साहू समाज सीधी के जिला अध्यक्ष एडवोकेट विष्णु साहू के नेतृत्व में मनाया गया मां कर्मा जयंती

रानू पाण्डेय (सीधी )
सीधी शहर के आमहा वार्ड क्रमांक 23 में साहू समाज के जिलाध्यक्ष एडवोकेट विष्णु साहू अध्यक्षता व नेतृत्व में मां कर्मा जयंती का आयोजन कर धूमधाम से मनाया गया, मां कर्मा जी का पूजा अर्चना कर कार्यक्रम का शुभारंभ किया गया,कार्यक्रम में रीवा सीधी सिंगरौली के साहू समाज के लोग भी सम्मिलित हुए, कर्मा जयंती में उपस्थित सभी साहू समाज के लोगों से साहू समाज के उत्थान हेतु चर्चा भी की गई,साथ ही साहू समाज के सेवानिवृत्त कर्मचारी जगन्नाथ साहू, सब इंस्पेक्टर अयोध्या साहू, सहित बड़े बाबू जगदीश साहू सैनी साहब बीएसएफ सैनिक खूब लाल साहू सेवानिवृत्त होने पर इनको श्रीफल साल पदे कर सम्मानित भी किया गया,
बता दें की मां कर्मादेवी का जन्म उत्तर प्रदेश के झांसी नगर में चैत्र कृष्ण पक्ष के पाप मोचनी एकादशी संवत् 1073 सन् 1017ई0 को प्रसिद्ध व्यापारी श्री राम साहू जी के घर में हुआ था। मां कर्मादेवी बाथरी वंश की थी। श्री राम साहू की बेटी कर्मादेवी से साहू समाज का वंश और छोटी बेटी धर्माबाई से राठौर समाज का वंश चला आ रहा है।
माता कर्मा बाई की प्रसिद्धि कैसे हुई थी?
कर्मा बाई के पति धनी होने की वजह से दूसरों को जलन होती थी इसलिए पद्मा साहू को फंसाने और उनके तेल व्यवसाय को ठप करने के लिए एक साजिश रची, जिसमें राजा नल के पुत्र ढोला ने आज्ञा दी कि राज्य के तेल के तालाब को पांच दिन में भरा जाएँ, पद्मा साहू दिये गये समय के पश्चात तालाब को तेल से भरने में असफल रहा। उसे सभी तेली समाज के समाने शर्मिन्दा होना पड़ा।
यह बात माता कर्मा बाई को पता चली तो उन्होंने अपने पति का कष्ट दूर करने के लिए भगवान श्री कृष्ण की भक्ति में अपनी अंतरात्मा एक कर दी और चारों ओर इनकी भक्ती की गुंज फैल उठी।
तभी इनकी भक्ती और श्री कृष्ण जी की माया से पूरा तालाब तेल से भर गया था। यह बात तुरंत ही सभी तेली समाज में फैल गई और सभी को एक बड़े संकट से छुटकारा मिल गया। इस दिन से ही कर्मा बाई को “माता कर्मा बाई” के नाम से जाना जाता है। तेल के इस तालाब को धर्मा तलैया कहा जाता है और यह कर्मा बाई का धार्मिक संकट है।
राजा ढोला के बुरे बर्ताव और व्यवहार के कारण कर्मा बाई ने अपने पति देव से कहा कि अब हम इस राज्य के राजा के कष्टो को सहन नहीं कर सकते, यह स्थान शीघ्र ही छोड़ देना चाहिए। लेकिन समस्त तेली समाज तो पहले ही इस राज्य को छोड़कर राजस्थान के नागौर जिले में बच गय थे।