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Railway को रिफंड न देने पर कंज्यूमर कमीशन की फटकार, बोला- ऐसे किराया हड़प कर मुनाफा नहीं कमा सकते

 

चंडीगढ़. चंडीगढ़ स्टेट कंज्यूमर कमीशन ने एक दंपती की फर्स्ट क्लास की टिकट कंफर्म न हो पाने पर और ट्रेन में सफर न करने के बावजूद किराया रिफंड न करने पर रेलवे को कड़ी फटकार लगाई है. कमीशन ने रेलवे के अपील केस को रद्द करते हुए कहा कि मामले में न तो शिकायतकर्ता ट्रेन में सफर कर पाया और न ही उसकी मेहनत की गाढ़ी कमाई रिफंड हुई.
कमीशन ने कहा कि रेलवे उस पैसे को नहीं हड़प सकता जिसे शिकायतकर्ता ने अपने किराए और यात्रा के लिए खर्च किया हो, हालांकि जिसका वह उपभोग नहीं कर सका क्योंकि डिपार्चर के समय तक उसकी टिकट कंफर्म नहीं हुई.
वहीं कमीशन ने रेलवे के उस तर्क पर भी टिप्पणी की जिसमें कहा गया था कि ट्रेन डिपार्चर के 30 मिनट में शिकायतकर्ता ने उनके पास रिफंड के लिए पहुंच नहीं की. कमीशन ने कहा कि रुल 7(3) के प्रावधान कंज्यूमर के हित में नहीं हैं, जिसमें टिकट का किराया भरा गया हो और वेटिंग लिस्ट में होने के बावजूद उसे कंफर्म सीट या बुकिंग उपलब्ध न हुई हो और उसे रिफंड न दिया गया हो.

किराया हड़प मुनाफा नहीं कमा सकता

रेलवे अपने नियमों का हवाला दे बिना सीट पाए कस्टमर का इस प्रकार किराया हड़प कर मुनाफा नहीं कमा सकता. ऐसे नियम कस्टमर के हितों को नुकसान पहुंचाने वाले हैं. इससे कस्टमर अनावश्यक वित्तीय नुकसान में पड़ जाते हैं. कमीशन ने कहा कि कंज्यूमर के हित में रेलवे को अपनी इस प्रैक्टिस को बंद कर देना चाहिए. कई बार कस्टमर इस उम्मीद में होता है कि उसकी टिकट कंफर्म हो जाएगी. ऐसे में वह तय समय में टिकट कैंसिल नहीं करवा पाता.

हर कोई टेक्नोलॉजी का जानकार हो यह जरूरी नहीं

कमीशन ने कहा कि भले ही हम इस वक्त मॉडर्न समय मोबाइल और लैपटॉप की टेक्नोलॉजी में जी रहे हैं, मगर हर व्यक्ति के पास यह टेक्नोलॉजी हो या वह इसका जानकार हो, ऐसा जरूरी नहीं है. यात्री कई बाद नई दिल्ली जैसे बड़े रेलवे स्टेशन में लाइन में लगा होता है, ऐसे में वह तय समय में टिकट कैंसिल नहीं करवा पाते.

ऐसे मानदंड बनाएं जो सच में लाभप्रद हों

कमीशन ने कहा कि सभी पहलुओं पर गौर कर विचार कर रेलवे को मानदंड तय करने चाहिए जो लोगों के लिए सुविधाजनक हों और सच्चे परिप्रेक्ष्य में बिना किसी जटिलता और शोषण के उनके लिए लाभप्रद हों. मौजूदा केस में रेलवे के कृत्य को सेवा में कोताही पाते हुए डिस्ट्रिक्ट कमीशन के फैसले को सही पाया गया.

इन्होंने दायर की थी अपील

केंद्र सरकार के रेलवे मंत्रालय ने रेलवे बोर्ड के चेयरमैन, DRM, नार्दन रेलवे, अंबाला, स्टेशन मास्टर, रेलवे स्टेशन चंडीगढ़, डिप्टी ट्रेन सुपरिटेंडेंट, राजधानी एक्सप्रेस और चीफ कमर्शियल मैनेजर (रिफंड) ने सेक्टर 38-ए के अमनदीप सिंह और इंडियन रेलवे कैटरिंग एंड टूरिज्म कॉर्पोरेशन लिमिटेड, सेक्टर 34-ए, चंडीगढ़ को पार्टी बनाते हुए यह अपील दायर की थी. स्टेट कंज्यूमर कमीशन के प्रेसिडेंट राज शेखर अत्री ने यह अपील रद्द की है.

