विशेषताओं को जीवन में धारण करने को कहा। अंत में सभी ने मिलकर गणेश जी की आरती की एवं सभी ने भोग स्वीकार किया।