सिंगरौलीवासियों के लिए सिरदर्द बने आवारा पशु
कागजों में चल रहा शहर को आवारा पशुओ से मुक्त करने का अभियान

सिंगरौली। नगर निगम सिंगरौली क्षेत्र में इन दिनों आवारा पशुओं की धमाचौकड़ी से स्थानीय रहवासी काफी परेशान हैं। शहर के बाजारों में इन दिनों आवारा पशुओं की संख्या बढ़ती जा रही है। शहर के मुख्य चौराहों, गलियों, बाजारों में ये आवारा पशु घूमते रहते हैं। जिसके चलते बाजारों में खरीदारी करने आए ग्राहक व वाहन चालक काफी परेशान हैं। इसके अलावा शहर के दुकानदार भी आवारा पशुओं से काफी दुखी हैं।
गौरतलब है कि जिला मुख्यालय वैढन बस स्टैंड क्षेत्र में तो आवारा पशुओं की संख्या इस कदर बढ़ी है कि जहां देखो गाय, बछड़े, सांड इत्यादि पशु इधर-उधर मुंह मारते नजर आते हैं। एक ओर जहां ये आवारा पशु आवागमन में दिक्कत बने हैं वहीं हादसों को न्यौता भी दे रहे हैं। दुपहिया वाहन चालक एवं बाजारों में विशेषकर बच्चे इन पशुओं का शिकार हो रहे हैं। शहर में आवारा घूम रहे पशुओं को लेकर नगर पालिक निगम सिंगरौली द्वारा कई बार कुछ दिनों के लिए अभियान तो चलाया जाता है परन्तु वह अभियान एक दो दिन में ही ठण्डा पड़ जाता है जिसका नतीजा यह है कि आवारा पशुओं की धमाचौकड़ी में कोई कमी नहीं देखी जाती है।
सड़क हादसों का कारण बन रहा है पशुओं का झूंड
जिला मुख्यालय के सरकारी कार्यालयों के बाहर भी इन पशुओं का जमावड़ा देखा जा सकता है। भीड़ वाले क्षेत्रों में पशुओं का झुंड सड़क हादसों का कारण बन रहा है। शहर के माजन चौक, अम्बेडकर चौक, गनियारी तिराहा, मस्जिद चौक, जयंत बस पड़ाव, माजन नवानगर रोड, सहित मोरवा, विन्ध्यनगर क्षेत्र की सड़कों तथा कालोनियों की गलियों में ये पशु भारी संख्या में देखे जा सकते हैं। रेलवे रोड, सब्जी मंडी में पड़ी गंदगी के समीप इन पशुओं की संख्या बढ़ रही है। बस स्टैंड परिसर में भी आवारा पशुओं का जमावड़ा यात्रियों, कर्मचारियों के लिए भारी परेशानी बना है। आवारा पशुओं विशेषकर सांडों के कारण नगर में कई सड़क दुर्घटनाएं घट चुकी हैं।
जिले की खेती बारी हो गयी चौपट
आवारा पशुओं की धमाचौकड़ी का सबसे ज्यादा प्रभाव यहां की खेती बाड़ी पर पड़ा है। किसान चाहे कितना भी मेहनत कर ले परन्तु उनकी खेती इन आवारा पशुओं से नहीं बच सकती। हारकर जिले के आधे से ज्यादा किसान पशुओं के डर से खेती करना ही बन्द कर चुके हैं। स्थानीय किसानों के खेती बंद करने का सबसे ज्यादा प्रभाव यहां के सब्जी बाजार पर पड़ा है। जिले की सब्जी मण्डी अब दूसरे जिलों की सब्जी पर निर्भर हो गयी है। स्थानीय सब्जी की पैदावार कम होने के कारण सब्जियों के दाम में बेतहाशा वृद्धि हुयी है।
अबतक खानापूर्ति करने में ही लगे रहे जिम्मेदार
आवारा पशुओं से शहर को मुक्त करने के लिए कई तरह के अभियान चलाये जा रहे हैं। जगह-जगह गौशालाओं का निर्माण हो रहा है परन्तु यह सब हो रहा है मात्र कागजों में जिसका जीता जागता उदाहरण यदि देखना है तो वह शहर की गलियों में घूमने से पता चल जायेगा।
रोजाना हो रही पशुओं की बड़ी संख्या में मौत
नगर निगम क्षेत्र को ही यदि देखें तो यहां रोजाना दर्जनों की संख्या में पशुओं की मौत हो रही है। सड़क हादसों में या बीमारी से पशुओं की मौत हो रही है। कहने को तो पशु एम्बुलेंस शहर का चक्कर लगा रही है इसके बावजूद कई गाय और बैल असमय काल के गाल में समा रहे हैं।