राष्ट्रीय

परिषदीय विद्यालयों में गैस चूल्हे की बजाय लकड़ी पर पकाया जा रहा मध्यान भोजन

 

बीजपुर(सोनभद्र) शिक्षा क्षेत्र म्योरपुर के जरहा न्याय पंचायत अंतर्गत शत प्रतिशत परिषदीय स्कूलों में बच्चों का मध्यान भोजन गैस सिलेंडर की बजाय लकड़ी के चूल्हे पर पकाया जा रहा है।बताया जाता है लकड़ी के चूल्हे पर भोजन पकाने में महज चार पाँच हजार की जलावनी लकड़ी एक साल में खर्च होती है जबकि गैस सिलेंडर की कीमत साठ से सत्तर हजार रुपये हो जाता है। जंगलों के समीप संचालित विद्यालयों में तो बच्चों से ही जलावनी लकड़ी मंगवा ली जाती है इस दौरान हरे भरे बृक्षों को काट कर जहाँ जंगलों का विनाश किया जा रहा वहीं जंगलों के कटान से आने वाले समय मे पर्यावरण को भारी खतरा उतपन्न हो गया है।

 

सूत्रों पर भरोसा करें तो अध्यापकों के निजी स्वार्थ में जंगल कटान से जहाँ साल में लाखों रुपये सिलेंडर और चूल्हा के नाम पर बन्दर बांट हो रहे है वहीं पढ़ा लिखा तबका जंगलों का दुश्मन बना हुआ है। एबीएसए देवमणि पांडेय कहते हैं गैस सिलेंडर पर खाना पकाने में रसोइया को डर लगता है। नाम न छापने की शर्त पर कई रसोईया ने बताया कि मास्टर साहब लोग लकड़ी पर खाना बनवाते है तो हम लोग क्या करें। बताया गया कि गैस चूल्हा और सिलेंडर गुरु जी घर पर है। उधर कई ग्राम प्रधानों ने शिक्षा बिभाग के इस कारनामे की जानकारी मुख्य मंत्री और शिक्षा मंत्री को भेज कार्रवाई की माँग की है।

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