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भागलपुर पुल गिरने पर तेजस्वी यादव ने कहा- जानबूझकर गिराया, CM नीतीश कुमार ने दिए जांच के आदेश

पटना: बिहार के खगड़िया जिले को भागलपुर से जोड़ने वाले अगुवानी-सुल्तानगंज पुल के ढहने को लेकर अब सत्ता पक्ष और विपक्ष में आरोप-प्रत्यारोप का दौर शुरू हो चुका है. 14 महीने में दूसरी बार पुल ढहने को लेकर बीजेपी जहां नीतीश कुमार सरकार को निशाने पर ले रही है तो वहीं तेजस्वी यादव के बयान से अब ये साफ नहीं हो पा रहा है कि पुल का जानबूझकर गिराया गया या फिर अपने आप गिर गया?

दरअसल, पुल ढहने के बाद डिप्टी सीएम तेजस्वी यादव ने सड़क निर्माण विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव प्रत्यय अमृत के साथ प्रेस-कॉन्फ्रेंस की. तेजस्वी यादव ने कहा कि जब इससे पहले पुल गिरने की घटना हुई थी, तब भी हमने आशंका व्यक्त कि थी हमें पुल के सभी सेगमेंट की जांच करानी चाहिए. इसको लेकर रिव्यू मीटिंग भी की गई. आईआईटी रुड़की ने पुल गिरने का कारण आंधी-तूफान बताया था. हमें इसके डिजाइन में पहले से ही फॉल्ट लगा था. इसी वजह से इसे पूरे तरीके से ध्वस्त करके फिर से कार्य प्रारंभ करने का निर्णय हमने लिया.

तेजस्वी यादव ने कहा कि ऐसा निर्णय इसलिए लिया गया, क्योंकि आईआईटी रुड़की के विशेषज्ञों ने इसके डिजाइन में ‘गंभीर खामियां’ पाई थीं. आईआईटी रुड़की ने इस पूरे पुल के डिजाइन की जांच की थी. वहीं अतिरिक्त मुख्य सचिव प्रत्यय अमृत ने कहा कि सरकार खराब पुल के कुछ हिस्सों को हटाने से पहले अंतिम रिपोर्ट का इंतजार नहीं करना चाहती थी, क्योंकि इसमें जोखिम काफी ज्यादा था. इसलिए पुल को ढहाने का निर्णय लिया गया.

तेजस्वी यादव ने कहा कि आपको याद होगा कि इस पुल का एक हिस्सा पिछले साल 30 अप्रैल को ढह गया था. मैंने विपक्ष के तत्कालीन नेता के रूप में अपनी क्षमता में इसे मजबूती से उठाया था. सत्ता में आने पर हमने जांच का आदेश दिया और विशेषज्ञ की राय मांगी. साथ ही आईआईटी रुड़की से संपर्क किया. आईआईटी रुड़की ने पुल निर्माण की बारीकी से जांच की. अभी तक अंतिम रिपोर्ट आनी बाकी है, लेकिन इस पुल के डिजाइन का अध्ययन करने वाले विशेषज्ञों ने हमें बताया था कि इस पुल के डिजाइन में गंभीर खामियां हैं.

तेजस्वी यादव ने कहा कि एक बार अंतिम रिपोर्ट आने के बाद राज्य सरकार प्राथमिकी दर्ज करने और कंपनी को ब्लैक लिस्ट करने जैसी कार्रवाई पर विचार करेगी. तेजस्वी यादव ने कहा कि तीन किलोमीटर लंबे पुल के कई हिस्से कमजोर हैं. इसी वजह से कमजोर हिस्सों को गिराया जा रहा है. बता दें कि इस पुल की कुल अनुमानित लागत 1,710 करोड़ रुपए है. आठ साल से पुल का निर्माण कार्य चल रहा है, लेकिन अभी तक बन नहीं पाया है, जबकि 2020 में ही इसको कंपलीट करने की डेडलाइन थी.

वहीं मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने खगड़िया में पुल गिरने की घटना के लिए उच्च स्तरीय जांच के आदेश दिए हैं. आईएएस अधिकारी प्रत्यय अमृत को जांच की जिम्मेदारी मिली है. नीतीश कुमार ने कहा कि जांच कर दोषियों के खिलाफ कड़ी से कड़ी कार्रवाई होगी. वहीं आरजेडी ने ट्वीट कर बीजेपी के आरोपों पर प्रहार किया कि पुल का अधिकांश निर्माण तब हुआ, जब बीजेपी के नेता मंगल पांडे, नंद किशोर यादव और नितिन नबीन विभाग के मंत्री थे.

वहीं राज्य बीजेपी अध्यक्ष सम्राट चौधरी ने नीतीश कुमार के इस्तीफे की मांग की. भागलपुर के पूर्व सांसद शाहनवाज हुसैन ने भी इस हादसे की जांच की मांग की. उन्होंने कहा कि इस पुल से भ्रष्टाचार की गंध आती है. बीजेपी के राष्ट्रीय प्रवक्ता शहजाद पूनवाला ने इसे “भ्रष्टाचार का सेतु” बताया और मुख्यमंत्री पर कटाक्ष किया.

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