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भारत पर भी मंडरा रहा भूकंप का खतरा, हर साल खिसक रही इंडियन प्लेट

 

नई दिल्ली. एक प्रमुख मौसम वैज्ञानिक और भूवैज्ञानिक विशेषज्ञ ने चेतावनी दी है कि भारतीय टेक्टोनिक प्लेट हर साल लगभग 5 सेमी आगे बढ़ रही है. जिससे हिमालय के साथ तनाव बढ़ रहा है और बड़ी घटनाओं की आशंका बढ़ रही है. आने वाले दिनों में यह भयंकर भूकंप का रूप ले सकता है. वैज्ञानिक ने चेतावनी देते हुए कहा है कि हिमालय क्षेत्र पर तनाव का जमाव हो रहा है और बड़े भूकंप की आशंका बढ़ती जा रही है.

हिमालय. पहाड़ों की एक ऐसी श्रृंखला, जो आज भी बनने के क्रम में ही है. पढ़ते हुए अजीब लग सकता है कि जो पहाड़ सदियों से अस्तित्व में है, उसे निर्माणाधीन कहा जाना कितना सही है. लेकिन एक्सपर्ट्स ऐसा ही कहते आ रहे हैं कि हिमालय पर्वत शृंखला अभी भी निर्माण के दौर से गुजर रही है. ये पहाड़ हर साल बढ़ रहे हैं. करीब 5 मिलीममीटर. इस हिसाब से एक हजार साल में 5 मीटर और 10 हजार साल में 50 मीटर.

हिलने-डुलने के इस क्रम में एक बार फिर हिमाालयन क्षेत्र में भूकंप का खतरा मंडरा रहा है. इस क्षेत्र में पिछला बड़ा भूकंप आया था, करीब 8 साल पहले, 2015 में. नेपाल में आए इस भूकंप ने बड़ी तबाही मचाई थी. करीब 8 रिक्टर स्केल की तीव्रता वाले इस भूकंप ने बड़ी-बड़ी इमारतें गिरा डाला और करीब 9 हजार लोगों की जानें चली गईं. इस भूकंप के झटके भारत में भी महसूस किए गए थे. पिछले साल भी नेपाल के पश्चिम के कुछ हिस्से में भूकंप के झटके आए थे, जो भारत के उत्तराखंड में भी महसूस किए गए. यूं देखा जाए तो कुछ वर्षों के अंतराल में हिमालय का कोई न कोई इलाका झटका महसूस करता रहता है. और अब जबकि तुर्की और सीरिया में आए विनाशकारी भूकंप ने पूरी दुनिया को हिला कर रख दिया है, भारत में भी एक्सपर्ट्स हिमालय क्षेत्र में भूकंप को लेकर सावधान कर रहे हैं.

हिमालय क्षेत्र में तुर्की जैसा भूकंप!
हिमालय क्षेत्र में बड़े भूकंप की आशंका जताई जा रही है. एक्सपर्ट्स के अनुसार, आने वाला भूकंप काफी विनाशकारी साबित हो सकता है. ऐसा दावा किया है, हैदराबाद स्थित नेशनल जियोफिजिकल रिसर्च इंस्टीट्यूट के चीफ साइंटिस्ट डॉक्टर एन पूर्णचंद्र राव ने. उनका कहना है कि उत्तराखंड में तुर्की जैसा भूकंप आ सकता है. हालांकि यह भूकंप कब आएगा, इस बारे में वो अभी स्पष्ट नहीं बता पा रहे.

डॉ राव के मुताबिक उत्तराखंड क्षेत्र में हिमालय के नीचे जबरदस्त तनाव बन रहा है. ऐसे में एनर्जी रिलीज होना तय है और इसके लिए आज नहीं तो कल भूकंप आना ही आना है. वो कहते हैं, भूकंप की तारीख और समय का अनुमान तो नहीं लगाया जा सकता, लेकिन इससे होने वाली तबाही बड़ी होगी. बहरहाल हिमालयन सेक्टर में 80 सिसमिक स्टेशन बनाए गए हैं, जिनकी नजर रियल टाइम सिचुएशन पर है.

पिछले साल जब उत्तराखंड में नेपाल में आए भूकंप के झटके महसूस किए गए थे, तब देहरादून स्थित वाडिया इंस्टीट्यूट की ओर से ऐसी चेतावनी दी गई थी. तब एक्सपर्ट अजय पॉल ने कहा था कि धरती के नीचे चल रहीं गतिविधियां जो एनर्जी बना रही हैं, उनके रिलीज होने का रास्ता भूकंप ही है. इसकी तीव्रता 7 या उससे ज्यादा घातक हो सकती है.

हिमालय के बनने का इतिहास, धरती के सातों महाद्वीप और पांचों महासागरों के बनने के साथ ही जुड़ा हुआ है. और यह बात कोई 2-4 हजार साल पुरानी नहीं है, बल्कि करीब 27 करोड़ साल पहले की है. तब धरती पर न कोई मेडागास्कर था, न कोई ऑस्ट्रेलिया और न ही इंडियन सब कॉन्टिनेंट यानी भारतीय उपमहाद्वीप. तब पूरी जमीन एक थी, विशाल महाद्वीप जैसी. जर्मन जियोलॉजिस्ट अल्फ्रेड वेगेनर के शब्दों में पैंजिया.

उनकी थ्योरी से पहले माना जाता था कि धरती वैसी ही थी, जैसी आज है. लेकिन 1915 में अल्फ्रेड वेगेनर ने अपनी थ्योरी में बताया कि धरती पर हिंद महासागर का भी अस्तित्व नहीं था. डायनासोर कभी पैंजिया पर ही थे. करीब 17 करोड़ साल बात पैंजिया में दरारें पड़ने लगीं. पहले दो टुकड़े हुए और फिर कई और टुकड़े. करीब नौ करोड़ साल पहले मेडागास्कर से भारत अलग हुआ. बताया जाता है कि करीब साढ़े पांच करोड़ साल पहले भारत की टक्कर यूरेशिया की प्लेट से हुई और जमीन के दो विशाल टुकड़े के टकराने के बीच मौजूद समंदर की तलहटी से जमीन ऊपर उठने लगी. यही टुकड़ा हिमालय बताया जाता है. कहा जाता है कि यह आज भी उठ रहा है. और इसलिए समय-समय पर एक्सपर्ट्स भूकंप की चेतावनी देते आ रहे हैं.
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