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सरकारी संपत्तियों को बेचकर मोदी सरकार जुटाएगी 51,000 करोड़ रुपये, जानें क्या -क्या बेच सकती है सरकार?

नई दिल्ली। सरकार ने मौजूदा वित्त वर्ष के लिए अपने विनिवेश (सरकारी संपत्तियों के जरिए) लक्ष्य को घटा दिया है। वहीं, अगले वित्त वर्ष 2023 के लिए सरकार ने विनिवेश के जरिए 51000 करोड़ रुपये का टारगेट प्राइस तय किया है। जोकि पिछले बार की बजट की तुलना में कम है। बता दें, मौजूदा फाइनेंशिएल ईयर के लिए सरकार ने विनिवेश का लक्ष्य 50,000 करोड़ रुपये कर दिया है। जबकि इससे पहले यह 65,000 करोड़ रुपये था। टारगेट कम करना साफ दर्शाता है कि सरकार की विनिवेश प्रक्रिया में निवेशक कम रुचि रख रहे हैं।

पहले भी लक्ष्य को सरकार ने घटाया है

ऐसा है पहली बार नहीं है कि सरकार विनिवेश के टारगेट को कम किया है। इससे पहले वित्त वर्ष 2022 में विनिवेश के जरिए भारत सरकार का लक्ष्य 1.75 लाख करोड़ रुपये जुटाने का था। जिसे बाद में घटाकर 78,000 करोड़ रुपये करना पड़ा था। लेकिन फाइनेंशिएल ईयर समाप्त होने के बाद सरकार महज 13,627 करोड़ रुपये ही जुटा पाई थी।

क्या-क्या बेच सकती है सरकार?

सरकार आईडीबीआई बैंक, शिपिंग कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया, क्चश्वरूरु और कंटनेटर कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया में अपनी हिस्सेदारी घटा सकती है। पिछले बजट भाषण में वित्त मंत्रालय की तरफ से एलआईसी के आईपीओ लाने का ऐलान हुआ था। इस बार इस तरह का कोई बड़ा ऐलान नहीं किया गया है।
इंवेस्टमेंट और पब्लिक एसेंट मैनेजमेंट के इंवेस्टमेंट डिपार्टमेंट की तरफ से दी गई जानकारी में कहा गया है कि 1 फरवरी तक सरकार ने विनिवेश के जरिए 31,106 करोड़ रुपये जुटा लिए थे। जिसमें से अधिकतर एलआईसी का है। इस कंपनी के आईपीओ से सरकार को 20,516 करोड़ रुपये का फायदा हुआ है।

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