यूपी के पूर्व सीएम अखिलेश और तेलंगाना के सीएम के.चंद्रशेखर के बीच मुलाकात, सबका लक्ष्य, बीजेपी को हटाना

लखनऊ. आगामी लोकसभा चुनाव में सत्ताधारी पार्टी बीजेपी को घेरने के लिए विपक्षी एकता की कवायद तेज हो गई है. पहली बैठक पटना में हुई और अब दूसरी बैठक बेंगलुरु में होने जा रही है. इस बीच विपक्ष की बैठक से दूरी बनाए हुए सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने हैदराबाद जाकर तेलंगाना के सीएम केसीआर से मुलाकात की है. यह मुलाकात ऐसे समय में हुई है जब कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने खम्मम में एक रैली में केसीआर को बीजेपी की बी टीम बताया था. तो केसीआर की अखिलेश से मुलाकात के पीछे क्या हैं सियासी मायने?
नीतीश कुमार द्वारा आयोजित विपक्षी एकता बैठक में कांग्रेस और सपा सहित 15 विपक्षी दलों ने भाग लिया, जबकि तेलंगाना के मुख्यमंत्री और बीआरएस प्रमुख के चंद्रशेखर राव शामिल नहीं हुए। केसीआर कांग्रेस के बिना विपक्षी गठबंधन बनाने के पक्ष में थे जबकि कांग्रेस भी केसीआर के बिना विपक्षी गठबंधन की वकालत कर रही थी. इसकी वजह ये है कि तेलंगाना में कांग्रेस और केसीआर एक-दूसरे के मुख्य प्रतिद्वंद्वी हैं. इसे देखते हुए माना जा रहा है कि कांग्रेस की वजह से केसीआर को पटना बैठक में नहीं बुलाया गया.
हालांकि, सपा प्रमुख अखिलेश यादव शुरू से ही केसीआर को विपक्षी गठबंधन में बनाए रखने के पक्ष में रहे हैं. इसके लिए अखिलेश यादव तर्क दे रहे हैं कि राज्य में जो विपक्षी दल मजबूत है, उसका नेतृत्व उन्हें करना चाहिए. पटना बैठक के दौरान अखिलेश ने इसी बात पर जोर दिया था जबकि कांग्रेस समेत कई विपक्षी दलों ने बेंगलुरु बैठक में इस मुद्दे पर चर्चा करने की बात कही थी.
बेंगलुरु मीटिंग से पहले अखिलेश यादव हैदराबाद पहुंचे और केसीआर से मुलाकात की. इस दौरान उन्होंने 2024 में विपक्षी एकता बनाने और बीजेपी को सत्ता से बाहर करने की बात दोहराई. माना जा रहा है कि अखिलेश ने केसीआर से मुलाकात की और सभी विपक्षी दलों से आपसी मतभेद भुलाकर एकजुट होने को कहा. सवाल उठता है कि आखिर क्यों अखिलेश यादव केसीआर को विपक्षी गठबंधन में शामिल करना चाहते हैं जबकि कांग्रेस साफ तौर पर उन्हें बीजेपी की बी टीम बता रही है.
अखिलेश यादव और केसीआर के बीच यह मुलाकात तब हुई है जब ठीक एक दिन पहले यानी रविवार को राहुल गांधी ने खम्मम रैली में केसीआर पर जमकर हमला बोला था. राहुल ने बीआरएस को बीजेपी की बी टीम बताया और इसका नाम ‘बीजेपी की रिश्तेदार पार्टी’ रख दिया. इस बीच, राहुल ने कहा कि विपक्षी दलों की किसी भी बैठक में बीआरएस को आमंत्रित नहीं किया जाना चाहिए। इसके साथ ही उन्होंने कहा कि कांग्रेस कभी भी ऐसी बैठक में हिस्सा नहीं लेगी जिसमें बीआरएस मौजूद होगी.
माना जा रहा है कि अखिलेश यादव यूपी में कांग्रेस और तेलंगाना में केसीआर को राजनीतिक जगह देने के मूड में नहीं हैं. कांग्रेस यूपी में एसपी के साथ गठबंधन के पक्ष में है, लेकिन तेलंगाना में केसीआर से किसी भी रूप में हाथ मिलाने को तैयार नहीं है. बंगाल में भी ममता बनर्जी कांग्रेस और लेफ्ट को गठबंधन में शामिल करने के पक्ष में नहीं हैं, जबकि अरविंद केजरीवाल ने कांग्रेस की वजह से खुद को विपक्षी एकता से अलग कर लिया है.
सूत्रों ने बताया कि मुलाकात के दौरान अखिलेश यादव ने केसीआर से बीजेपी के खिलाफ बीआरएस के नरम रुख को लेकर भी चर्चा की. इसके साथ ही दोनों नेताओं ने महाराष्ट्र की राजनीति में उथल-पुथल के मुद्दे पर भी चर्चा की है. महाराष्ट्र में शरद पवार की पार्टी एनसीपी को शनिवार को उस समय बड़ा झटका लगा, जब पार्टी के वरिष्ठ नेता अजित पवार कई विधायकों के साथ एकनाथ शिंदे सरकार में शामिल हो गए। मुंबई में अखिलेश यादव पहले से ही विधायक हैं, जबकि विपक्षी एकता गठबंधन में शामिल पार्टियों में से एक एनसीपी भी महाराष्ट्र में अपना राजनीतिक आधार बढ़ाने की कोशिश कर रही है. अखिलेश-केसीआर से इस तरह मुलाकात से कांग्रेस पर दबाव की राजनीति का दांव तो नहीं चल रहा?