इस फैसले को दी थी चुनौती

डिस्ट्रिक्ट कंज्यूमर कमीशन, चंडीगढ़ के 27 दिसंबर, 2021 के फैसले को चुनौती देते हुए यह अपील दायर की गई थी. अपीलकर्ता पक्ष को आदेश दिए गए थे कि शिकायतकर्ता को 9,520 रुपए 9 प्रतिशत ब्याज सहित वापस करे. वहीं शिकायतकर्ता पक्ष को हुई मानसिक पीड़ा और शोषण के चलते हर्जाने के रूप में 5 हजार रुपए तथा अदालती खर्च के रूप में 1300 रुपए चुकाने को कहा गया था. वहीं इंडियन रेलवे कैटरिंग एंड टूरिज्म कॉर्पोरेशन लिमिटेड के खिलाफ शिकायत को रद्द कर दिया गया था.

हनीमून पर निकलना था

निचली कोर्ट में दायर केस के मुताबिक अमनदीप सिंह और उनकी पत्नी को 30 मई, 2018 को चंडीगढ़ से मुंबई अपने हनीमून के लिए सफर करना था. इसे लेकर शिकायतकर्ता ने 22 मई, 2018 को दिल्ली से मुंबई की राजधानी एक्सप्रेस की दो फर्स्ट क्लास टिकट खरीदी थी. इसके लिए उन्होंने 9,520 रुपए भरे थे. टिकट का स्टेटस वेटिंग लिस्ट (8,9) पर दिखा रहा था. बुकिंग क्लर्क ने आश्वासन दिया था कि 30 मई, 2018 से पहले टिकट कंफर्म हो जाएंगी. बाद में स्टेटस 2,3 हो गया.

रेलवे ने कहा-सीट कंफर्म नहीं हुई

जब शिकायतकर्ता रेलवे स्टेशन पर पहुंचे तो कहा गया कि टिकट्स कंफर्म हो जाएंगी. रेलवे प्लेटफार्म पर पहुंच शिकायतकर्ता ने टीटीई को कहा कि उन्हें एडजस्ट करें. हालांकि उन्हें कहा गया कि कोई रूम और सीट उपलब्ध नहीं हो सकती. शिकायतकर्ता और उनकी पत्नी को उसी दिन मुंबई पहुंचना था, इसलिए शिकायतकर्ता को एयर इंडिया की टिकट बुक करवानी पड़ी. इनका रेट 31,304 रुपए था. शिकायतकर्ता ने रिफंड मांगा, मगर उन्हें रेलवे ने रिफंड नहीं दिया. ऐसे में सेवा में कोताही और गलत व्यापारिक गतिविधियों में शामिल होने का आरोप लगा कंज्यूमर शिकायत दायर की गई थी.

कोई आश्वासन नहीं दिया था- रेलवे

जवाब में रेलवे ने इंडियन रेलवे कॉन्फ्रेंस एसोसिएशन कोचिंग टैरिफ नंबर 26 पार्ट 1(वॉल्यूम 1) के नियम 306 का हवाला दिया. इसके तहत कहा गया कि रेलवे एडमिनिस्ट्रेशन किसी भी कस्टमर को रिजर्व्ड सीट की गारंटी नहीं देता. वहीं कहा गया कि बुकिंग क्लर्क ने भी सीट को लेकर कोई आश्वासन नहीं दिया था. इसके अलावा कहा गया कि शिकायतकर्ता भी समय पर रिफंड के लिए नहीं पहुंचा था. वहीं समय निकलने के बाद शिकायतकर्ता ने टिकट कैंसलेशन की मांग की. ऐसे में कोचिंग टैरिफ रूल्स के तहत रिफंड की मांग रद्द की गई. इसके साथ कहा गया कि रेलवे पैसेंजर्स (कैंसलेशन ऑफ टिकट्स एंड रिफंड ऑफ फेयर), रूल्स, 1998 के तहत ट्रेन के शेड्यूल डिपार्चर के 30 मिनट्स के बाद आरएसी या वेट लिस्ट टिकट्स पर फेयर का रिफंड नहीं दिया जा सकता.
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